मालेगाँव बम धमाका मामले में मुकदमे का सामना करने वाले मेजर रमेश उपाध्याय ने कहा है कि उन्हें कॉन्ग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार ने फँसाया था। उन्होंने कोर्ट को दिए गए एक बयान में बताया है कि UPA सरकार ने हिन्दू आतंकवाद को सच साबित करने के लिए ATS पर दबाव डाला था। मेजर उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि ATS ने उनके साथ बर्बरता की और उनकी पत्नी को नंगा घुमाने और बेटी के रेप तक की धमकी दी।
मेजर रमेश उपाध्याय ने कोर्ट को दिए गए बयान में बताया, “मैं पूरी तरह से निर्दोष हूँ, ATS पर केंद्र और राज्य की UPA सरकार द्वारा हिंदू आतंकवाद थ्योरी को सही ठहराने के लिए राजनीतिक दबाव डाला गया था, इसके कारण मुंबई ATS ने मुझे मालेगाँव धमाका मामले में झूठा फँसाया था।”
उन्होंने कोर्ट को बताया है कि ATS ने 24 अक्टूबर, 2008 को उन्हें उनके घर से ATS ने उठा लिया था। उन्होंने बताया कि उनके घर की तलाशी भी ली गई थी लेकिन वहाँ कुछ नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि ATS मुंबई ने उन्हें उठाने के बाद बुरी तरीके से मारा, उनको यातनाएँ दी और उन पर दबाव डाला कि वह मालेगाँव धमाका मामले में जबरदस्ती गुनाह कबूल करें।
मेजर रमेश उपाध्याय को गिरफ्तार करने को लेकर ATS ने आरोप लगाया था कि उन्होंने पूछताछ में शामिल होने को लेकर दी गई नोटिस का जवाब नहीं दिया था। इसको लेकर मेजर उपाध्याय ने कहा है कि उनको नोटिस भेजे जाने की बात झूठी है। मेजर ने कहा है कि ATS ने उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखा।
मेजर उपाध्याय ने ATS द्वारा दी गई प्रताड़ना को लेकर बताया, “मुंबई ATS की अवैध हिरासत में मुझे ना केवल शारीरिक यातना दी गई और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, बल्कि मेरे मकान मालिक को धमकी देकर मुझ पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी डाला गया। उससे कहा गया कि वह आतंकवादी को शरण क्यों दे रहा है। इसके बाद मेरे परिवार और सामान को सड़क पर फेंक दिया गया।”
मेजर उपाध्याय ने बताया, ” मुझे धमकी दी गई कि मेरी पत्नी को नंगा कर घुमाया जाएगा, मेर बेटी के साथ बलात्कार किया जाएगा, बेटे का जबड़ा तोड़ दिया जाएगा। इसके बाद उन लोगों ने इस धमकी को अंजाम देने के लिए मेरी विवाहित बेटियों के घरों पर छापा मारना चालू कर दिया। इससे उन्हें और उनके ससुराल वालों को अपमानित किया गया। मुझ पर लगातार उस अपराध को कबूल करने के लिए मनोवैज्ञानिक दबाव डालना जो मैंने नहीं किया था।”
मालेगाँव मामले में सच्चाई बाहर लाने के लिए ATS ने मेजर उपाध्याय का पॉलीग्राफ और नारको टेस्ट भी करवाया गया था। मेजर उपाध्याय ने आरोप लगाया कि जब इन टेस्ट में उन्हें क्लीन चिट मिल गई तो इसकी रिपोर्ट ATS ने दबा दी और कोर्ट के सामने प्रस्तुत नहीं की। मेजर उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने बाद में यह रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखीं।
उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि पुलिस कमिश्नर सुखविंदर सिंह ने तमाम सादे कागजों पर दस्तखत करवाए और उनको एक बयान पढवा कर कैमरे पर रिकॉर्ड किया। मेजर ने आरोप लगाया कि सुखविंदर सिंह ने पहले उन्हें छोड़े जाने और उनके खिलाफ सबूत ना होने की बात कही और बाद में उन पर MCOCA लगाने की बात की।
मेजर उपाध्याय ने कहा है कि NIA चार्जशीट के कारण उन्हें काफी राहत मिली थी। उन्होंने कहा है कि उनके खिलाफ पेश किए गए सारे सबूत फर्जी हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह सारे फर्जी सबूत ATS ने बनाए थे ताकि उनके राजनीतिक मास्टरों के हित साधे जा सकें। उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि उन लोगों के खिलाफ एक्शन लिया जाए जिन्होंने उन्हें प्रताड़ित किया।
गौरतलब है कि पहले मालेगाँव धमाका में मुकदमे का सामना करने वाले कर्नल पुरोहित ने भी ऐसे ही आरोप ATS पर लगाए थे। उन्होंने हाल ही में कोर्ट को दिए गए एक बयान में बताया था कि उनको लगातार इस बात के लिए मारापीटा जाता था कि वह RSS-VHP नेताओं का नाम लें। उन पर तत्कालीन भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ को भी इस मामले में फँसाने का दबाव भी डाला गया था। उनके साथ भी ATS ने बर्बरता की थी और उनका घुटना तोड़ दिया था।
जिस मालेगाँव धमाका मामले में मेजर उपाध्याय और कर्नल पुरोहित समेत कई हिन्दुओं को आरोपित बनाया गया था वह 29 सितम्बर, 2008 को महाराष्ट्र के मालेगाँव में हुआ था। इसमें 6 लोगों की मौत हुई थी और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। इस धमाके के बाद कॉन्ग्रेस नेताओं ने हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी को हवा देना चालू किया था। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा को भी आरोपित बनाया गया था और टॉर्चर किया गया था लेकिन उन्हें बाद में क्लीनचिट मिल गई थी।