ब्रिटेन में आराम की जिंदगी मिलने के बाद अपना असली कट्टरपंथी रंग दिखाने वाली शांति नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई (Malal Yousafzai) द्वारा कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद (Hijab Controversy) पर बयान देकर फँस गई हैं। सोशल मीडिया पर हिजाब और शिक्षा को लेकर उनके दिए गए पुराने बयान को लेकर लोग ट्रोल करने लगे हैं।
अफगानिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथियों की गोली शिकार बनने के बाद ब्रिटेन में शरण पाने वाली मलाला ने कभी हिजाब को लेकर सवाल उठाया था। अपनी पुस्तक ‘आई एम मलाला’ में उन्होंने हिजाब को गलत और घुटन वाला बताया था। लेखक आनंद रंगनाथन ने मलाला के इस कथन का संदर्भ देते हुए एक ट्वीट किया है।
रंगनाथन ने ट्वीट में लिखा है कि कभी मलाला ने कहा था, “वे (इस्लामिक कट्टरपंथी) महिलाओं को बुर्का पहनने के लिए मजबूर कर रहे थे। बुर्का पहनना एक बड़े कपड़े के शटलकॉक के अंदर चले जाने जैसा है, जिसमें केवल एक ग्रिल है और गर्म दिनों में यह ओवन की तरह हो जाता है। मुझे यह पहनना नहीं था।”
“They were forcing women to wear Burqas. Wearing a burqa is like walking inside a big fabric shuttlecock with only a grille to see through and on hot days it’s like an oven. At least I didn’t have to wear one.” – @Malala in ‘I am Malala’. https://t.co/1HC5RIIjdL
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) February 9, 2022
मलाला इस बयान की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है। कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद के संदर्भ में सोशल मीडिया यूजर्स उनके हालिया बयान को लेकर उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। उनसे इस विषय में लगातार सवाल किए जा रहे हैं।
हिजाब विवाद पर मंगलवार (8 फरवरी) को मलाला ने हिजाब को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने एक खबर को शेयर करते हुए लड़कियों को स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति देने की बात कही थी। अपने ट्वीट में उन्होंने था, “कॉलेज हमें पढ़ाई और हिजाब के बीच चयन करने के लिए मजबूर कर रहा है। लड़कियों को उनके हिजाब के साथ स्कूल आने से मना करना भयावह है। महिलाओं पर कम या ज्यादा कपड़े पहनने को लेकर दबाव डाला जा रहा है। भारतीय नेताओं को मुस्लिम महिलाओं को किनारे लगाने की कोशिश पर रोक लगानी चाहिए।”
“College is forcing us to choose between studies and the hijab”.
— Malala (@Malala) February 8, 2022
Refusing to let girls go to school in their hijabs is horrifying. Objectification of women persists — for wearing less or more. Indian leaders must stop the marginalisation of Muslim women. https://t.co/UGfuLWAR8I
भारत के मामले बयानबाजी करने वाली मलाला से सोशल मीडिया यूजर पूछ रहे हैं कि जिस नॉर्वे की ओर से उन्हें नोबेल सम्मान दिया गया है, उसने साल 2017 में स्कूल और यूनिवर्सिटी में हिजाब पर प्रतिबंध लगाते हुए कानून बनाया था। लोग पूछ रहे हैं कि मलाला नॉर्वे को लेकर कोई बात क्यों नहीं कही।
द स्किन डॉक्टर नाम के एक ट्विटर हैंडल पर मलाला को जवाब देते हुए लिखा गया, ‘जहां तक कॉलेज के फैसले की बात है तो वह सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं है। यदि पुरुष भी हिजाब पहनकर आएंगे तो उन्हें भी परमिशन नहीं मिलेगी। महिलाओं को ऑब्जेक्ट समझने की बात तो आपके मजहब में कही गई है, जहां सिर्फ महिलाओं के हिजाब पहनने की बात है। कॉलेजों की ओर से लड़कों को भी भगवा शॉल ओ
अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा किए जा रहे नरसंहार और कब्जे के बावजूद एकदम चुप्पी साधे हुए हैं। तालिबान के अमानवीय हमलों का विरोध करना और उस पर रोना तो छोड़िए एक फुसफुसाहट तक नहीं नजर आ रही है। ये वही मलाला हैं, जिन्हें अक्टूबर 2012 में पाकिस्तान की स्वात घाटी में महिलाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित करने पर तालिबान ने गोली मारी थी। गंभीर रूप से घायल हालत में उन्हें पहले पाकिस्तान के आर्मी अस्पताल में ले जाया गया और फिर वहाँ से यूके रेफर किया। वहाँ इलाज के बाद वह चमत्कारिक रूप से ठीक हो गई थीं।
भारत के विरुद्ध मलाला के स्टैड का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने भारत के किसान आंदोलन में खुलकर किसानों के पक्ष में अपना समर्थन दिया था। इतना ही नहीं, अपनी वेबसाइट पर जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र बताया था। मलाला की वेबसाइट पर लद्दाख को छोड़ कर लगभग पूरे जम्मू कश्मीर को ही बाकी भारत से अलग रंग में दिखाया गया है और उसे विवादित माना गया है। अरुणाचल प्रदेश को भी इन्होंने विवादित दिखाया है।