Wednesday, November 20, 2024
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शाहीन बाग़ प्रदर्शनकारियों के कारण दिल के मरीज की मौत, तीन बेटियाँ हुईं अनाथ

"शाहीन बाग़ ने एक व्यक्ति की जान ले ली, जिनका नाम सुरेंद्र था। 55 वर्षीय सुरेंद्र को सोमवार (मार्च 16, 2020) को हार्ट अटैक आया था। घरवालों ने आनन-फानन में एक ऑटो हायर करके सफदरगंज अस्पताल की ओर जाने लगे। रास्ते में शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों ने भारी जाम लगा रखा था। वो लोग वहाँ से हटने को तैयार नहीं थे।"

शाहीन बाग़ के लोग प्रदर्शन स्थल से हटने को तैयार नहीं हैं, जिसके कारण कोरोना वायरस के फैलने का ख़तरा और बढ़ गया है। पुलिस द्वारा लाख समझाने के बावजूद उपद्रवी वहाँ से हटने को तैयार नहीं हैं। वो लोग दिल्ली सरकार के उस आदेश को भी मानने से इनकार कर रहे हैं, जिसमें एक जगह 50 से अधिक लोगों के न जमा होने की बात कही गई है। यहाँ तक कि विशेषज्ञों और डॉक्टरों की सलाह को भी धता बता कर अन्य लोगों को खतरे में डाला जा रहा है। अब इन उपद्रवियों के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई है।

‘न्यूज़ नेशन’ के पत्रकार दीपक चौरसिया ने भी आरोप लगाया कि शाहीन बाग़ ने एक व्यक्ति की जान ले ली, जिनका नाम सुरेंद्र था। 55 वर्षीय सुरेंद्र को सोमवार (मार्च 16, 2020) को हार्ट अटैक आया था। घरवालों ने आनन-फानन में एक ऑटो हायर करके सफदरगंज अस्पताल की ओर जाने लगे। रास्ते में शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों ने भारी जाम लगा रखा था। वो लोग वहाँ से हटने को तैयार नहीं थे। प्रदर्शनकारियों के कारण सुरेंद्र सही समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पाए और उनकी मौत हो गई।

सुरेंद्र मदनपुर खादर के रहने वाले थे। उनके परिजनों ने कहा है कि वो इन प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज कराएँगे। उनकी पत्नी और तीन बेटियाँ हैं, जो अनाथ हो गईं। सुरेंद्र का सफदरगंज अस्पताल में पहले से ही इलाज चल रहा था। उन्हें रात के क़रीब 11 बजे हार्ट अटैक आया था। उन्हें अस्पताल ले जाते समय कालिंदी कुञ्ज मार्ग पूरी तरह बंद था। पीड़ित की हालत और बिगड़ने से उन्हें नजदीकी अपोलो हॉस्पिटल ले जाया गया लेकिन वहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

डॉक्टरों ने बताया कि अगर सुरेंद्र को 20 मिनट पहले अस्पताल पहुँचाया जाता तो उनकी जान बचने की संभावना थी। हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉक्टर केके अग्रवाल ने भी इस बात की पुष्टि की और बताया कि मरीज को हार्ट अटैक आने के आधे घंटे के भीतर अस्पताल पहुँचा दिया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, वैसे-वैसे मरीज की टेबियार और बिगड़ती जाती है और इलाज मुश्किल हो जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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