गुजरात के अहमदाबाद में 2008 में हुए बम ब्लास्ट के मामले में स्पेशल कोर्ट ने 38 आतंकियों को मौत की सज़ा सुनाई है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि इन आतंकियों को मौत की सज़ा ही मिलनी चाहिए, क्योंकि इन्हें खुला छोड़ने का अर्थ होगा ‘मनुष्य भक्षक तेंदुओं’ को लोगों के बीच छोड़ देना। अदालत ने शनिवार (19 फरवरी, 2022) को इस फैसले की प्रति मुहैया कराई। इस मामले में कोर्ट ने आतंकियों के खिलाफ सख्त टिप्पणियाँ भी की। अदालत ने इसे ‘दुर्लभतम में भी सबसे दुर्लभ’ मामला माना।
अदालत ने कहा कि ऐसे लोगों को समाज के बीच छोड़ देना वैसा ही होगा, जैसे किसी तेंदुए को सार्वजनिक रूप से खुला छोड़ देना। अदालत ने कहा कि ये मनुष्य भक्षक तेंदुए ही तो हैं, जो समाज के निर्दोष लोगों का भक्षण करते हैं – जिनमें बच्चे-बूढ़े, युवा और महिलाएँ और शिशु तक भी शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे लोग विभिन्न जाति और समुदायों के लोगों का भक्षण करते हैं। कोर्ट ने कहा कि देश में शांति और राष्ट्र के नागरिकों की सुरक्षा के लिए इन आतंकियों को ‘सज़ा-ए-मौत’ मिलनी आवश्यक है।
स्पेशल कोर्ट ने कहा कि देश में ऐसा कोई जेल नहीं है, जो इन्हें हमेशा के लिए रख सकता है। अदालत ने कहा, “पिछले 5 वर्षों में सुनवाई के दौरान ये कोर्ट के संज्ञान में आया है कि ये सभी आरोपित हर मामले में उच्च-स्तर के दक्ष हैं, शिक्षित हैं, जिनमें से कुछ प्रोफेसर, कम्प्यूटर विशेषज्ञ और डॉक्टर भी हैं। अन्य राज्यों में भी इन्होंने अपराध किए हैं, ऐसे में वहाँ भी मामले दर्ज हैं। ये आतंकी ऐसे हैं कि इनके बारे में सूचनाएँ जुटाना और अपराध की जड़ तक पहुँचना बहुत ही कठिन है।”
Historic Verdict – Death sentence to 38 convicts in Ahmedabad blast case.
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) February 18, 2022
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कोर्ट ने ये भी याद दिलाया कि कैसे इन आतंकियों ने ये योजना भी बना ली थी कि बम ब्लास्ट को अंजाम देने के बाद कैसे बच कर निकलना है। पुलिस की जाँच के बाद उन्हें भटकाने के लिए कैसी सूचनाएँ देनी हैं और क्या-क्या छिपाना है, ये सब इन आतंकियों ने पहले से तय कर लिया था। अदालत में अपना बचाव कैसे करना है, ये भी उन्हें पता था। बता दें कि देश में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में अपराधियों को ‘सज़ा-ए-मौत’ मिली है। अहमदाबाद में बम ब्लास्ट करने वाले 2022 गुजरात दंगे का ‘बदला’ लेना चाहते थे।