झारखंड उच्च न्यायालय ने कहा है कि शादी का वादा कर के किसी शादीशुदा महिला के साथ उसकी मर्जी से संबंध बनाना बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है। अर्थात, कोई शादीशुदा महिला ये कह कर किसी पुरुष पर बलात्कार का इल्जाम नहीं लगा सकती कि आरोपित ने शादी का वादा कर के उसे फुसला लिया। झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि केस दर्ज कराने वाली विवाहित ने ये जानते हुए दूसरे पुरुष से संबंध बनाया कि तलाक के बिना उसकी शादी नहीं हो सकती, इसीलिए रेप केस के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।
जस्टिस संजय कुमार द्विदेदी ने ये फैसला सुनाया। बताया जा रहा है कि याचिकाकर्ता ने पीड़िता से वादा किया था कि वो उसके पति से तलाक के बाद उससे शादी कर लेगा। साथ ही एक मंदिर में उसने पीड़िता की माँग में सिंदूर भी भर दिया था। इसके बाद कई मौकों पर दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए। हालाँकि, अंत में उसने शादी से इनकार कर दिया। इसके बाद उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए। इसके खिलाफ वो याचिका लेकर हाईकोर्ट पहुँचा।
मंगलवार (6 दिसंबर, 2022) को एकल पीठ ने ये निर्णय सुनाया। हाईकोर्ट के सामने सवाल ये था कि अपनी मर्जी से शादीशुदा महिला ने किसी अन्य पुरुष शारीरिक संबंध बनाए और वो व्यक्ति उससे शादी का वादा कर के मुकर गया, ऐसे में इसे IPC की धारा-376 के तहत अपराध माना जाए या नहीं। अदालत ने ये भी कहा कि अगर शुरू से आरोपित की मंशा धोखाधड़ी की रही हो, तब ये मामला धारा-420 के तहत माना जा सकता है।
शादी के वादे पर विवाहिता से संबंध बनाना रेप नहीं: कोर्ट ने कहा- शादीशुदा को ऐसा कहकर फुसलाया नहीं जा सकता#Women #Law #Jharkhand BY: @vivekkahar08 @anuragaanand085https://t.co/BpUK4utEGr pic.twitter.com/TTM1x2jGe6
— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) December 11, 2022
मामला कुछ यूँ है कि नवंबर 2019 में देवघर जिले के सारवाँ मेले में आरोपित व्यक्ति की पोस्टिंग की गई थी। पीड़िता के पिता दुकान चलाते हैं, जहाँ इन दोनों की मुलाकात हुई। जब इन दोनों के बीच संबंध बने, उससे पहले ही महिला ने तलाक की याचिका कोर्ट में दायर कर दी थी। आरोपित पक्ष का कहना है कि दोनों बालिग़ हैं और उन्होंने मर्जी से संबंध बनाए, ऐसे में रेप का मामला बनता ही नहीं। आरोपित की माँ ने भी महिला के विरुद्ध केस दर्ज कराया था।