काशी के ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के अंदर के नए वीडियोज सामने आने के बाद ये लगभग साफ़ हो गया है कि शिवलिंग के साथ छेड़छाड़ की गई थी और जिसे ‘मस्जिद’ कहा जाता है, उसके भीतर मंदिर होने के कई प्रमाण मौजूद हैं। अब सरफराज अहमद नाम के एक मौलाना ने कहा है कि ज्ञानवापी में शिवलिंग की बातें करने वालों का मकसद ही था कि हिंदुस्तान में बवाल करना है। उन्होंने कहा कि जो न्यूज़ चैनलों में चल रहा है वो क्या है, कानून के दायरे में मना कर दिया गया है कि कोई बात न करे, लेकिन फिर भी मीडिया में चल रहा है।
मौलाना सरफराज ने आगे कहा, “आपको क्या लगता है, जो फव्वारा कहा जा रहा है वो क्या है? फव्वारा है तो फव्वारा ही कहा जाएगा न। और अगर आपने ये आरोप लगा है कि ये शिवलिंग है तो ये जाँच का विषय है। एक बात मैं ‘ऑफ द रिकॉर्ड’ बोलना चाहता हूँ। किसी जमाने में ये मंदिर था। मंदिर तोड़ कर मस्जिद बन दी गई, इसमें कोई संशय की बात नहीं है। तो कहने का मतलब कि क्या बना, किसने बनाया – ये एक अलग विषय है।”
वायरल वीडियो में मौलाना सरफराज कहता दिख रहा है कि ज्ञानवापी के बारे में कोई प्रमाण भी नहीं है, क्योंकि कागजात लेकर अंग्रेज लंदन चले गए थे। ‘Zee Hindustan’ चैनल ने जब मौलाना सरफराज से इस बयान को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ‘ऑफ द रिकॉर्ड’ भी ये बात कही थी और अब ‘ऑन द रिकॉर्ड’ भी कह रहे हैं कि अगर वहाँ शिवलिंग होता तो उसे कब का तोड़ कर हटा देते। इस पर टीवी एंकर और डिबेट में मौजूद हिन्दू संत के कड़ी आपत्ति जताई।
मौलाना सरफराज ने इस बयान पर माफ़ी माँगने से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसा क्या कहा है? एंकर प्रत्यूष खरे ने पूछा कि अगर यही बात पैगंबर मुहम्मद के बारे में किसी ने कह दी होती तो बवाल मच जाता और मौलाना सरफराज अहमद इसी चैनल पर माफ़ी मँगवाने की बात कह रहे होते। बता दें कि सर्वे के लीक वीडियो में मस्जिद के वजूखाना के अंदर शिवलिंग स्पष्ट शिवलिंग दिख रहा है। साथ ही तहखानों की दीवारों पर स्वस्तिक, त्रिशूल, कमल और हिंदू देवताओं के रूपांकरण उकेरे हुए नजर आ रहे हैं।