Saturday, November 16, 2024
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‘PFI के खिलाफ बोलना बंद करो, वरना तुम्हारा वजूद खत्म कर देंगे’: प्रतिबंध का सम​र्थन करने वाले मौलाना को जबान काटने की धमकी

"PFI की कट्टरपंथी विचारधारा के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर मुझे जान से मारने की धमकी दी गई है। फोन करने वाले ने कहा- PFI के खिलाफ बोलना बंद कर दो मौलाना, वरना हम तुम्हारा वजूद खत्म कर देंगे।"

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध का समर्थन करने वाले बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी को जुबान काटने की धमकी मिली है। मौलाना ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि धमकी भरा कॉल गुरुवार (29 सितंबर 2022) को किया गया था। फोन करने वाले ने उन्हें पीएफआई का विरोध करने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मौलाना को धमकी देने वाले ने अपना नाम अब्दुल समद बताया। यह भी बताया कि वह दिल्ली के शाहीन बाग का रहने वाला है। उसने मौलाना से कहा, “ज्यादा बोल रहे हो। बोलना कम कर दो, नहीं तो जबान काट दी जाएगी।”

मौलाना ने अपने ट्वीट में कहा है, “PFI की कट्टरपंथी विचारधारा के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर आज (गुरुवार) दोपहर मुझे एक फोन आया। मुझे जान से मारने की धमकी दी गई। फोन करने वाले ने कहा- PFI के खिलाफ बोलना बंद कर दो मौलाना, वरना हम तुम्हारा वजूद खत्म कर देंगे।” बरेली पुलिस ने इस ट्वीट का जवाब देते हुए कहा है कि मामले की जाँच की जा रही है।

मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी, दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष भी हैं। उनका एक वीडियो भी सामने आया है। इसमें धमकी मिलने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा है कि वे खामोश बैठने वालों में से नहीं हैं। वे गीदड़ भभकियों से डरने वाले नहीं हैं।

मौलाना शहाबुद्दीन का यह भी कहना है कि जब उन्होंने राजस्थान के उदयपुर में हुई घटना (कन्हैयालाल हत्याकांड) पर फतवा जारी किया था, तब भी उन्हें धमकियाँ मिली थी। उन्होंने उस समय पुलिस-प्रशासन पर सुरक्षा नहीं देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि उस समय मिली धमकियों की जानकारी मैंने प्रशासनिक अधिकारियों को देते हुए सुरक्षा माँगी थी। लेकिन, किसी प्रकार की सुरक्षा नहीं दी गई।

मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने PFI पर बैन को मोदी सरकार का अच्छा कदम बताया था। उन्होंने कहा था कि सरकार ने कट्‌टरपंथी संगठन PFI पर बैन लगाकर अच्छा कदम उठाया है। भारत की कट्‌टरपंथी विचारधारा की धरती नहीं है। इस देश की एकता और अखंडता पर संकट पैदा करने वाले संगठन पर प्रतिबंध लगाना उचित है।

गौरतलब है कि असदुद्दीन ओवैसी और लालू यादव जैसे नेताओं ने PFI पर बैन को लेकर आपत्ति जताई है। केरल से कॉन्ग्रेस सांसद कोडिकुन्नील सुरेश ने भी इस फैसले का विरोध किया है। विरोध करने वालों में सपा सांसद शफीकुर्रहमान भी शामिल हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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