झारखंड में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला उजागर हुआ है। कॉन्ग्रेस नेता और चंपई सरकार के मंत्री आलमगीर आलम के पीएस से जुड़े ठिकानों पर ईडी की रेड में 32 करोड़ रुपए अधिक की नकदी बरामद हो चुकी है, तो सोने का भी बड़ा भंडार मिला है। यही नहीं, आलमगीर आलम के PS संजीव लाल के जिस निजी नौकर से जहाँगीर आलम के फ्लैट से इतने रुपए मिले हैं, वो बेहद आम जिंदगी जीता था। वो फ्लैट पर जाने के लिए पुरानी स्कूटी का इस्तेमाल करता था और थैलों में पैसे भरकर फ्लैट में ले जाता था। वो फ्लैट में 1-2 घंटे रुकता था और खामोशी से निकल जाता था।
कौन है जहाँगीर आलम?
कॉन्ग्रेस नेता आलमगीर आलम के सरकारी PS संजीव लाल का निजी नौकर है, जो भ्रष्टाचार से मिले पैसों की रखवाली करता था। वो पैसों को फ्लैट में रखता था और फ्लैट की देखरेख करता था। अभी ईडी उसे गिरफ्तार कर चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जहाँगीर आलम की सीधी पहुँच आलमगीर आलम तक थी। उसने फ्लैट के मालिक को 40 लाख रुपए नकद देकर 6 माह पहले राँची के गाड़ीखाना चौक स्थित सर सैयद रेसीडेंसी में फर्स्ट फ्लोर पर फ्लैट खरीदा था। उसने पैसे भी एक ही बार में दिए थे और वो आसपास और भी फ्लैट ढूँढ रहा था।
वेतन 15 हजार, पुरानी स्कूटी से चलता था जहाँगीर आलम
जहाँगीर आलम सर सैयद रेसीडेंसी में जब भी आता, अपने हाथ में थैला लिए रखता। इन थैलों में पैसे भरे होते। वो 8-10 दिन में एक बार आता, पैसों को ठिकाने लगाता और एक-2 घंटे में ही खामोशी से चला जाता था। उसने फ्लैट की सुरक्षा मजबूत करने के लिए गेट पर ही लोहे की ग्रिल लगवाई थी। वो आने-जाने के लिए पुरानी स्कूटी का इस्तेमाल करता था, इसलिए कभी किसी का ध्यान ही नहीं गया कि वो इसके पैसों की रखवाली कर रहा है।
बताया जा रहा है कि जिस जहाँगीर आलम के पास 32.5 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी मिली है, उसका वेतन सिर्फ 15 हजार रुपए ही है। हालाँकि संजीव लाल के पास से जो 2 कारें मिली हैं, उनमें से एक कार जहाँगीर आलम के नाम से खरीदी गई थी, जबकि वो खुद पुरानी स्कूटी से चलता था। जहाँगीर आलम कई बार गंजी-बनियान पहनकर घूमता दिख जाता था। वो सामने पड़ जाने वाले आसपास के लोगों से बस दुआ-सलाम कभी कभार कर लेता था, बाकी किसी से सीधे तौर पर बात नहीं करता था। बताया जा रहा है कि वो मूल रूप से चतरा जिले का रहने वाला बताया जा रहा है।
कैसे जमा किया गया इतना पैसा?
झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग में घूसखोरी और वसूली के इस खेल का लिंक जुड़ा है 13 नवंबर 2019 की एक गिरफ्तारी से, जब एंटी करप्शन ब्यूरो ने ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के अंदर काम करने वाले जेई सुरेश प्रसाद वर्मी को 10 हजार की रिश्वत लेते दबोचा था। सुरेश वर्मा वीरेंद्र राम के ही मकान में जमशेदपुर में रहता था। उसके घर पर 2.44 करोड़ कैश मिला था, जिसके बारे में सुरेश ने ही बताया था कि ये पैसे वीरेंद्र राम के हैं, जो उसके रिश्तेदार आलोक रंजन ने रखे थे। इसके बाद इस मामले की जाँच ईडी ने संभाल ली।
ईडी की जाँच में पता चला कि ग्रामीण विकास विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग में तगड़ा खेल चल रहा है। हर ठेके पर 3.2 प्रतिशत का कमीशन सेट है। इसमें चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के पास 0.3 प्रतिशत पैसा ही आता था, बाकी पैसा नेताओं, अधिकारियों और इंजीनियरों के गैंग में बंट जाता था। यहीं से आमलगीर आलम, संजीव लाल समेत अन्य की भूमिका की जाँच शुरू हो गई। आलमगीर आलम के खिलाफ ईडी अप्रैल 2022 से एक अन्य मामले में जाँच कर रही है, वो अवैध खनान से जुड़ा मामला था। हालाँकि अब उनके पीएस संजीव लाल के ठिकानों से जब्त नकदी के बाद उनकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं।