मेवात के नगीना थाने के उलेटा गाँव में गत 21 अप्रैल को गाँव की बहुसंख्यक आबादी के कुछ युवकों ने एक दलित परिवार को अपनी दबंगई का निशाना बनाया। एक मामूली सी बात पर 24 साल के राहुल पर धारदार फरसे से हमला किया गया और उसके परिवार को जातिसूचक शब्द बोलकर धमकाया गया कि यदि गाँव में रहना है तो जूती के नीचे रहना होगा।
लगातार दो दशकों से ऐसे अत्याचार सहने के बाद दलित परिवार ने पुलिस में मुकदमा दायर करने की ठानी और इंसाफ की गुहार लगाने लगे। प्रशासन की ढिलाई कहिए या बहुसंख्यक आबादी का दबाव, लेकिन घटना के 4 महीने बीत जाने के बाद भी राहुल का परिवार आरोपितों की गिरफ्तारी की आस लगाए बैठा है।
अब इस मामले में गिरफ्तारी कब होगी, ये बाद में पता चलेगा। मगर, उससे पहले खबर यह है कि राहुल के मामले में जो ग्रामीण गवाही देने को आगे आए थे, उनके साथ मारपीट हुई है।
राहुल के चाचा जसवंत ने ऑपइंडिया से बात करते हुए इस घटना की जानकारी दी। वह बताते हैं कि उनके गवाह साबिर के साथ 19 अगस्त को मारपीट हुई है। इसके अलावा, गवाह के बड़े भाई को भी पीटा गया है। जसवंत बताते हैं कि यह हमला रात के अंधेरे में करीब 8 बजे हुआ।
राहुल के चाचा बताते हैं कि साबिर के भाई सलीम पर भी बड़े सुनियोजित ढंग से हमला बोला गया। जब वह हमले की शिकायत थाने में कराने जा रहे थे, तो एक आदमी उनके पीछे लग गया और उसने नगीना में बैठे लोगों को सलीम के आने की जानकारी दे दी। इसके बाद उनकी बाइक को एक पिक-अप गाड़ी से टक्कर मारी गई, फिर उन पर लाठी बरसानी शुरू कर दी। इसके बाद आसपास के दुकान वालों व उनके ही गाँव के कुछ लोगों ने उनकी जान बचाई।
बता दें, इस हमले के संबंध में राहुल के मामले में गवाह साबिर और उनके बड़े भाई ने नगीना थाने में अपनी दरख्वास्त दी है। इसकी कॉपी इसी रिपोर्ट में संलग्न की गई है।
साबिर अपनी दरख्वास्त में घटना के मद्देनजर लिखते हैं कि 19 अगस्त को रात 8 बजे वह अपने परिवार के साथ घर पर थे। तभी अचानक 8-10 लोगों ने उनके घर पर लाठी-डंडों के साथ हमला बोल दिया। साथ ही उन्होंने कहा, “तुझे मजा चखाते हैं, तू हमारे ख़िलाफ गवाही देगा!”
परिवार के साथ मारपीट होती है। उनके घर में लूटपाट होती है। सामानों को तोड़ा-फोड़ा जाता है। इसी बीच मज्जलिश नाम का एक युवक धारदार फरसे से साबिर की भाभी राहिसन के सिर पर मार देता है। जबकि, अलीम व अन्य आरोपित लाठी व सरिया से घर वालों को मारते हैं।
इस दौरान शोरगुल सुनकर उनके पड़ोसी भी वहाँ आ जाते हैं और उन्हें बचा लेते हैं। लेकिन तब तक साबिर की भाभी गंभीर रूप से घायल हो चुकी थीं। दरख्वास्त में बताया गया है कि हमले में घायल राहिसन को बहुत गहरी चोट आई। इसलिए उन्हें माँडीखेड़ा अस्पताल ले जाया गया। जहाँ से उन्हें नल्हड मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
इस दरख्वास्त में साबिर ने दलित परिवार का जिक्र करके हमले की वजह भी स्पष्ट बताई है। उनका कहना है कि चूँकि वह गाँव के दलित परिवार के गवाह हैं, इस लिए उन पर हमला हुआ। वहीं साबिर के भाई सलीम ने अपनी दरख्वास्त में बताया कि यह लोग घर में आकर साबिर से केस वापस लेने की बात कह रहे थे।
सलीम के मुताबिक हमलावरों ने अचानक हमला करते हुए कहा, “तुम च#रों (जातिसूचक शब्द/गाली) की गवाही वापस ले लो, नहीं तो तुम्हें जान से मार देंगे।”
उन्होंने भी वही घटना अपनी दरख्वास्त में लिखी, जिसका जिक्र जसवंत करते हैं। सलीम लिखते हैं कि 19 अगस्त की घटना के बाद जब वह नगीना जा रहे थे, तो उन पर जान से मारने की नीयत से हमला हुआ। एक पिक-अप ने उन्हें टक्कर मारी और फिर कुछ लोगों ने लाठी बरसानी शुरू कर दी।
इसके बाद, उनकी जेब से 1200 निकाले गए जिनमें 400 रुपए छीना झपटी में फट गए और मोबाइल भी टूट गया। खुद को फँसा देख उन्होंने मदद के लिए शोर मचाया जिसके बाद उनके गाँव के ही कुछ अन्य युवकों ने उन्हें आकर बचाया। इन दरख्वास्तों में अलीम, मकसूद, आरिफ, तारिफ, वारिस, सद्दाम के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई की माँग की गई है।
दलित परिवार का साथ देने पर पहले भी लोगों को बनाया गया निशाना
ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है कि दलित परिवार का समर्थन करने पर गाँव की बहुसंख्यक संप्रदाय विशेष की आबादी ने अपने समुदाय के लोगों से मारपीट की हो या उन्हें प्रताड़ित किया हो। इससे पहले भी दलित परिवार के बेहद करीबी हकीमुद्दीन के परिवार पर हमला बोल दिया गया था। साथ ही, उनके भाई के घर में जाकर काफी तोड़फोड़ मचाई गई थी। 29 जून को करीब 6 बजे यह घटना हुई थी। मगर, पीड़ित परिवार ने अपनी शिकायत कुछ दिन बाद दायर करवाई थी।
शिकायत के मुताबिक, हकीमुद्दीन के भाई मोहम्मद उमर से कहा गया, “तू अगर राहुल वगैरह के साथ कार्रवाई करने गया तो तुझे इस बात का मजा चखाएँगे।” जिस पर उन्होंने कहा कि वे लोग गरीब आदमी हैं, इसलिए वह उनका साथ देंगे।
बस इतना सुनते ही उन पर लात-घूँसों से हमला कर दिया गया। किसी तरह वह वहाँ से अपनी जान छुड़ाकर अपने भाई शौकत के घर में घुस गए। मगर मजलिस, मकसूद, आरिफ, सद्दाम, फारूख, लियाकत, मोमिन जुहरू, सानिर व अन्य हथियारों से लैस वहाँ भी आ गए व घर के पुरुषों के साथ-साथ घर की महिलाओं पर भी हमला बोल दिया।
इस दौरान यहूदा और कलसुम ने आमिर की पत्नी शबनम की चोटी पकड़ कर उसे मारा, वहीं 5 माह की गर्भवती घर की दूसरी बहू समीना को भी जमीन पर गिराया गया, जिसके बाद उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। घर के पुरुषों को भी बड़ी बेहरमी से पीटा गया। बर्तनों को तोड़ दिया गया। घर में डीजल का ड्रम गिरा दिया गया तथा वॉशिंग मशीन और चारा कूटने वाली मशीन को भी तोड़ दिया गया।
आरोपित पक्ष में शामिल महिलाओं (मरियम, आसूबी, आमीना, कलसुम) ने घर में खूब पत्थर बरसाए। इस बीच मोहम्मद को और उनके भाई को कमरे में बंद कर दिया गया। हालाँकि, शोर मचने के बाद पड़ोसियों ने इकट्ठा होकर उन लोगों की जान बचाई और हमलावरों को भागने पर मजबूर किया। लेकिन इन उपद्रवियों ने जाते-जाते धमकी दी, “आज इन लोगों ने बचा लिया, मौका मिलने पर तुझे जान से मार देंगे।”
दलित परिवार का साथ देने पर नहीं पढ़ने दी गई मस्जिद में नमाज
दलित परिवार के पड़ोसी हकीमुद्दीन ऑपइंडिया को बताते हैं कि इन लोगों की दबंगई गाँव में इतनी ज्यादा है कि उन्हें इस रमजान में घर के एकदम पास मस्जिद में नमाज तक पढ़ने को नहीं दी गई। वे कहते हैं कि जब उन्होंने मस्जिद में जाने की कोशिश की तो उन्हें कहा गया कि उनका उस पर कोई अधिकार नहीं है।
वहीं मोहम्मद उमर बताते हैं कि आरोपित पक्ष इतने दिन बीतने के बाद भी उन्हें आते-जाते धमकी देते हैं। वह कहते हैं कि एक उनका घर गाँव के बीच में पड़ता है। इसके कारण उन्हें दरवाजा बंद ही करके रखना पड़ता है। दूसरा पक्ष उन्हें गंदी-गंदी गालियाँ देता है।
उमर के अनुसार, उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि दूसरे दबंग पक्ष ने उनके ऊपर झूठा इल्जाम डाल दिया। उनकी मानें तो गाँव के सरपंच अलीम ने पूरे गाँव में आतंक मचा रखा है। हर जगह पैसे देकर काम कराता है।
इससे पहले याद दिला दें कि सरपंच अलीम को लेकर जॉब कार्ड के फर्जीवाड़े का मामला भी उजागर हुआ था। कई ग्रामीणों ने इस पर शिकायत दर्ज करवाई थी। जिस पर ऑपइंडिया ने एक विस्तृत रिपोर्ट की थी।
पुलिस ने कहा – ‘जल्द होंगे आरोपित अरेस्ट’
मेवात के इस गाँव में दलित परिवार पर और उनका साथ देने वाले लोगों के ख़िलाफ़ बहुसंख्यक आबादी के दबंगों पर पुलिस कार्रवाई की जानकारी लेने के लिए ऑपइंडिया ने नगीना थाने में संपर्क किया। जहाँ पुलिस ने साबिर और सलीम के मामले पर अनभिज्ञता जताई। वहीं, राहुल केस में उन्होंने बताया कि इस केस में एफआईआर दर्ज हुई थी। लेकिन बाद में हरिजन एक्ट हट गया।
इसके बाद कुछ आरोपितों को लड़ाई-झगड़े की धारा में गिरफ्तार किया गया। मगर बाद में इसकी जाँच डीएसपी पुन्हाना को सौंपी गई। डीएसपी पुन्हाना ने इस मामले में दोबारा हरिजन एक्ट लगा दिया है।
नगीना थाने में एसएचओ रमेश चंद्र के मुताबिक, अब उन्होंने इस संबंध में आरोपितों को दोबारा अरेस्ट करने के लिए अनुमति माँगी है। मामला कोर्ट में है। 7 सितंबर को सुनवाई होगी। जैसे ही फैसला आता है, फौरन इस मामले पर आरोपित अरेस्ट किए जाएँगे।