हरियाणा के मेवात में दंगे भड़क गए। इस्लामी कट्टरपंथियों ने नल्हड़ स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर को घेर कर गोलीबारी और पत्थरबाजी की। हिन्दुओं के शोभा यात्रा पर हमले के साथ हिंसा की शुरुआत आ रही थी। अब सामने आया है कि न सिर्फ पुलिसकर्मियों, बल्कि अस्पताल पर भी हमला किया गया। वहाँ स्थित अलवर अस्पताल पर हमला किया गया। ऑपइंडिया की टीम ने घटनास्थल पर छानबीन के बाद क्या कुछ पाया, ये हम आपको इस खबर में बताएँगे।
यही वो अस्पताल है, जहाँ हिंसा में घायल पुलिसकर्मियों और होमगार्ड के जवानों का इलाज चल रहा था। एक प्रत्यक्षदर्शी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भीड़ में शामिल दंगाइयों को पहले से पता था कि सुरक्षाकर्मियों के इलाज वहाँ पर चल रहे हैं।
जब हम मौके पर पहुँचे तो हमने पाया कि भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण और गुरु नानक की तस्वीर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। दीवाल पर टँगी तीनों की तस्वीरें बीच से ऐसे फटी हुई थीं जैसे इन पर किसी ने तलवार चलाई हो। अस्पताल का जो प्रेग्नेंसी वार्ड है, जहाँ गर्भवती या बच्चे को जन्म दे चुकी महिलाएँ भर्ती रहती हैं – ऐसा लगता है कि उस तरफ भी हमला किया गया था।
प्रेग्नेंसी वार्ड में तोड़फोड़, बिखरे सामान
प्रेग्नेंसी वार्ड की तरफ जाने वाले रास्ते में तोड़फोड़ की गई थी। साथ ही इसका दरवाजा भी टूटा हुआ मिला। इसका सीधा अर्थ है कि दंगाइयों ने इसे भी निशाना बनाया होगा। उस समय महिलाओं को वहाँ से भागना पड़ा होगा। भीड़ वहाँ भी पहुँची, जहाँ पुलिस और होमगार्ड के जवान इलाज करा रहे थे। यहाँ मरीजों के लिए जो बेड लगे हुए हैं, उसी के पास राम, कृष्ण और नानक की तस्वीरें थीं जिन्हें नुकसान पहुँचाया गया है।
अलवर अस्पताल की एंट्री के दरवाजे टूटे हुए हैं। एंट्री गेट में OPD के पास शीशे भी टूटे-फूटे हुए मिले। अस्पताल की दीवारों पर भी नुकसान पहुँचाए गए हैं। बिजली के तार नोच डाले गए हैं, उन्हें भी देखा जा सकता है। यहाँ तक कि CCTV कैमरों को भी नहीं छोड़ा गया। एंट्री गेट के अंदर 2 बड़े शीशे हैं, जो टूट चुके हैं। ये बताता है कि अगर कोई कहता है कि अलवर अस्पताल को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया गया, तो साफ़ है कि वो गुमराह कर रहा है।
अस्पताल में भगवान गणेश की तस्वीर भी लगी हुई है। अस्पताल में डॉ जागीर सिंह का एक बोर्ड लगा हुआ है। अस्पताल में जो घड़ियाँ दीवार पर लगी हुई हैं, उनमें भी आप गणपति की तस्वीर देख सकते हैं। प्रेग्नेंसी वार्ड का फ़िलहाल शटर गिरा कर रखा गया है, लेकिन वहाँ भी शीशे टूटे हुए हैं। शीशे के टूटे हुए दरवाजों को रस्सियों से बाँधा गया है। वहाँ मौजूद लोगों ने लाल रंग के निशान दिखाते हुए बताया कि दरवाजे पर भी तलवारें मारी गई थीं।
अस्पताल में जहाँ गंभीर रूप से घायल मरीजों का इलाज होता है, जिसे हम ‘ICU वार्ड’ भी कह सकते हैं, दंगाई वहाँ भी पहुँचे थे। इसके सबूत अब भी देखा जा सकते हैं। उस वार्ड में भी शीशे टूटे हुए हैं और एक दरवाजे में तो पूरा का पूरा शीशा ही गायब है। एंट्री गेट के ठीक बगल में लगाए गए शीशे के एक बड़े हिस्से को टूटा हुआ देखा जा सकता है। उसके ऊपर तलवार से काटे जाने के निशान भी दिखाई दे रहे हैं।
कुल मिला कर अस्पताल के 3 एंट्री गेट हैं और तीनों ही क्षतिग्रस्त हैं। लोहे के शटर वाले गेटों पर धारदार हथियार के निशान हैं, जिससे साफ़ पता चलता है कि यहाँ घुसने वाली भीड़ हथियारबंद थी। जहाँ गंभीर रूप से घायल मरीजों का इलाज चलता है, वहाँ सामान अस्त-व्यस्त बिखरे पड़े हुए हैं। साफ़ है कि न सिर्फ अस्पताल के मरीजों को जान बचा कर भागना पड़ा होगा, बल्कि कर्मचारी भी यहाँ से भागे होंगे।
एक और खास बात नोटिस करने लायक है। अस्पताल के भीतर एक दवा की दुकान है। वहाँ मेडिकल काउंटर पर ‘ज़ुबैर खान’ का नाम लिखा हुआ है। वो फर्मासिस्ट है, जिसके नाम पर दुकान है। ज़ुबैर की दुकान और उसके काउंटर पर किसी प्रकार का कोई खरोंच नहीं है। आसपास पूरे अस्पताल में तोड़फोड़ के निशान हैं, लेकिन ज़ुबैर की इस दुकान में नहीं। ये सिर्फ संयोग नहीं हो सकता। सवाल उठता है कि क्या ‘ज़ुबैर खान’ नाम देख कर दंगाइयों ने उसके मेडिकल काउंटर को नुकसान नहीं पहुँचाया?
नूँह में अस्पताल पर हमले को लेकर राजदीप सरदेसाई का प्रोपेगंडा
इस सच्चाई को बताना इसीलिए भी ज़रूरी है, ताकि मीडिया का एक गिरोह विशेष हिन्दुओं को ही इस हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराने में लगा हुआ है। राजदीप सरदेसाई ने तो स्पेशल शो कर के हिन्दुओं को ही भला-बुरा कहा और इस्लामी कट्टरपंथियों को बचाने की कोशिश की। उन्होंने इस हिंसा के लिए एकतरफा रूप से मानेसर वाले मोनू यादव को जिम्मेदार ठहरा दिया। राजदीप सरदेसाई ने ये नैरेटिव बनाने की कोशिश की कि अगर मुस्लिमों ने हिंसा की भी तो ये प्रतिक्रिया भर ही थी।
अब राजदीप सरदेसाई के ऊपर वाले ट्वीट को देखिए। वो कह रहे हैं कि एक वीडियो के आधार पर दावा किया जा रहा है कि अस्पताल में घुस कर भीड़ ने गर्भवती महिलाओं और शिशुओं पर हमला किया, धर्म के आधार पर निशाना बनाया। उन्होंने हरियाणा पुलिस के हवाले से इस खबर को झूठ बताते हुए कहा कि नूँह में जो हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण था लेकिन इस तरह की खबरों से सांप्रदायिक घृणा को और बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने ऐसे वीडियो को हटाने के लिए भी कहा।
अब जब हमने अपनी छानबीन में पाया है कि अस्पताल की एंट्री के दरवाजों के शीशे टूटे हुए हैं, भीतर वार्ड में सामान अस्त-व्यस्त हैं, दीवारों पर धारदार हथियार के निशान हैं और ज़ुबैर के मेडिकल काउंटर पर खरोंच तक नहीं है, राजदीप सरदेसाई जैसों को पूछना चाहिए कि वहाँ घुसी भीड़ ने जब ये सब किया तो मरीजों की आरती तो नहीं ही उतारी होगी? पुलिस के नकारने का एक कारण ये भी हो सकता है कि अब तक कोई शिकायत न मिली हो। मरीज तब अपनी जान बचाएँगे कि FIR दर्ज करवाने जाएँगे?