Sunday, December 22, 2024
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छत्तीसगढ़ में ‘सरकारी चावल’ से चल रहा ईसाई मिशनरियों का मतांतरण कारोबार, ₹100 करोड़ तक कर रहे हैं सालाना उगाही: सरकार सख्त

प्रत्येक परिवार से हर सदस्य प्रतिदिन एक मुट्ठी चावल दान करता है। यह चावल बड़े पैमाने पर इकट्ठा कर खुले बाजार में 25-30 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है। इस प्रक्रिया से मिशनरियों की वार्षिक आय 100 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है।

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरीबों के लिए बनाई गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) और राज्य सरकार की अन्नपूर्णा योजना के तहत दिए जा रहे राशन के दुरुपयोग को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन योजनाओं से गरीबों को वितरित किए जा रहे सरकारी चावल का ईसाई मिशनरियाँ मतांतरण के लिए दुरुपयोग कर रही हैं।

मिशनरी कुछ इस तरह से बना रहे पैसा

जानकारी के मुताबिक, मिशनरियों ने गरीब परिवारों से “एक मुट्ठी चावल योजना” के तहत अनाज इकट्ठा करना शुरू किया है। प्रत्येक परिवार से हर सदस्य प्रतिदिन एक मुट्ठी चावल दान करता है। यह चावल बड़े पैमाने पर इकट्ठा कर खुले बाजार में 25-30 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है। इस प्रक्रिया से मिशनरियों की वार्षिक आय 100 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है।

दरअसल, साल 2019 से लागू विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए या फारेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट, 2019) कानून के कारण मिशनरियों को विदेशों से धन प्राप्त करने में बाधा आई। इसके बाद से उन्होंने चावल इकट्ठा के इस अनूठे मॉडल को अपनाया, जिससे उन्हें गाँव-गाँव में मजहबी प्रचारकों को वेतन और अन्य सुविधाएँ देने का साधन मिल गया।

जशपुर और अन्य जिलों में स्थिति गंभीर

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा प्रभावित जशपुर जिला है, जहाँ ईसाई आबादी तेजी से बढ़ रही है। जशपुर में 2011 में ईसाई आबादी 1.89 लाख यानी कि कुल 22.5% आबादी ने स्वयं को ईसाई बताया था। वर्तमान में यह संख्या 35% यानी आँकड़ा 3 लाख के पार जाने का अनुमान है। मार्च 2024 में आरटीआई से पता चला कि कानूनी रूप से सिर्फ 210 लोग ही ईसाई बने। राज्य में 3.05 करोड़ लोगों में से लगभग 2.5 करोड़ लोगों को सरकारी अन्न योजनाओं का लाभ मिल रहा है।

बता दें कि छत्तीसगढ़ में 35 किलो चावल प्रति माह, चार सदस्यों वाले परिवार को दिया जाता है। यह अनाज भुखमरी और गरीबी दूर करने के लिए है, लेकिन इनका दुरुपयोग समाज में नई चुनौतियाँ खड़ी कर रहा है।

बजरंग दल के पूर्व अध्यक्ष नितिन राय के अनुसार, मिशनरियाँ चंगाई सभाओं के माध्यम से मतांतरण कर रही हैं। अन्य प्रभावित जिलों में अंबिकापुर, रायगढ़ और बलरामपुर हैं। महज इन जिलों में ही मिशनरियाँ हर साल 50-55 करोड़ रुपये जुटा रही हैं। मतांतरण के विरुद्ध सक्रिय कल्याण आश्रम के न्यायिक सलाहकार सत्येंद्र तिवारी का कहना है कि मिशनरियाँ अब सिर्फ स्कूल और अस्पतालों के लिए विदेशी फंड प्राप्त कर सकती हैं। ऐसे में सरकारी योजनाओं से मिलने वाला चावल उनका आर्थिक सहारा बन गया है।

छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री दयाल दास बघेल ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार गरीबों के लिए अनाज उपलब्ध करा रही है। अगर कुछ लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं और इसे मतांतरण के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह गंभीर मामला है। हम पूरे प्रकरण की जाँच कराएँगे।” उन्होंने कठोर कार्रवाई का वादा किया है।

कैसे हो रहा मतांतरण का आयोजन?

मिशनरियों द्वारा आयोजित चंगाई सभाएँ और धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान, अनाज का उपयोग लोगों को सहायता देने और मतांतरण के लिए प्रेरित करने में हो रहा है। 2020 में जशपुर के समरबहार गाँव में चंगाई सभा के दौरान पकड़े गए 10 लोगों ने “एक मुट्ठी चावल योजना” की जानकारी दी थी। हाल ही में जनवरी 2024 में जशपुर के जुरगुम गाँव में गिरफ्तार किए गए लोगों ने भी इसकी पुष्टि की।

छत्तीसगढ़ में सरकारी अनाज का दुरुपयोग न केवल कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि यह गरीबों की खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य को भी विफल कर रहा है। अगर इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो यह समाज में असमानता और तनाव को और बढ़ा सकता है। सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देना होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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