नागरिकता संशोधन कानून (सीएए/CAA) के तहत मोदी सरकार ने पाकिस्तानी हिंदुओं को भारत की नागरिकता देना शुरू कर दिया है। इसकी जानकारी हाल में गृह मंत्रालय ने दी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में पड़ोसी मुल्कों से भारत आए हिंदुओं को नागरिकता दी जा रही है। इसके लिए राज्य से प्राप्त आवेदनों के पहले ग्रुप को, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और उत्तराखंड की अधिकार प्राप्त समितियों ने अपने-अपने राज्यों में नागरिकता प्रदान की है।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने फिलहाल यह तो नहीं बताया है कि कितने लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई लेकिन इतना बताया है कि तीन राज्यों में प्रमाण पत्र दिए जाने का काम हुआ है। वहीं उनसे सोर्स बता रहे हैं कि बंगाल में कम से कम आठ हिंदू प्रवासियों को नागरिकता मिली है।
बता दें कि इससे पहले नई दिल्ली में भी अधिकार प्राप्त समिति ने नागरिकता प्रमाण पत्र का पहला सेट आवेदकों को सौंपा था। इस संबंध में 15 मई 2024 को गृह सचिव ने नई दिल्ली में नागरिकता (संशोधन) नियम के तहत अधिसूचना जारी की थी। उससे पूरा भारत सरकार ने 11 मार्च 20-24 को नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 अधिसूचित किया था। इसमें बताया गया था कि कैसे आवेदन किया जाएगा। उसे जिला स्तरीय समिति द्वारा कैसे जाँचा जाएगा और उसके बाद राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समितियाँ कैसे उसकी जाँच करेंगी।
उल्लेखनीय हैं कि नागरिकता संशोधन नियम के तहत जो भी आवेदन आते हैं उनकी जाँच ऑनलाइन माध्यम से की जाती है। इस नियम में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध पारसी और ईसाई समुदाय के अल्पसंख्यक समाज के लोगों को भारत में नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। इसके सिर्फ एक शर्त यह है कि ये लोग अपने मुल्क में अगर धर्म के आधार पर उत्पीड़न सहने से भारत आए हैं और 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर चुके हैं तो भारत सरकार इन्हें नागरिकता देगी।
साल 2019 में भारत सरकार द्वारा जब इस कानून को लागू करने की बात की गई थी तो देश के लिबरल गिरोह ने इस पर खूब हल्ला मचाया था। इसी के बाद जामिया से लेकर जेएनयू में हल्ला हुआ था। सीएए-एनआरसी के विरोध में शाहीन बाग की सड़क जाम करके प्रदर्शन किया गया था और बाद में अंजाम दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों तक पहुँच गया था।