कोरोना महामारी के समय में केंद्र सरकार को बदनाम करने के लिए मीडिया गिरोह ने अफवाहों का कारोबार तेज किया हुआ है। इसी क्रम में कल पत्रकार रोहिणी सिंह ने अपने ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर किया और उसे ऐसे दर्शाया जैसे वह भारत में लागू किए गए लॉकडाउन का दुष्परिणाम है।
दरअसल, रोहिणी सिंह ने मलेशिया की दुकानों में रखे चमड़ों के प्रोडक्ट्स की कुछ तस्वीरें शेयर की, जिन पर नमी के कारण पड़े धब्बे साफ दिख रहे थे। यूँ तो ट्वीट में पत्रकार रोहिणी सिंह ने यह दावा नहीं किया है कि ये भारत की ही तस्वीरें हैं, परंतु संदर्भ को देखते हुए इशारा यही प्रतीत होता है कि उस स्थिति को भारत की स्थिति बता कर आलोचना की कोशिश की जा रही है।
बस फिर क्या? उन्होंने मलेशिया की इस खबर का इस्तेमाल अपना प्रोपेगेंडा चलाने के लिए किया और तस्वीरों के साथ ट्वीट में ऐसा लिखा, जिससे देशव्यापी लॉकडाउन पर सवाल किए जाने लगे।
उन्होंने लिखा, “इन सामानों को देखिए, अगर लोगों को लॉकडाउन से पहले थोड़ा समय दिया जाता तो शायद वे लोग अपने सामानों को सुरक्षित रख पाते।”
अब हालाँकि, ये ट्वीट रोहिणी के ट्विटर से डिलीट किया जा चुका है। लेकिन झूठ फैलाने के कारण लोग उनके ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे हैं और उन्हीं के गिरोह के प्रतीक सिन्हा को इसका फैक्ट चेक करने को बोल रहे हैं। साथ ही ये भी कह रहे है कि अगर ऑल्ट न्यूज इसका फैक्ट चेक करेगा तो उनके पैसे कट जाएँगे।
@AltNews and @zoo_bear
— Priya Kulkarni (@priyaakulkarni2) May 13, 2020
Fact check karlo
Why is Rohini Singh tweeting fake pics?? pic.twitter.com/jA1sXnNU0K
वास्तविक खबर
कोरोना महामारी के कारण 50 दिन के लॉकडाउन से जूझते हुए मलेशिया में व्यापारियों ने हाल में अपना कारोबार दोबारा चालू किया। मगर, इस बीच उन्हें एक नई परेशानी से जूझना पड़ा।
दरअसल, संक्रमण का प्रभाव रोकने के लिहाज से 50 दिन तक जो दुकानें वहाँ बंद रहीं, उन दुकानों में रखे-रखे चमड़ों के प्रोडक्ट्स पर धब्बे पड़ गए। जिसके कारण कुछ व्यापारियों ने वहाँ इसे देखकर हताशा जताई। वहीं कुछ व्यापारी सकारात्मक होकर इसके समाधान पर बात करते नजर आए।
स्ट्रेटटाइम्स के अनुसार, पिनांग के पुलाऊ तिकस के एक शॉपिंग मॉल में कोल्ड वियर स्टोर के मालिक, चोंग ने बताया कि ये सब ह्यूमिडिटी के कारण हुआ होगा। उन्होंने कहा कि मॉल का तापमान एयर कंडीशनिंग पर निर्भर करता है, कभी-कभी यह ठंडा हो जाता है। इससे आसपास की हवा में नमी अचानक बढ़ जाती है और धब्बे पड़ने की संभावना भी बढ़ जाती है।
चोंग के मुताबिक, कुछ वॉलेट, चमड़े के बैग और हैंडबैग में उन्हें ये परेशानी देखने को मिली है। इन धब्बों के पड़ने से दुकान में रखा नया सामान भी कम आकर्षित लगने लगा है। लेकिन इससे उनका काम प्रभावित नहीं होगा। वे कहते हैं कि केवल साफ कपड़े पर थोड़े से तेल का इस्तेमाल करके वो इन सभी प्रोडक्ट्स को साफ कर सकते हैं।
ऐसे ही, मिस ले नाम की अन्य महिला दुकानदार ने बताया कि जब 2 महीने बाद उन्होंने अपनी दुकान खोली तो उन्हें अधिकतर सामानों पर धूल जमी मिली। उन्होंने बताया कि उनके कुछ सामान जो डिस्प्ले पर रखे थे, उनमें उन्हें धूल ज्यादा मिली, क्योंकि दुकानें बंद होने के बाद वह उस जगह को साफ करने में असमर्थ थे। मगर वे प्रोडक्ट जो उन्होंने कागजों में लपेट कर रखे थे, वे सुरक्षित हैं।
उन्होंने कहा, हमारे ज्यादातर प्रोडक्ट शुद्ध चमड़े के नहीं होते। वे या तो आर्टिफिशियल चमड़े (PU Leather) के होते हैं या फिर पीवीसी चमड़ों के। इसी लिए उनमें धब्बे कम पड़ते हैं।
भारत से होती तस्वीर तो क्या होता?
मलेशिया में व्यापारी कोरोना से आई इस परेशानी को बेहद आम बात मानकर चल रहे हैं। लेकिन भारत में मीडिया गिरोह के लिए ये तस्वीरें झूठ फैलाने का साधन बन गई हैं। सोचिए, जिन धब्बों को हटाने को लेकर मलेशिया के व्यापारी आम युक्तियाँ बता रहे हैं और कह रहे हैं कि इससे आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है, उस खबर को लेकर रोहिणी सिंह ने कैसे अपने फॉलोवर्स को बरगलाया कि देखते ही देखते इस पर 400 लोगों ने बिना सच्चाई जाने लाइक कर दिया।
सवाल उठता है अगर वास्तविकता में ये तस्वीर भारत के किसी कोने से आती, तो क्या ये अजेंडा ट्वीट डिलीट करने मात्र से खत्म होता? नहीं। तब शायद इसे पूरे राष्ट्र की परेशानी बताया जाता और इस प्रकार दर्शाया जाता जैसे मोदी सरकार द्वारा लॉकडाउन का फैसला कोरोना के समय में लिया गया सबसे गलत निर्णय है, जिसने व्यापारियों को नुकसान झेलने पर मजबूर कर दिया है।