Wednesday, November 6, 2024
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‘जहाँ गुरुग्रंथ साहिब हैं, वहाँ से अन्य मूर्तियाँ हटाओ’: निहंग सिखों की माँग के बाद इंदौर के सिंधी समुदाय ने गुरुद्वारे में जमा कराए ग्रंथ, मंदिरों में रख करते आए हैं पूजा

जत्थेदार परमजीत सिंह ने बताया, "घर के मुखिया का आसन गुरुग्रंथ साहिब से ऊपर था। जब हमने सिंधी समुदाय के नेताओं से बात की तो उन्होंने भी इस बात पर सहमति जताई कि गुरु साहिब की सबसे ऊँची सीट होनी चाहिए। सिंधी समुदाय की गुरु बानी में बहुत आस्था है और हम उनकी भावनाओं को समझते हैं।”

मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore, Madhya Pradesh) सिंधी समुदाय (Sindhi Community) के सदस्यों ने 11 जनवरी 2023 को गुरुद्वारा इमली साहिब में 80 से अधिक श्री गुरुग्रंथ साहिब जमा किए। ये पवित्र धर्मग्रंथ दशकों से सिंधी मंदिरों में रखे गए थे। यह फैसला इंदौर के एक सिंधी गुरुद्वारे में निहंग सिखों और सिंधी समुदाय के सदस्यों के बीच हुए विवाद के बाद आया।

सिंधी समुदाय ने यह फैसला निहंग सिखों (Nihang Sikhs) के एक समूह द्वारा उन मंदिरों से मूर्तियों को हटाने की माँग के बाद लिया, जहांँ गुरुग्रंथ साहिब (Shri Guru Granth Sahib) रखे गए थे। सिंधी समुदाय के वरिष्ठ सदस्यों ने ग्रंथ को जवाहर मार्ग स्थित गुरुद्वारा इमली साहिब में लाकर सम्मान के साथ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सौंप दिया।

मामला तब शुरू हुआ, जब अमृतसर के निहंग सिखों के एक समूह ने इंदौर के अन्नपूर्णा रोड स्थित सिंधी समाज मंदिर का दौरा किया। इस मंदिर में सिंधी समाज के लोग गुरुग्रंथ साहिब की भी पूजा करते थे। निहंग समूह ने इस बात पर नाराजगी जताई कि उनके पवित्र ग्रंथ को ऐसे स्थान पर रखा गया है, जहाँ मूर्तियों की पूजा की जाती है। उन्होंने इसे पवित्र ग्रंथ का अपमान बताया।

सिंधी मंदिर में गुरुग्रंथ साहिब का अपमान करने का आरोप लगाते हुए निहंग सिखों का जत्था थाने तक पहुँच गया। उन्होंने दावा किया कि जब किसी स्थान पर गुरुग्रंथ साहिब की पूजा की जाती है तो वह गुरुद्वारा बन जाता है। इसलिए उस स्थान को गुरुद्वारों पर लागू नियमों का पालन करना चाहिए। उन्होंने माँग की कि जिन सिंधी मंदिरों में सिख पवित्र पुस्तक रखी गई है, उन्हें गुरुद्वारा घोषित किया जाना चाहिए।

निहंग सिखों ने कहा कि जहाँ गुरुग्रंथ साहिब की पूजा होती है, वहाँ पूरी गरिमा के साथ पूजा की जानी चाहिए और मंदिरों से मूर्तियों को हटा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके ग्रंथी सिंधी मंदिरों में ग्रंथ की पूजा करने आएँगे। निहंगों ने आगे कहा कि अगर यह माँग नहीं मानी जाती है तो मंदिरों में ग्रंथ नहीं रखा जाना चाहिए।

इसके बाद एक निहंग सिख जत्था राजमहल कॉलोनी स्थित एक सिंधी गुरुद्वारे में गया और वहाँ से ग्रंथ उठा ले गया। उन्होंने फिर एक अल्टीमेटम जारी किया, जिसमें सिंधी समुदाय को 12 जनवरी 2023 तक पवित्र पुस्तक को जमा करने के लिए कहा गया। निहंग समूह के साथ हिंदू जागरण मंच के सदस्यों की बहस भी हुई और उन्होंने निहंगों पर समाज को तोड़ने का आरोप लगाया।

इसके बाद सिंधी समाज के संतों ने एक बैठक की और मामले को तय करने के लिए पाँच सदस्यों का एक पैनल चुना। विस्तृत विचार-विमर्श के बाद उन्होंने निहंगों की माँगों के अनुसार, सिंधी मंदिरों से गुरुग्रंथ साहिब को हटाने और उन्हें गुरुद्वारे में जमा करने का फैसला किया। सिंधी कमेटी ने कहा कि वे निहंग कमेटी के फैसले को मान रहे हैं और 12 जनवरी तक श्री गुरुग्रंथ साहिब को गुरुद्वारे में जमा करवा देंगे।

सिंधी कमिटी के सदस्यों ने कहा कि निहंग सिखों से इस मामले पर विवाद करने की जरूरत नहीं है। इससे बेहतर है कि दी गई समय सीमा तक सिंधी मंदिरों से धार्मिक ग्रंथ को हटा दिया जाए। इसके बाद उन्होंने समय सीमा से एक दिन पहले 11 जनवरी 2023 को गुरुद्वारे में ग्रंथ को जमा करा दिया।

उल्लेखनीय है कि सिंधी समुदाय लंबे समय से गुरुग्रंथ साहिब को अपने मंदिरों में रखता रहा है। गुरुग्रंथ साहिब की पूजा करना उनके कर्मकांड का हिस्सा बन गया है। इसका कारण कई सैकड़ों वर्ष पुराना है, जब अधिकांश सिंध समुदाय वर्तमान पाकिस्तान में रहा करते थे।

सिंधी हिंदू गुरु नानक की शिक्षाओं से बहुत प्रभावित थे, क्योंकि उन्होंने सिंध क्षेत्र का दौरा किया था और क्षेत्र में अपने दर्शन का प्रसार किया था। उस समय से सिंधी लोग अपने मंदिरों में गुरु नानक और गुरुग्रंथ साहिब का पालन कर रहे हैं। वे अन्य हिंदू ग्रंथों के साथ अपने मंदिरों में इसे रखते हैं।

ऐसे मंदिरों में मंदिर के एक तरफ गुरु ग्रंथ साहिब रखा जाता है और दूसरी तरफ सभी देवी-देवताओं की मूर्तियाँ रखी जाती हैं। हालाँकि, वे गीता जैसे अन्य पाठों के साथ-साथ अपने स्वयं के अनुष्ठानों के अनुसार ग्रंथ की पूजा करते हैं, न कि सिख रीति-रिवाजों के अनुसार।

सिंधी मंदिर में प्रवेश करने वाले निहंग सिखों का वीडियो आया सामने

शिरोमणि पंथ अकाली बुढ़ा दल पंजवा तख्त 96 करोड़ी चक्रवर्ती के निहंग सिखों के एक समूह ने 18 दिसंबर 2022 को इंदौर के पार्श्वनाथ कॉलोनी में स्थित एक सिंधी मंदिर का दौरा किया। उस दिन का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहा है।

इस वीडियो में एक महिला उन निहंग सिखों से बहस करती दिख रही है और कह रही कि वे सिंधी मंदिर में बिना अनुमति के घुस आए हैं। इसलिए वे बाहर चले जाएँ। दूसरी ओर निहंग सिखों ने माँग की कि श्री गुरुग्रंथ साहिब के प्रकाश को स्थापित करने के लिए सिख धर्म में निर्धारित नियमों का पालन किया जाए।

जब निहंग सिखों ने दावा किया कि उन्हें किसी भी गुरुद्वारे में प्रवेश करने का अधिकार है तो महिला ने सवाल किया कि कहाँ लिखा है कि यह एक सिख गुरुद्वारा है। निहंगों ने उसे विनम्रता से बात करने के लिए कहा, जिस पर महिला ने कहा कि वह तेज बोल रही है, क्योंकि निहंग वीडियो रिकॉर्ड कर रहे थे।

उनमें से एक निहंग ने कहा, “मेरे महाराज (श्री गुरुग्रंथ साहिब) ने मुझे यहाँ लाया है। जहाँ भी गुरुग्रंथ साहिब की स्थापना होती है, वह स्वतः ही गुरुद्वारा बन जाता है। हर घर, मंदिर और अन्य परिसर जहाँ गुरुग्रंथ साहिब हैं, हमारा घर है।”

जब महिला ने उस निहंग का नाम पूछा तो उसने कहा, “हम निहंग फौज हैं। हमारे पास व्यक्तिगत नाम नहीं हैं”। तब उन्होंने खुद की पहचान शिरोमणि पंथ अकाली बुढ़ा दल पंजवा तख्त 96 करोड़ी चक्रवर्ती के निहंग सिंह फौज (निहंग सेना) के रूप में बताई। वहीं, महिला उनका व्यक्तिगत नाम पूछना जारी रखा। उधर, निहंग यही दोहराते रहे कि श्री गुरुग्रंथ साहिब की ‘मर्यादा’ नहीं बनाए रखी गई। यहीं से मामला और गरमा गया।

एक निहंग ने महिला का मोबाइल परिसर में स्थापित ग्रंथ साहिब की ओर मोड़ने का प्रयास किया। महिला ने उसे छूने पर चेतावनी दी। महिला ने फिर सवाल किया कि वे मंदिर में कैसे घुसे। निहंग ने बताया कि वहाँ रखे गए श्री गुरुग्रंथ साहिब बिना चंदोआ साहिब और निशान साहिब के रखे हुए हैं। चंदोआ साहिब सजाए गए कपड़े से बनी छतरी होती है, जो श्री गुरुग्रंथ साहिब को ऊपर से ढँकती है। वहीं, निशान साहिब सिख धर्म का पवित्र चिह्न है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है कि वीडियो क्लिप यहीं खत्म हो जाता है। आगे जो वह सोशल मीडिया पर आए वीडियो में नहीं है।

इसके बाद मंदिर के पुजारी ने हस्तक्षेप किया और महिला और निहंग को शांत करने की कोशिश की। निहंग सिंह ने कहा, “हम यहाँ [इंदौर में] अपना बेस स्थापित कर चुके हैं। हमें पता चला कि यहाँ गुरुग्रंथ साहिब की मर्यादा का पालन नहीं हो रहा है, इसलिए हम आए।”

जब पुजारी ने उन्हें एक-दूसरे से बात करने से रोकने की कोशिश की तो निहंग ने कहा कि वे तभी आए जब उन्हें बताया गया कि मर्यादा का पालन नहीं किया जा रहा है। जब निहंग मंदिर पहुँचे तो पुजारी ने उस दिन का अनुष्ठान पहले ही पूरा कर लिया था। महिला ने बताया कि एक बार अनुष्ठान पूरा हो जाने के बाद, वे (अगले दिन तक) पवित्र पुस्तकों को नहीं खोलते हैं। हालाँकि, निहंग ग्रंथ साहिब को देखने पर जोर देते रहे।

एक निहंग ने तब उन्हें गुरुग्रंथ साहिब के सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए पालन की जाने वाली प्रक्रिया के बारे में बताया। आगे यह तय किया गया कि पुजारी उन्हें अगले दिन बुलाएँगे और निहंग फिर आएँगे और श्री गुरुग्रंथ साहिब को मंदिर में रखने के बारे में सब कुछ लिखित रूप से समझाएँगे। निहंग चाहते थे कि मंदिर में उस तख्त की ऊँचाई बढ़ाई जाए, जिस पर ग्रंथ साहिब हैं।

रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स के मुताबिक, निहंग सिखों का जत्था आए दिन सिंधी मंदिरों में जाता रहता है। 19 दिसंबर 2022 को वे 62 एक्सटेंशन, राजमहल कॉलोनी, इंदौर स्थित पूनम दीदी का गुरुद्वारा गए। सोशल मीडिया पर उपलब्ध एक छोटी क्लिप से पता चलता है कि वे श्री गुरुग्रंथ साहिब को उस मंदिर से निकाल कर ले गए।

वीडियो में एक वरिष्ठ निहंग सिख ने कथित तौर पर हिंदू सिंधी को ‘हिंदू रीति-रिवाजों का पालन नहीं करने’ और केवल एक भगवान का अनुसरण करने के लिए कहा।

सिंधी समुदाय ने इसे ‘दिल दहलाने वाला’ बताया

इस संबंध में ऑपइंडिया ने सिंधी समुदाय के लोगों से संपर्क किया। सिंधी समुदाय की 5 सदस्यीय समिति के सदस्य प्रकाश राजदेव ने ऑपइंडिया से बात करते हुए इस मामले को समझाया। उन्होंने कहा, “हम, सिंधी समुदाय के सदस्य, श्री गुरुग्रंथ साहिब में आस्था रखते हैं और सिख गुरुओं की पूजा करते हैं। हमारे पास सिंधी ठिकाना (ठिकाना सिंधी मंदिर है) में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के साथ गुरुग्रंथ साहिब हैं। 1947 में जब विभाजन हुआ तो सिंधी समुदाय के सदस्य अपने गुरुग्रंथ साहिब को सुरक्षित अपने साथ ले आए। लगभग 30-35 प्रतिशत सिंधी ठिकाना जाते हैं और उत्सवों और मौतों पर पथ रखते हैं। यह सदियों से चला आ रहा है।”

इसके बाद उन्होंने 18 दिसंबर 2022 को सिंधी समुदाय के सदस्यों और निहंग सिखों के बीच हुए विवाद के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “हमें इस मामले के बारे में सोशल मीडिया से पता चला। आगे क्या करना है, यह तय करने के लिए हमारी एक सामुदायिक बैठक हुई। हमने इस पर चर्चा करने के लिए सिख धार्मिक नेताओं से भी संपर्क किया। उन्होंने हमें अपने मंदिरों में श्री गुरुग्रंथ साहिब को रखने के लिए नियमों के अनुसार प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा। उन्होंने हमें मूर्तियों को हटाने, निशान साहिब की स्थापना करने और प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा।”

असली समस्या यहीं से समस्या शुरू हुई। सिंधी समुदाय के पुजारियों ने मंदिरों से मूर्तियों को हटाने की माँग पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “हमने उनसे कहा कि हम गरिमा बनाए रखेंगे, लेकिन मूर्तियों को नहीं हटाएँगे। इससे हमारे बीच अनबन हो गई। तब हमारे धार्मिक नेताओं ने फैसला किया कि हम सभी गुरुग्रंथ साहिब को इमली साहिब गुरुद्वारे में जमा करेंगे।”

उन्होंने कहा कि वे सिखों के साथ कोई संघर्ष नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा, “हम एक साधारण कारोबारी समुदाय हैं। हम सिख समुदाय के साथ कोई टकराव नहीं चाहते हैं। हम भाई हैं और साथ में बिजनेस करते हैं। आप समझ सकते हैं कि हमारे लिए कितनी कठिन स्थिति थी, जब सशस्त्र निहंग हमसे भिड़ गए। चूँकि कोई बीच का रास्ता नहीं था, इसलिए हमने गुरुग्रंथ साहिब को गुरुद्वारों में जमा करने का फैसला किया।”

राजदेव ने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो क्लिप में स्थिति का पूरा विवरण नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया पर जो प्रसारित किया जा रहा है और जो हुआ वह अलग है। जब हमने पूरी क्लिप देखी तो विवाद की कोई वजह नहीं थी। यह स्पष्ट था कि वे चाहते थे कि हम नियमों का पालन करें और हमें ऐसा करने में बहुत खुशी हुई। विवाद तब हुआ जब हमें मूर्तियों को हटाने के लिए कहा गया। यह हमारे समुदाय का दिल तोड़ने वाली स्थिति है।”

भारतीय सिंधु सभा के इंदौर प्रमुख रवि भाटिया ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा, “जब निहंग सिख आए तो उन्होंने कहा कि ‘इन पत्थरों को हटाओ’। सिंधी समुदाय के सदस्यों ने विरोध किया कि कैसे उन्होंने ‘पत्थर हटाओ’ कहा, क्योंकि वे भगवान राम और भगवान कृष्ण की मूर्तियाँ थीं। यह एक विवाद का कारण बना।”

उन्होंने कहा कि जब वे गुरु सिंह सभा के सदस्यों से मिले तो उन्हें बताया गया कि नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमने उन्हें कहा कि हो सकता है कि हम गुरुग्रंथ साहिब की गरिमा बनाए नहीं रख रहे हैं। हमें बताइए कि इसके लिए क्या करना होगा और वह हम करेंगे।

भाटिया ने आगे कहा, “बातचीत चल रही थी, लेकिन निहंगों ने आगे बढ़कर स्थानीय पुलिस को एक ज्ञापन सौंपा कि वे 12 जनवरी 2023 को हमारे मंदिरों से गुरुग्रंथ साहिब को हटा देंगे। हमने सोचा कि जैसा उन्होंने हमें अनुरोध किया है, यह बेहतर होगा कि हम खुद ही गुरुग्रंथ साहिब को जमा करा दें। इसके बाद उनमें से अधिकांश को हमने 11 जनवरी 2023 को जमा करा दिया।”

मंदिर गए निहंग जत्थे ने सोशल मीडिया पर कई वीडियो पोस्ट किए। 9 जनवरी 2023 को डाले गए एक वीडियो में गुरुग्रंथ साहिब को पहले मंदिर से इंदौर के गुरुद्वारा इमली साहिब ले जाया गया। आगे के सोशल मीडिया पोस्ट और रिपोर्टों से पता चलता है कि बाकी बचे गुरुग्रंथ साहिब को 11 जनवरी 2023 को जमा किया और लगभग 12 बचे ग्रंथ साहिब को 12 जनवरी 2023 को दे दिया गया।

वे गुरुग्रंथ साहिब वापस ले सकते हैं

ऑपइंडिया से बात करते हुए श्री गुरु सिंह सभा के मुख्य सचिव जसबीर सिंह गाँधी ने कहा, “सिंधी समुदाय के साथ हमारा कोई विवाद नहीं है। गुरबानी सभी के लिए है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। केवल एक चीज यह है कि उन्हें गुरुग्रंथ साहिब रखने के लिए नियमों का पालन करना चाहिए। एक बार जब वे निर्देशों का पालन करते हैं और सिख समुदाय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार व्यवस्था करते हैं तो वे गुरुद्वारा से गुरु ग्रंथ साहिब को वापस लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं।”

निहंग सिखों ने सोशल मीडिया नाराजगी पर प्रतिक्रिया दी

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर नाराजगी के बाद निहंग सिखों ने एक वीडियो बयान जारी किया है। लुधियाना स्थित बूढ़ा दल के जत्थेदार परमजीत सिंह ने कहा, “हमें इंदौर से जानकारी मिली कि एक सिंधी परिवार ने श्री गुरुग्रंथ साहिब को अपने घर के एक मंदिर में रखा है, लेकिन वे मर्यादा का पालन नहीं कर रहे हैं। हमने बुढ़ा दल के सदस्यों को जाँच के लिए इंदौर भेजा। उन्होंने मंदिर में कई विसंगतियाँ पाईं।”

परमजीत सिंह ने आगे बताया, “मुख्य मुद्दा यह था कि घर के मुखिया का आसन गुरुग्रंथ साहिब से ऊपर था, जिससे हमें दुख हुआ। जब हमने सिंधी समुदाय के नेताओं से बात की तो उन्होंने भी इस बात पर सहमति जताई कि गुरु साहिब की सबसे ऊँची सीट होनी चाहिए। सिंधी समुदाय की गुरु बानी में बहुत आस्था है और हम उनकी भावनाओं को समझते हैं। अब गुरुग्रंथ साहिब गुरुद्वारा पहुँच गए हैं और मामले को बढ़ाने का कोई कारण नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई गुरुग्रंथ साहिब को घर पर रखना चाहता है तो उसे ऐसा तब करना चाहिए, जब वे उनकी मर्यादा बनाए रख सकें अन्यथा इससे बचना चाहिए। सिंधी समुदाय को लेकर परमजीत सिंह ने कहा, “अगर वे श्री गुरुग्रंथ साहिब की गरिमा बनाए रख सकते हैं तो वे उन्हें वापस ले सकते हैं।”

हालाँकि, उन्होंने कहा कि बुढ़ा दल और श्री गुरु सिंह सभा के सदस्य गुरुग्रंथ साहिब को वापस लेने से पहले यह सुनिश्चित करेंगे कि सब कुछ नियमानुसार हो। उन्होंने कहा, “इसे हिंदू-सिख का मामला न बनाएँ। सभी धर्म समान हैं। गुरु साहिब ने सभी के लिए अपना बलिदान दिया।ठ इसके बाद उन्होंने सिख समुदाय के सदस्यों से शांति बनाए रखने का अनुरोध किया।

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B.Sc. Multimedia, a journalist by profession.

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