Friday, November 15, 2024
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शिमला में ताश के पत्तों की तरह ढह गई 7 मंजिला इमारत: VIDEO देख लोगों के खड़े हो गए रोंगटे, आस-पास के मकानों पर भी संकट

इनमें से ज्यादातर के नक्शे पास नहीं हैं, जहाँ सात मंजिला भवन ढहा है उसके नीचे की ओर नाले के पास बने भवनों में भी कुछ दिन से दरारें आना शुरू हो गई हैं। इनमें से कई मकानों की नींव और बेसमेंट भी ढह चुकी है। यदि बारिश जारी रहती है तो इस पहाड़ी पर बने आधा दर्जन भवन जमींदोज हो सकते हैं।

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के कच्चीघाटी इलाके में गुरुवार (सितंबर 30, 2021) शाम भूस्खलन के चलते सात मंजिला भवन भरभराकर ढह गया। भवन के मलबे से पहाड़ी के निचली तरफ बना दो मंजिला भवन और एक मकान भी मलबे में तबदील हो गए। वहीं, आधा दर्जन भवनों को भी खतरा हो गया है। प्रशासन ने गिरने से पहले ही सात मंजिला भवन को खाली करवा लिया था। भवन में रहे आठ परिवारों के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था। इसलिए किसी तरह के जान-माल की हानि नहीं हुई।

स्थानीय लोगों के अनुसार करीब दो हफ्ते पहले ही भवन की नींव से मलबा खिसकने लगा था। मौके पर पहुँचे नगर निगम उपमहापौर शैलेंद्र चौहान ने बताया कि यह सात मंजिला मकान गुरमीत सिंह का है जो रामबाजार में कारोबारी हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार करीब दो हफ्ते पहले ही भवन की नींव से मलबा खिसकने लगा था। आसपास के कई और मकानों में भी दरारें देखी गई थीं। भवन को बचाने के लिए कारोबारी ने नींव के समीप रिटेनिंग वॉल लगाने का फैसला लिया।

कुछ दिन पहले ही यह रिटेनिंग वॉल लगाई गई। लेकिन बुधवार (सितंबर 29, 2021) को इसमें भी दरारें पड़ गईं। इसकी नींव के पास बना एक मकान भूस्खलन से ढह गया। यहाँ बने निगम के शौचालय भी मलबे में तबदील हो गए। सात मंजिला भवन पहले टेढ़ा होकर साथ लगते एक और भवन पर टिक गया। फिर शाम में यह दूसरे भवन की रेलिंग और छज्जे तोड़ते हुए ढह गया। बता दें, कच्चीघाटी का यह इलाका सिंकिंग जोन है। एनएच से सटे इस क्षेत्र में कई बहुमंजिला भवन बने हैं। 

बताया जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर भवनों के नक्शे पास नहीं हैं, जहाँ सात मंजिला भवन ढहा है उसके नीचे की ओर नाले के पास बने भवनों में भी कुछ दिन से दरारें आना शुरू हो गई हैं। इनमें से कई मकानों की नींव और बेसमेंट भी ढह चुकी है। यदि बारिश जारी रहती है तो इस पहाड़ी पर बने आधा दर्जन भवन जमींदोज हो सकते हैं। एक साथ कई भवनों में दरारें पड़ने के बाद किराएदारों और भवन मालिकों ने भी यहाँ से पलायन शुरू कर दिया है।

नगर निगम के आर्किटेक्ट प्लानर देवेंद्र मिस्टा ने बताया कि भवन का नक्शा पास है या नहीं इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। भवन मालिक से इसका रिकॉर्ड माँगा जा रहा है। भवनमालिक कह रहे हैं कि उन्होंने साडा से इसे पास करवाया है। ऐसे में दस्तावेज देखने के बाद ही कुछ बता पाएँगे। फिलहाल साथ लगते असुरक्षित भवनों को खाली करवा दिया गया है। वहीं उपमहापौर शैलेंद्र चाौहान ने बताया कि पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन के कारण यहाँ भारी तबाही हुई है। कई और मकानों को अभी भी खतरा बरकरार है। नगर निगम अपनी ओर से हर संभव मदद कर रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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