मुनव्वर राना द्वारा महर्षि वाल्मीकि को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के मामले में वो बुरे फँसे हैं। इस मामले में शायर (विवादित, चोरी का इल्जाम भी) को बड़ा झटका देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने और एफआईआर को रद्द करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
लखनऊ खंडपीठ की 2 सदस्यीय पीठ ने मामले में अपना फैसला सुना दिया है। इसके बाद अब राना पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। इस बीच गुरुवार (2 अगस्त 2021) की रात को खंडपीठ के फैसले के बाद शायर की अचानक से तबीयत खराब हो गई, जिसके बाद उन्हें एसजीपीजीआई में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है।
इस मामले में मुनव्वर राना के खिलाफ अखिल भारतीय हिंदू महासभा और सामाजिक सरोकार फाउंडेशन ने लखनऊ के हजरतगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। राना के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट समेत आईपीसी की धारा 153-ए, 501 (1) और 295-ए के अंतर्गत केस दर्ज किया गया था। इसके अलावा उनके खिलाफ पिछले महीने मध्य प्रदेश के गुना जिले में भी महर्षि वाल्मीकि को लेकर विवादित टिप्पणी करने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।
तालिबान से की थी महर्षि वाल्मीकि की तुलना
गौरतलब है कि बीते दिनों न्यूज नेशन चैनल पर दीपक चौरसिया के साथ बात करते हुए मुनव्वर राना ने महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से की थी। उन्होंने कहा था कि जो जिंदगी भर रूस और अमेरिका से लड़े हों तो सोचो उन पर कितने जुल्म हुए होंगे।
इसके साथ ही राना ने महर्षि वाल्मीकि को लेकर कहा था, “वाल्मीकि रामायण लिख देता है तो वो देवता हो जाता है, उससे पहले वो डाकू होता है। इंसान का कैरेक्टर बदलता रहता है। वाल्मीकि का जो इतिहास था, उसे तो हमें निकालना पड़ेगा न। हमें तो अफगानी अच्छे लगते हैं। वाल्मीकि को आप भगवान कह रहे हैं, लेकिन आपके मजहब में तो किसी को भी भगवान कह दिया जाता है। वो लेखक थे। उनका काम था रामायण लिखना, जो उन्होंने किया।”