मथुरा के नंदबाबा मंदिर में जबरन नमाज पढ़े जाने को लेकर विवादों में आए फैजल खान ने कहा है कि वो कई दिनों की यात्रा पर था और हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए उसने ऐसा किया। खुदाई खिदमतगार संगठन से जुड़े फैजल खान का कहना है कि वो अपने साथियों के साथ मंदिर में गया था और लोगों से एकता की बात कर रहा था, तभी नमाज का समय हो गया। उसके साथ चाँद मोहम्मद और दो गाँधीवादी कार्यकर्ता भी थे।
अब उसने दावा किया है कि जब नमाज का वक्त हो गया तो मंदिर के ही लोगों ने उसे नमाज पढ़ने के लिए जगह दी। उसका दावा है कि उसे वहाँ खाना भी खिलाया गया। इसके 3 दिन बाद इस घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ और फैजल खान को गिरफ्तार कर लिया गया है। वो नंदबाबा मंदिर में नमाज पढ़ कर दिल्ली भी लौट चुका था। सोमवार (नवंबर 2, 2020) को उसे जामिया नगर से गिरफ्तार किया गया।
मंदिर के सेवायत कान्हा गोस्वामी की तहरीर पर बरसाना पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153A, 295, 505 के तहत केस दर्ज किया है। फैजल का कहना है कि उसने पुजारी के कहने पर नमाज पढ़ी और इसे लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। वहीं अब कुछ लोगों ने तो मंदिर में नमाज पढ़ने वालों का समर्थन भी शुरू कर दिया है। उसे हिन्दू-मुस्लिम एकता का चैंपियन बताया जा रहा है।
लेखक हृदयेश जोशी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वो फैजल ख़ान को कई सालों से जानते हैं। उन्होंने दावा किया कि वह कट्टरता के खिलाफ लड़ रहा है। साथ ही उन्होंने लिखा कि अपने धर्म के लोगों के बीच अनपढ़ता और बेवकूफी को मिटाने के लिए वो काम कर रहा है। उन्होंने लिखा कि फैसल खान का एक ही नारा है कि अगर नफरत फैलाई जा सकती है तो मोहब्बत को भी वायरल किया जा सकता है।
उन्होंने लॉकडाउन के दौरान हज़ारों लोगों तक अनाज़ और ज़रूरी चीज़ें पहुंचाई। उनका संगठन है खुदाई खिदमतगार। जो मूर्ख नहीं जानते कि खुदाई खिदमतगार क्या है किसने शुरु किया और क्या मकसद था वह गूगल कर सकते हैं।
— Hridayesh Joshi (@hridayeshjoshi) November 3, 2020
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “उन्होंने लॉकडाउन के दौरान हज़ारों लोगों तक अनाज़ और ज़रूरी चीज़ें पहुँचाईं। उनका संगठन है खुदाई खिदमतगार। जो मूर्ख नहीं जानते कि खुदाई खिदमतगार क्या है, किसने शुरू किया और क्या मकसद था, वो गूगल कर सकते हैं। टीवी के एंकरों ने हमेशा की तरह कल से ही प्रोपेगेंडा फैलाना शुरू कर दिया था। उनसे इससे अधिक उम्मीद भी नहीं की जा सकती।” इसी तरह कई अन्य लिबरलों ने भी फैजल का समर्थन किया।
फैजल खान ने पुजारी के ही मत्थे सब कुछ मढ़ते हुए कहा कि वो लोग तो नमाज पढ़ने के लिए मंदिर से बाहर जाना चाहते थे, लेकिन पुजारी ने ही कहा कि वो उस जगह पर हैं, जहाँ लोग नमाज पढ़ते हैं, इसीलिए वहाँ नमाज पढ़ना एकदम जायज है। जबकि मंदिर प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने नमाज पढ़ने के लिए अनुमति नहीं माँगी थी, बल्कि दर्शन की बात कही थी और बाद में धोखे से नमाज पढ़ते हुए तस्वीरें वायरल कर दीं।
गौरतलब है कि गुरुवार (अक्टूबर 29, 2020) को नन्दगाँव के प्रसिद्ध नंदबाबा मंदिर में दोपहर को दो युवक अपने साथियों के साथ हरी टोपी लगा कर पहुँचे। एक व्यक्ति ने अपना नाम फैजल खान बताया और अपने साथ आए साथियों का परिचय मोहम्मद चाँद, नीलेश गुप्ता और आलोक रतन के रूप में दिया। उन लोगों ने बताया कि वो मंदिर के सेवायत पुजारी कान्हा गोस्वामी के दर्शन हेतु आए हैं और हिन्दू-मुस्लिम एकता में विश्वास रखने वाले लोग हैं।
दिलचस्प बात यह है कि जिस फेसबुक आईडी से तस्वीरें वायरल की गई थी, वह वह पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के चार कट्टरपंथी इस्लामवादियों का मुखर वकील है, जिन्हें हाथरस के रास्ते में पकड़ा गया था। इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट में ट्रांसफर होने से पहले इस मामले को बरसाना थाने ने उठाया था। इसके साथ ही इस बात की भी जाँच शुरू कर दी गई है कि तस्वीर को वायरल करने के पीछे क्या मंशा थी।