पश्चिम बंगाल में नारदा केस में गिरफ्तार नेताओं की तबीयत जेल में बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इनमें मदन मित्रा, सोवन चटर्जी और सुब्रत मुखर्जी शामिल हैं। इन्हें एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
सोमवार (17 मई 2021) को चार नेताओं की टीएमसी ने इस केस में गिरफ्तारी की थी। जिन नेताओं की गिरफ्तारी की गई थी उनमें ममता बनर्जी की मौजूदा सरकार के मंत्री फिरहाद हाकिम और सुब्रत मुखर्जी शामिल हैं। सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस के विधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को भी गिरफ्तार किया गया था।
इनकी गिरफ्तारी के बाद से राज्य का राजनीतिक पारा गरम है। गिरफ्तारी की खबर मिलते ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद सीबीआई दफ्तर पहुँच गईं थी। वहॉं धरने पर बैठते हुए उन्होंने एजेंसी को खुद की गिरफ्तारी की चुनौती दी। TMC कार्यकर्ताओं ने जाँच एजेंसी के दफ्तर पर पत्थरबाजी और बैरिकेड तोड़कर भीतर दाखिल होने की कोशिश भी की थी।
West Bengal: Police brings TMC leader Subrata Mukherjee to SSKM Hospital, Kolkata.
— ANI (@ANI) May 18, 2021
CBI arrested Mukherjee and 3 others in connection with Narada case yesterday. pic.twitter.com/B8Vg7Nruh9
बाद में चारों नेताओं को सीबीआई की विशेष अदालत ने जमानत दे दी। लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। इसके बाद इन नेताओं को सोमवार की रात प्रेसिडेंसी जेल भेज दिया गया। जेल पहुँचने के कुछ घंटों के बाद ही सुब्रत मुखर्जी ने तबीयत खराब होने की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें एसएसकेएम अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद मित्रा और चटर्जी को भी तबीयत खराब होने पर अस्पताल लाया गया।
इससे पहले हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी के नेतृत्व में धरने और ट्रायल कोर्ट परिसर में हजारों समर्थकों के साथ राज्य के कानून मंत्री की मौजूदगी को लेकर आपत्ति दर्ज की थी। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर नेताओं को गिरफ्तार किए जाने के बाद इस तरह की घटनाएँ होती हैं तो लोगों का न्यायपालिका में विश्वास खत्म हो जाएगा।
इसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और जस्टिस अर्जित बनर्जी ने अगले आदेश तक गिरफ्तार नेताओं को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा, “न्यायिक व्यवस्था में नागरिकों का विश्वास होना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये उनके लिए अंतिम विकल्प है। लोगों को ऐसा लग सकता है कि कानून-व्यवस्था की जगह भीड़तंत्र हावी है। खासकर ऐसे मामले में, जहाँ राज्य की मुख्यमंत्री CBI दफ्तर में भीड़ का नेतृत्व कर रही हों और कानून मंत्री अदालत के परिसर में। अगर आप कानून के राज़ में विश्वास रखते हैं तो ऐसी घटनाएँ नहीं होनी चाहिए।”