झारखंड के गिरिडीह जिले में पार्श्वनाथ की पहाड़ियों पर स्थित जैन समाज के प्रसिद्ध तीर्थस्थल ‘सम्मेद शिखरजी’ को पर्यटन स्थल के रूप में नहीं विकसित किया जाएगा। जैन समाज के लोगों के विरोध प्रदर्शन और उनकी माँगों को ध्यान रखते हुए केंद्र सरकार ने झारखंड सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है।
इस मामले को लेकर केंद्र सरकार ने एक कमिटी बनाई है और झारखंड सरकार से कहा है कि इस समिति में वह 2 सदस्यों को शामिल करे। इस समिति में एक सदस्य स्थानीय जनजातीय समुदाय से शामिल किया जाए। यह निर्णय ऐसे समय में सामने आया है, जब केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जैन समाज के लोगों से मुलाकात की।
केंद्रीय मंत्री यादव ने इस बारे में ट्वीट करते हुए कहा, “सम्मेद शिखर की पवित्रता बनाए रखने की माँग करने वाले जैन समुदाय के लोगों से मिला। उन्हें विश्वास दिलाया कि पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार सम्मेद शिखर सहित उनके सभी धार्मिक स्थलों पर जैन समुदाय के अधिकारों को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने आगे कहा, “सम्मेद शिखर पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य और तोपचांची वन्यजीव अभयारण्य के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र में आता है। निषिद्ध गतिविधियों की एक सूची है, जो नामित पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र में और उसके आसपास नहीं हो सकती है। प्रतिबंधों का अक्षरशः पालन किया जाएगा।”
Sammed Shikhar falls in the eco-sensitive zone of Parasnath Wildlife Sanctuary and Topchanchi Wildlife Sanctuary.
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) January 5, 2023
There is a list of prohibited activities that can't take place in and around the designated eco-sensitive area. Restrictions will be followed in letter and spirit. pic.twitter.com/rpJ7tpWhnD
भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी ज्ञापन में कहा गया है, गिरिडीह जिले में सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र और उसके आसपास वन्यजीव अभयारण्य और पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र है। इस संबंध में राज्य सरकार को निर्देशित किया जाता है कि वह पारसनाथ प्रबंधन योजना, जो पूरे पारसनाथ पर्वत क्षेत्र की रक्षा करता है, के खंड 7.6.1 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाए।”
मंत्रालय द्वारा जारी ज्ञापन में आगे कहा गया है, “इन प्रावधानों के तहत पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब, ड्रग्स एवं अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री करना; तेज संगीत बजाना या लाउडस्पीकर का उपयोग करना; धार्मिक महत्व के पवित्र स्थल जैसे कि स्मारक, झीलें, चट्टानें, गुफाएँ, मंदिर आदि को छूना या प्रदूषित करने, ट्रैकिंग करना, पालतू जानवरों के साथ आने आदि की इजाजत नहीं है।”
पर्यावरण मंत्रालय ने झारखंड सरकार को यह भी कहा कि पारसनाथ पर्वत क्षेत्र के इलाके में शराब एवं मांसाहारी खाद्य पदार्थों के उपभोग एवं बिक्री पर प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करे। सम्मेद शिखरजी जैन धर्म का सबसे पवित्र और पूजनीय तीर्थस्थल है और मंत्रालय जैन समुदाय के साथ-साथ पूरे देश के लिए इसकी पवित्रता और महत्व को स्वीकार करता है।
बता दें कि झारखंड सरकार द्वारा पारसनाथ पर्वत क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा के बाद जैन समाज के लोग सड़कों पर उतर आए हैं। जैन समाज के लोग राजधानी दिल्ली से लेकर मुंबई, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान सहित पूरे देश में सरकार के इस फैसले को रद्द करने की माँग कर रहे थे।