वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार (23 अगस्त) को नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन यानी एनएमपी प्रोग्राम को लॉन्च किया। इस दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को यह समझना होगा कि हमारी संपत्ति का अधिकतम लाभ उठाने का समय आ गया है। सरकार केवल अंडर-यूटिलाइज्ड एसेट्स को ही बेचेगी। इसका हक सरकार के पास ही रहेगा, जबकि प्राइवेट सेक्टर के पार्टनर्स को तय समय के बाद अनिवार्य रूप से वापस करना होगा।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम कोई जमीन नहीं बेच रहे हैं। केवल इसमें निजी हिस्सेदारी लाकर हम इसे बेहतर तरीके से मॉनेटाइज (मुद्रीकरण) करने जा रहे हैं। मॉनेटाइजेशन के बाद जो भी संसाधन प्राप्त किए जाएँगे, उससे हम आगे आधारभूत ढाँचा खड़ा करने के लिए बेहतर ढंग से निवेश करेंगे।
इस मौके पर नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन ने साल 2022 से 2025 तक 4 वर्ष की अवधि में केंद्र सरकार की कोर एसेट के माध्यम से 6 लाख करोड़ रुपए की कुल मुद्रीकरण क्षमता का अनुमान लगाया है। यानी सरकारी बुनियादी ढाँचा संपत्तियों को निजी क्षेत्र को कमाई के लिए लीज पर देकर केंद्र की मोदी सरकार करीब 6 लाख करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी कर रही है। इसमें सड़क, परिवहन और राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन और प्राकृतिक गैस, नागरिक उड्डयन, शिपिंग बंदरगाह और जलमार्ग, दूरसंचार, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, खनन, कोयला और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन में शामिल हैं।
अमिताभ कांत ने कहा, “हम नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन को कामयाब बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। हमें लगता है कि बेहतर ऑपरेशन और मैनेजमेंट के लिए प्राइवेट सेक्टर में आना बेहद जरूरी है। इसलिए हम जमीनी स्तर पर मजबूती से काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
बता दें कि मोदी सरकार नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन में अपनी ब्राउनफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर संपत्तियों से पैसे जुटाने की योजना बना रही है। NMP केंद्र सरकार के 4 साल की योजनाओं के हिसाब से बनी एक योजना है। इसे सरकार की एसेट मॉनेटाइजेशन इनीशिएटिव के हिसाब से मध्यम अवधि का एक रोड मैप कहा जा सकता है।