Thursday, October 31, 2024
Homeदेश-समाजभारत का वो जगह जहाँ महात्मा गाँधी की मूर्ति 11 सालों से नहीं लगाई...

भारत का वो जगह जहाँ महात्मा गाँधी की मूर्ति 11 सालों से नहीं लगाई जा सकी: लक्षद्वीप में अलिखित ‘इस्लामी कानून’?

2010 में महात्मा गाँधी का पुतला लक्षद्वीप भेजा गया। स्थापित अभी तक नहीं हो पाया। तब लक्षद्वीप के कलेक्टर ने किसी भी प्रकार के मजहबी पहलू से इनकार किया था लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में मुस्लिमों के कड़े विरोध की चर्चा थी। लक्षद्वीप में 98% जनसंख्या मुस्लिमों की है।

हाल ही में लक्षद्वीप राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना हुआ है। कभी मुख्य धारा की चर्चा से दूर रहने वाला लक्षद्वीप विपक्षी नेताओं द्वारा भाजपा सरकार और लक्षद्वीप के प्रशासक की आलोचना का माध्यम बन गया है। दरअसल लक्षद्वीप के प्रशासन ने कुछ कानूनों को मंजूरी दी है, जिसके कारण भारतीय द्वीप समूह के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ विपक्षी नेता और लक्षद्वीप के स्थानीय लोग लामबंद हो रहे हैं। इन कानूनों में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए दो संतान का नियम, गाय और बैल के अवैध कत्ल पर बैन और पर्यटन को बढ़ाने के लिए शराब की बिक्री शुरू करने की बातें शामिल हैं।

विरोध करने वालों में कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी प्रमुख रूप से शामिल हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि लक्षद्वीप के प्रशासन ने जिन कानूनी परिवर्तनों को मंजूरी दी है वो लक्षद्वीप के स्थानीय समुदाय के ‘सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं’ पर एक आघात है। इस मामले पर कॉन्ग्रेस ने केरल हाई कोर्ट में याचिका दायर की और लक्षद्वीप में किए जाने वाले सुधारों पर रोक लगाने की माँग की लेकिन शुक्रवार (28 मई) को कॉन्ग्रेस की याचिका खारिज कर दी गई।  

हालाँकि अचानक से यह विरोध नहीं शुरू हुआ है। इस विरोध के पीछे एक बड़ी वजह है। लक्षद्वीप में मुस्लिमों की बहुसंख्यक आबादी है, जो कि लक्षद्वीप की कुल आबादी का लगभग 98% है। जहाँ इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम होंगे, वहाँ विपक्षी नेताओं को अवसर दिख ही जाएगा, सो दिख गया।

लक्षद्वीप के मुस्लिमों के विरोध से जुड़ा एक और किस्सा है। किस्सा 11 साल पुराना है। तब यूपीए के शासनकाल में मुसलमानों के विरोध के कारण लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती में महात्मा गाँधी का पुतला स्थापित नहीं हो सका था क्योंकि पुतला इस्लाम में हराम है।  

यूपीए सरकार ने गाँधी जयंती के दिन लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती में महात्मा गाँधी का पुतला स्थापित करने का निर्णय लिया था। इसके लिए सितंबर 2010 में एमवी अमीनदीवी जलयान में महात्मा गाँधी का 2 लाख रुपए की लागत से बना पुतला लक्षद्वीप भेजा गया। महात्मा गाँधी की वह अर्ध-मूर्ति लक्षद्वीप में जलयान से उतारी भी नहीं जा सकी क्योंकि लक्षद्वीप के मुस्लिमों ने ऐसे किसी भी पुतले को लक्षद्वीप में स्थापित करने का विरोध कर दिया था। लक्षद्वीप में 98% जनसंख्या मुस्लिमों की है।

हालाँकि प्रशासन ने ‘खराब मौसम’ का हवाला दिया था लेकिन सच तो यह है कि महात्मा गाँधी के पुतले का विरोध मुस्लिमों ने इसलिए किया था क्योंकि उनका कहना था कि किसी भी पुतले या मूर्ति को स्थापित करने से समुदाय की मजहबी भावनाओं को ठेस पहुँचेगी।

केरल के कुछ स्थानीय मीडिया समूहों की रिपोर्ट्स के अनुसार स्थानीय मुस्लिम यह मानते हैं कि यदि कोई पुतला स्थापित कर दिया गया तो मुस्लिमों को उसे सम्मान देना और फूलों से सजाना होगा जो कि हिन्दुत्व का एक हिस्सा है और शरिया कानून का उल्लंघन करता है। यही कारण था कि लक्षद्वीप के मुस्लिमों ने कवरत्ती में महात्मा गाँधी की अर्ध-मूर्ति की स्थापना का विरोध किया था।

आपको बता दें कि किसी मूर्ति या पुतले की पूजा करना इस्लाम में वर्जित है। चूँकि इस्लाम मात्र एक अल्लाह को मानता है, ऐसे में किसी मूर्ति की पूजा करना इस्लाम में ‘हराम’ या पाप माना गया है।

लक्षद्वीप में मुस्लिमों के विरोध के बाद जलयान एमवी अमीनदीवी महात्मा गाँधी की अर्ध-मूर्ति के साथ वापस कोच्चि आ गया और एक दिन बाद फिर यह कवरत्ती भेजा गया। तब इस मामले पर लक्षद्वीप के कलेक्टर एन वसंत कुमार ने किसी भी प्रकार के मजहबी पहलू से इनकार किया था लेकिन तभी यह जानकारी भी सामने आई थी कि प्रशासन ने मुस्लिमों के कड़े विरोध के चलते कवरत्ती में महात्मा गाँधी के पुतले की स्थापना की योजना रद्द कर दी थी।

11 साल होने को आए लेकिन महात्मा गाँधी की वह अर्ध-मूर्ति लक्षद्वीप में स्थापित नहीं हो सकी है। इस दौरान कई बार महात्मा गाँधी की वह अर्ध-मूर्ति कोच्चि से कवरत्ती के बीच भटकती रही। अब ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि अर्ध-मूर्ति लक्षद्वीप के प्रशासनिक कार्यालय में रखी हुई है और स्थापित होने की राह देख रही है। लक्षद्वीप में मुस्लिमों का विरोध बढ़ता जा रहा और धर्मनिरपेक्षता एवं अहिंसा की पहचान महात्मा गाँधी का वह पुतला अभी भी इस उम्मीद में है कि शायद कभी उसे वहाँ ले जाया जाएगा, जिसके लिए उसे लक्षद्वीप लाया गया था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘द हिंदू’ के पत्रकार ने दफ्तर खरीदने के लिए कारोबारी से लिए ₹23 लाख, बीवी की जन्मदिन की पार्टी के नाम पर भी ₹5...

एक कारोबारी से ₹28 लाख की ठगी के मामले में पुलिस ने अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' के 'पत्रकार' महेश लांगा के खिलाफ तीसरी FIR दर्ज की है।

राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पहली दीवाली मना रही अयोध्या, जानिए क्यों इसे कह रहे ‘महापर्व’: दीपदान की तैयारियों से लेकर सुरक्षा तक...

अयोध्या के एक महंत ने कहा कि उनकी उम्र 50 साल से अधिक हो रही है, पर इतनी भव्य दीपावली उन्होंने पहले कभी नहीं देखी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -