लक्षद्वीप एक मुस्लिम बहुल (98 फीसद) केंद्र शासित प्रदेश है, जहाँ दशकों से शुक्रवार के दिन छात्रों को स्कूल में अवकाश दिया जाता था। हालाँकि, अब यह नियम बदल दिया गया है। हर जगह की तरह द्वीप के स्कूलों में भी छुट्टी शुक्रवार को नहीं रविवार को दी जाएगी। लक्षद्वीप एजुकेशन डिपार्टमेंट ने एक नया कैलेंडर बनाते हुए सभी स्कूलों के लिए शुक्रवार को वर्किंग डे और रविवार को छुट्टी देने का ऐलान किया है।
इस मसले पर निर्णय लेने के लिए कई जगह प्रशासन को सराहा जा रहा है। लोगों का कहना है लक्षद्वीप भारत का हिस्सा है और यहाँ भारत जैसे ही नियम होने चाहिए। लेकिन, इसी बीच लक्षद्वीप में कुछ लोग इसके विरोध में भी हैं। जैसे- सांसद मोहम्मद फैजल ने कहा कि 6 दशक पहले शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जब द्वीपों में स्कूल खुले थे, तो शुक्रवार को छुट्टी करने का फैसला किया गया था और शनिवार को हाफ डे होता था। हालिया फैसला स्कूलों के किसी भी निकाय, जिला पंचायत या स्थानीय सांसद के साथ चर्चा किए बगैर लिया गया है।
Lakshadweep Education Department in an order (dated December 17) declared all Sundays as holidays for schools, with 6 working days; order to be effective from 2021-22 academic year.
— ANI (@ANI) December 21, 2021
Earlier, Fridays were holidays. pic.twitter.com/tNhOpmceXb
फैजल ने पीटीआई से कहा, “ऐसा निर्णय जनता के अधिकार के लिए उचित नहीं है, यह प्रशासन का एकतरफा फैसला है। जब कभी स्थानीय व्यवस्था में ऐसे बदलाव लाए जाते हैं तो लोगों से चर्चा होनी चाहिए।” इसी तरह लक्षद्वीप जिला पंचायत के उपाध्यक्ष और पार्षद पीपी अब्बास ने लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के सलाहकार को पत्र लिखकर इस निर्णय पर दोबारा विचार करने को कहा है।
वहीं आधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्रशासन ने ‘संसाधनों का उचित उपयोग और सीखने की प्रक्रिया की आवश्यक योजना’ सुनिश्चित करने के लिए स्कूल के समय और नियमित स्कूल गतिविधियों को संशोधित किया है।
नए कानून बनने का हो चुका है विरोध
बता दें कि लक्षद्वीप में लाए जा रहे बदलावों के विरोध में पहली दफा आवाजें नहीं उठीं। इसी वर्ष मई माह में जब लक्षद्वीप के नए प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल द्वारा नए सुधारों और नए नियमों को लाने का आदेश जारी हुआ था, उस समय भी ऐसा सियासी भूचाल आया था। लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल खोड़ा द्वारा किए जा रहे प्रशासनिक सुधारों का कॉन्ग्रेस समेत सभी विपक्षी दल कड़ा विरोध कर रहे थे। उनका दावा था कि नए नियम द्वीप पर रहने वाली मुस्लिम आबादी की धार्मिक भावनाओं को आहत करेंगे। इन कानूनों में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए दो संतान का नियम, गाय और बैल के अवैध कत्ल पर बैन और पर्यटन को बढ़ाने के लिए शराब की बिक्री शुरू करने की बातें शामिल है।