केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को लेकर फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले प्रोफेसर शहरयार अली ने मंगलवार (20 जुलाई 2021) को फिरोजाबाद के जिला व सत्र न्यायधीश अनुराग कुमार के सामने सरेंडर किया। इस मामले में कोर्ट ने बेल नहीं दिया। इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है।
फेसबुक पोस्ट के जरिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रोफेसर ने अंतरिम जमानत याचिका दायर की थी। हालाँकि, कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया, जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, अली ने इसी साल मार्च 2021 केंद्रीय मंत्री के खिलाफ एक अश्लील फेसबुक पोस्ट किया था।
अली के खिलाफ केस
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 9 जुलाई 2021 को ही केंद्रीय मंत्री पर अश्लील टिप्पणी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर अली को गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था। उनकी याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने स्पष्ट कहा कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल दूसरों को बदनाम करने के लिए नहीं किया जा सकता है। न्यायाधीशों ने आगे कहा कि लोगों को उस भाषा के प्रति सचेत रहना चाहिए, जो वे सोशल मीडिया पर दूसरों की आलोचना या उपहास करने के लिए करते हैं।
शहरयार अली फिरोजाबाद के एसआरके कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रमुख हैं। 55 वर्षीय प्रोफेसर ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के साथ एक अश्लील फेसबुक पोस्ट साझा किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रोफेसर अली नौकरी छोड़कर फरार हो गए थे।
वहीं इस मामले में SRK कॉलेज ने कहा है कि वे अली के बयान का समर्थन नहीं करते हैं और कॉलेज प्रशासन महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक और अभद्र टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेगा।
किसी को कुछ भी कहकर भाग नहीं सकते
प्रोफेसर शहरयार अली की बेल को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा, “आप इस तरीके से महिलाओं को बदनाम नहीं कर सकते। आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ बदनाम करने के लिए नहीं कर सकते। किस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है? आलोचना करने का भी एक तरीका होता है। चुटकुला कहने का भी एक तरीका होता है। आप किसी को भी आप जो चाहते हैं, कहकर भाग नहीं सकते हैं।”
बता दें कि प्रोफेसर अली ने इसी साल मई 2021 में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी औऱ सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई 2021 को इस केस में सुनवाई की। इससे पहले हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि शुरुआती तौर पर प्रोफेसर के आचरण के चलते उन्हें जमानत का अधिकार नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने अली को रेगुलर बेल के लिए पहले आत्म समर्पण करने लिए कहा था, जो कानून सम्मत होगा।
प्रोफेसर ने कहा-अकाउंट हैक हो गया था
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों को चुनौती देते हुए अली के वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दावा किया कि उनके मुवक्किल का फेसबुक अकाउंट हैक कर लिया गया था, और जैसे ही उन्हें अश्लील पोस्ट के बारे में पता चला, उन्होंने एक माफी माँगी।
हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय वकील के इन तर्कों से प्रभावित नहीं हुए। शीर्ष कोर्ट ने कहा था, “आप जो कह रहे हैं, वह एक सोच है। आपने माफी माँगने के लिए उसी अकाउंट का इस्तेमाल किया, लेकिन आप कहते हैं कि आपका अकाउंट हैक कर लिया गया था। इससे पता चलता है कि आप अभी भी उस अकाउंट का उपयोग कर रहे हैं। आपका अकाउंट हैक किया गया था, इसका कोई सबूत है आपके पास?” लेकिन वकील हैकिंग का कोई सबूत सर्वोच्च न्यायालय को नहीं दे सका।
केंद्रीय मंत्री के खिलाफ पोस्ट
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में भाजपा के नेता की शिकायत पर मार्च 2021 में अली को फिरोजाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन पर अश्लील कंटेंट को प्रकाशित करने के आरोप में आईटी एक्ट की धारा 67ए के व समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 505 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया था।