ओडिशा हाई कोर्ट से जमानत मिलन के एक दिन बाद भुवनेश्वर के भरतपुर पुलिस स्टेशन में थाना प्रभारी दीनाकृष्ण मिश्रा एवं अन्य पुलिसकर्मियों पर सेना के अधिकारी की महिला वकील मंगेतर ने छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। महिला का कहना है कि 15 सितंबर 2024 की सुबह पुलिस हिरासत में उसके साथ छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न किया गया।
महिला ने बताया, “जब मैं मदद के लिए चिल्ला रही थी तो सुबह करीब 6 बजे पुलिस स्टेशन का थाना प्रभारी आया। उसने मेरी पैंट नीचे कर दी। फिर उसने अपनी पैंट नीचे करके अपना प्राइवेट पार्ट दिखाया और कहा – तुम कितनी बार इसे लोगी कि तुम चुप रहोगी।” महिला ने आगे कहा कि वह रोड रेज की एक घटना में कुछ युवकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने अपने मंगेतर के साथ थाने गई थी।
AIIMS भुवनेश्वर में भर्ती पेशे से वकील पीड़िता ने पत्रकारों से कहा, “15 सितंबर की रात करीब 1 बजे हम अपना रेस्टोरेंट बंद करके घर जा रहे थे। उस समय कुछ युवकों ने हमारी कार रोकी और हमारे साथ हाथापाई करने की कोशिश की। हम कार में बैठ बैठकर एफआईआर दर्ज कराने के लिए भरतपुर पुलिस स्टेशन गए। वहाँ रिसेप्शन पर एक महिला कॉन्स्टेबल नाइटी पहने बैठी थी।”
वहाँ महिला वकील ने आपबीती बताते हुए महिला पुलिसकर्मी से शिकायत दर्ज करने और युवकों को पकड़ने के लिए गश्ती दल भेजने का अनुरोध किया। हालाँकि, महिला वकील ने आरोप लगाया कि महिला पुलिसकर्मी ने उसकी मदद नहीं की, बल्कि उसके साथ दुर्व्यवहार किया। महिला का आरोप है कि उसके सैन्य अधिकारी मंगेतर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
पीड़िता ने आगे बताया कहा, “जब मैंने कहा कि मैं एक वकील हूँ और एफआईआर दर्ज करना आपका कर्तव्य है तो वह मुझ पर भड़क गई। कुछ ही देर बाद एक अन्य महिला अधिकारी और अन्य कर्मचारी गश्ती वाहन में पुलिस स्टेशन पहुँचे। उन्होंने (मेरे मंगेतर को) शिकायत लिखने की अनुमति दी, लेकिन मुझे नहीं पता कि उन्होंने उसे तुरंत हिरासत में क्यों रखा।”
सैन्य ब्रिगेडियर की बेटी पीड़िता ने आरोप लगाया कि जब उसने महिला पुलिस अधिकारी से कहा कि एक सैन्य अधिकारी को जेल के पीछे नहीं डाल सकते तो दोनों महिला पुलिसकर्मियों ने उनके बाल खींचे और उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। इतना ही नहीं, दोनों महिला पुलिसकर्मी महिला वकील को थाने के गलियारे में पकड़कर घसीटते रहे।
महिला ने आरोप लगाया, “जब एक महिला कॉन्स्टेबल ने मेरा गला घोंटने की कोशिश की तो मैंने उसका हाथ काट लिया। उसने मेरे हाथ मेरी जैकेट से और मेरे पैर एक महिला कॉन्स्टेबल के दुपट्टे से बाँध दिए और मुझे एक कमरे में बंद कर दिया। कुछ समय बाद एक पुरुष अधिकारी आया और मेरी ब्रा उतार दिया और मेरे स्तनों पर लगातार लात मारी।”
इस मामले की जाँच कर रही क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त महानिदेशक को दी गई शिकायत में सेना अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि जब उसकी मंगेतर ने पुलिस अधिकारियों से गिरफ्तारी वारंट की माँग की तो उसे एक कमरे में घसीटा गया। कपड़े उतारे गए और थाना प्रभारी मिश्रा सहित चार पुरुष और तीन महिला पुलिस अधिकारियों ने उनके साथ मारपीट की।
सैन्य अधिकारी ने आरोप लगाया, “थाना प्रभारी ने मेरी मंगेतर का यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ की और मैं 30 मिनट तक उसकी चीखें सुनता रहा।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब वह शिकायत लिख रहा था तो चार पुलिस अधिकारियों ने उसे घसीटकर एक कोठरी में ले गए। वहाँ उसकी पैंट उतारी और बटुआ, फोन, सेना का पहचान पत्र और कार की चाबियाँ सहित उसका सारा सामान ले लिया।
यह मामला हाईलाइट होने के बाद ओडिशा पुलिस ने थाने के प्रभारी निरीक्षक दीनाकृष्ण मिश्रा, एक सब-इंस्पेक्टर, दो महिला दारोगा और एक कॉन्स्टेबल को निलंबित कर दिया है। वहीं, इस मामले में पर ओडिशा हाई कोर्ट ने बेहद कठोर टिप्पणी की है। उसने कहा कि पुलिस अत्याचार के आरोपों को ‘अत्यंत गंभीरता’ से लिया जाएगा और मामले को उसके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाया जाएगा।
ओडिशा हाई कोर्ट ने बुधवार (18 सितंबर) को सैन्य अधिकारी और उसकी मंगेतर को जमानत दे दी। वहीं, निचली अदालत ने दोनों को जमानत देने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इस पर हाई कोर्ट ने यह भी कहा, “विद्वान मजिस्ट्रेट अपने न्यायिक दिमाग का इस्तेमाल करने में विफल रहे हैं और उन्होंने यांत्रिक तरीके से काम किया है।”