ऑपरेशन ब्लू स्टार की 37वीं बरसी पर बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत ने खालिस्तानियों को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने सोशल नेटवर्किंग ऐप ‘कू’ पर कहा, “आज के दिन #ऑपरेशनब्लूस्टार पंजाब में कॉन्ग्रेस के शासनकाल के दौरान हुआ… ये हमारे देश और उसके लोगों के बारे में बहुत कुछ कहता है… कथित खालिस्तान का एक बड़ा हिस्सा कॉन्ग्रेस नेताओं द्वारा पाकिस्तान को दे दिया गया था, लेकिन आतंकवादी इसे पूछने की हिम्मत तक नहीं करते, आतंकवाद सुविधा को देखते हुए अपनी आवाज उठाता है… दुनिया का इतिहास परस्पर विरोधी है क्रूरता और मनोरंजन…।”
कंगना ने खालिस्तानियों से सहानुभूति रखने वालों पर वाजिब सवाल उठाए, जो दिखाता है कि उनके इरादे बेहद नेक हैं। एक्ट्रेस ने पहला सवाल यह उठाया था कि पंजाब की सत्तारूढ़ कॉन्गेस सरकार यहाँ शासन कैसे चलाती है, क्योंकि ऑपरेशन ब्लू स्टार उस समय केंद्र में कॉन्ग्रेस के कार्यकाल के दौरान ही हुआ था।
उन्होंने दूसरा सवाल खालिस्तानी ताकतों के गलत इरादों को लेकर उठाया। खासतौर पर कथित खालिस्तान (सिखों या पंजाब की भूमि) का एक बड़ा हिस्सा विभाजन के समय पाकिस्तान को दिया गया था। प्रारंभिक वर्षों में देश पर शासन करने वाले कॉन्ग्रेस नेताओं ने विभाजन की शर्तों पर सहमति जताई थी। हालाँकि, इसके बाद भी खालिस्तानी आतंकवादियों और उनके चाहने वालों ने कभी भी पड़ोसी देश से पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के अपने ‘अहम हिस्से’ को लेकर कुछ भी नहीं पूछा।
जैसा कि इस नक्शे में देखा जा सकता है कि ‘खालिस्तान’ क्षेत्र भारत और पाकिस्तान के बीच में आता है, लेकिन खालिस्तान समर्थक अपनी आवाज केवल भारत में ही और भारत के खिलाफ ही बुलंद करते हैं। इस तरह के कई विरोध विदेशों में भारतीय दूतावासों के बाहर हुए हैं, लेकिन पाकिस्तानी दूतावास के बाहर कभी नहीं हुए।
खालिस्तानी अराजक तत्वों ने भारतीय दूतावास के बाहर विदेशों में अनगिनत बार विरोध किया है, लेकिन उन्होंने कभी भी पाकिस्तान के दूतावास के बाहर ऐसा करने की हिम्मत नहीं की। सच तो यह है कि खालिस्तानियों को कई मामलों में भारत और उसकी सरकार के खिलाफ भड़काऊ भाषण व नारे लगाने के लिए पाकिस्तानियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मार्च करते हुए देखा गया है।
किसान आंदोलन में खालिस्तानी ताकतों की कथित भूमिका
कथित तौर पर खालिस्तानी ताकतों ने सितंबर 2020 में मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन में घुसपैठ की। ऐसे कई सबूत हैं जो इस ओर इशारा करते हैं कि सिख फॉर जस्टिस (Sikhs For Justice) जैसे खालिस्तानी संगठनों ने ट्रैक्टर रैली के दौरान दंगा भड़काने के लिए ‘इनाम‘ के नाम पर फंड मुहैया कराया है।
एसएफजे (SFJ) के प्रमुख पन्नू ने लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले को इनाम देने की घोषणा की थी और 26 जनवरी को कथित किसानों के एक समूह ने लाल किले पर सिखों के पवित्र त्रिकोणीय ध्वज के साथ दो झंडे फहराए थे।