कमलेश तिवारी हत्याकांड में अब पाकिस्तान कनेक्शन की जाँच शुरू हो चुकी है। इसके लिए पुलिस के निशाने पर कई संदिग्ध हैं। कहा जा रहा है कि हत्या के बाद जिस तरह हत्यारों को जगह-जगह पर मदद मुहैया करवाई गई, उससे एक नया ट्रेंड सामने आया। इसी कारण से जॉंच में जुटे अधिकारी इस पूरे मामले में किसी आतंकी संगठन के स्लीपिंग मॉड्यूल्स की भूमिका को खंगालने की कोशिश में जुटे हैं।
शुरुआती जानकारी के अनुसार हत्याकांड का मुख्य आरोपित राशिद अहमद खुर्शीद अहमद पठान दुबई में कंस्ट्रक्शन फार्म में काम करता था। लेकिन हत्या को अंजाम देने से 2 महीने पहले वो सूरत अपने घर लौट आया था। वहीं हत्यारा मोइनुद्दीन जोमैटो का डिलीवरी बॉय था और अशफाक मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव था, जो केवल हत्या करने के लिए सूरत से यूपी आए थे। वहीं दोनों हत्यारों को लगातार हत्या के लिए उकसाने वाला आसिम नागपुर में एमडीपी पार्टी की नगर इकाई का अध्यक्ष है जो लगातार इनके संपर्क में था और नागपुर से बैठे-बैठे हर जगह इनको मदद दिलवा रहा था। जिसका मतलब है कि नागपुर में होने के बावजूद उसके यूपी में ऐसे लोगों से संपर्क थे, जो हत्या के बाद हत्यारों की मदद करने के लिए मौजूद रहे।
यहाँ बता दें कि अब इन्हीं बिंदुओं को आधार बनाकर एटीएस और अन्य जाँच एजेंसियाँ मामले से जुड़े हर पहलू पर गहनता से जाँच कर रही हैं और पता लगा रही हैं कि इस पूरे मामले में कहीं किसी संगठन का तो हाथ नहीं।
दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित खबर के मुताबिक अब इस मामले में आरोपितों के अलावा उनसे जुड़े संदिग्ध लोगों की भी जाँच जारी है। जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का एक पूर्व छात्र भी शामिल है। जो गुजरात का ही निवासी है।
इसके अलावा इन सभी आरोपितों के साथ-साथ इनकी मदद के लिए मौजूद रहे मददगारों के सोशल मीडिया अकॉउंट भी जाँच एजेंसियों द्वारा खंगाले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि सभी आरोपित सोशल मीडिया के माध्यम से ही एक दूसरे के संपर्क में थे।
इस मामले में बता दें अब तक हत्यारों और मुख्य साजिशकर्ताओं के अलावा कई लोगों की धड़-पकड़ हो चुकी है। पुलिस ने अभी बीते दिनों अशफाक और मोइनुद्दीन को नेपाल पहुँचाने वाले नावेद को भी गिरफ्तार किया था और अब ताजा जानकारी के अनुसार नावेद का पार्टनर कामरान भी पुलिस की पकड़ में आ गया है। जाँच में जुटी टीम के अनुसार कैफी के कहने पर नावेद ने और नावेद के कहने पर कामरान ने दोनों हत्यारों को नेपाल पहुँचाया था।