बेनजीर भुट्टो के शासनकाल में पाकिस्तान में सांसद रह चुके डिवायाराम के फ़िलहाल हरियाणा के फतेहाबाद में मूँगफली बेचकर अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं। वहीं, गर्मियों में कुल्फी बेचकर गुजर-बसर करते हैं। दरअसल, पाकिस्तान में एक वक़्त ऐसा आया था जब उनकी जान पर बन गई थी और वो वहाँ से भागकर हिन्दुस्तान आ गए थे। पाकिस्तान में सताए जाने के बाद उन्होंने फतेहाबाद के रतनगढ़ गाँव में अपने परिवार के साथ बसेरा जमाया था।
इन दिनों वो इसलिए चर्चा में आ गए क्योंकि अब उन्हें उम्मीद है कि संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। इस विधेयक के पारित होने से डिवायाराम ख़ासा ख़ुश नज़र आ रहे हैं। पूर्व पाकिस्तानी सांसद को अब यह उम्मीद है कि जल्द उन्हें और उनके परिवार को भारतीय नागरिकता मिल जाएगी, जिसके बाद उनका भी राशन कार्ड बन जाएगा, जिससे वो भी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
ख़बर के अनुसार, जब बेनजीर भुट्टो ने अपने पिता की मौत के बाद राजनीति में क़दम रखा था, तो वो डिवायाराम के क्षेत्र में गईं थी, जहाँ उनके स्वागत में डिवायाराम ने अच्छा-ख़ासा भाषण दिया था। इससे ख़ुश होकर भुट्टो ने उन्हें रिज़र्व सीट से सांसद बना दिया था। लेकिन, सांसद बनने के बाद उनके परिवार पर कई मुसीबतें आ गईं थी। डिवायाराम से नाराज़ मुस्लिमों ने 15 दिन बाद ही उनके परिवार की लड़की का अपहरण कर लिया और उन्हें पद छोड़ने की धमकियाँ भी दी।
डिवायाराम जब बहुत परेशान हो गए तो उन्होंने पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया। वहाँ उन्हें धर्म-परिवर्तन की सलाह दी गई। लेकिन, डिवायाराम को यह मंज़ूर नहीं था, इसलिए उन्होंने सांसद पद से इस्तीफ़ा दे दिया और भारत में शरण लेने का फ़ैसला किया। डिवायाराम अपने परिवार के साथ जनवरी 2000 में एक महीने के वीज़ा पर भारत आए थे। शुरुआत में वो रोहतक ज़िले के कलानौर व रोहतक शहर में रहे। वीज़ा समाप्त होने के बाद उन्होंने तत्कालीन रोहतक के डीसी के समक्ष पेश होकर अर्जी दी कि वह और उनका परिवार किसी भी सूरत में पाकिस्तान नहीं जाना चाहता।
उस समय बजरंग दल व अन्य हिन्दू संगठनों ने उनकी मदद की। उपायुक्त ने भी उन्हें वहाँ रहने की छूट दे दी। इसके बाद वे वर्ष 2006 में रोहतक से फतेहाबाद के रतिया क़स्बे के निकट गाँव रतनगढ़ में आकर रहने लगे। यहाँ वो पिछले 13 सालों से रह रहे हैं।
बता दें कि डिवायाराम की पाकिस्तान में 25 बीघे ज़मीन थी, लेकिन मुस्लिम समुदाय और मौलवियों ने उन्हें इस क़दर परेशान किया कि उन्हें पाकिस्तान छोड़ना पड़ा। मुस्लिम समुदाय डिवायाराम पर इस्लाम क़बूल करने और गोवंश मांस खाने के लिए दबाव डालता था। ऐसा न करने पर मुस्लिम समुदाय उनके साथ दुर्व्यवहार करता था।