पालघर में 2 साधुओं की लिंचिंग मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। इस हलफनामे में महाराष्ट्र पुलिस ने मामले के मद्देनजर CBI जाँच की माँग का विरोध किया है।
पुलिस ने कहा है कि याचिका खारिज करने के साथ याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए। राज्य CID गहन जाँच के बाद पहले ही 126 आरोपितों के ख़िलाफ़ दो चार्जशीटें दायर कर चुकी है इन चार्जशीटों को भी कोर्ट में दाखिल किया गया है।
हलफनामे में उन पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का विवरण है, जिन्होंने अपराध को रोकने या अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में लापरवाही बरती। पुलिस के इस हलफनामे के अनुसार, उन्होंने उन सभी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ विभागीय जाँच की और जाँच के बाद जो भी पुलिसकर्मी दोषी पाए गए, उन्हें बर्खास्त किया गया या फिर उन्हें न्यूनतन आय की श्रेणी में डाल दिया गया।
इसमें बताया गया कि विभागीय जाँच में दोषी पाए गए अस्सिटेंट पुलिस इस्पेक्टर (ASI) आनंदराव शिवाजी काले को सर्विस से बर्खास्त किया गया है। इसके अलावा असिस्टेंट पुलिस सब इस्पेक्टर रविंद्र दिनकर सालुंखे और हेडकांस्टेबल नरेश ढोंडी को कंपल्सरी रिटायरमेंट दिया गया है। वहीं लापरवाही के दोषी पाए गए 15 दूसरे पुलिस कर्मियों को 2-3 साल के लिए न्यूनतम आय दिए जाने का दंड दिया गया है।
गौरतलब है कि इस मामले में पिछली सुनवाई 6 अगस्त को हुई थी। उस सुनवाई में कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस से इस मामले में दायर चार्जशीट माँगी थी। साथ ही इस मामले में लापरवाही के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की ब्यौरा भी माँगा था।
इसके बाद राज्य पुलिस की ओर से दाखिल हलफनामे में बताया गया कि लापरवाही बरतने वाले 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ अलग-अलग तरह की कार्रवाई की गई है। इनमें से कुछ को नौकरी से बर्खास्त भी किया गया है और कुछ को समय से पहले रिटायर दिया गया है।
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय इस केस में वकील शशांक शेखर झा, साधुओं के रिश्तेदार के अलावा पीठ श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा व कुछ अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में मामले की CBI और NIA से जाँच की माँग की गई है।
पालघर मामले में NCP नेता की मौजूदगी
उल्लेखनीय है कि एक ओर जहाँ 16 अप्रैल की घटना पर महाराष्ट्र पुलिस ने सीबीआई जाँच का विरोध किया है। वहीं, एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कुछ दिन पहले ही इस केस की पड़ताल में एनसीपी के कनेक्शन को उजागर किया है और दावा किया है कि घटना के समय भीड़ के बीच एनसीपी नेता काशीनाथ चौधरी मौजूद थे। उनके अलावा साधुओं की लिंचिंग कर उनकी निर्मम हत्या करने वाली भीड़ में वामपंथी पार्टी सीपीएम के पंचायत सदस्य व उसके साथ विष्णु पातरा, सुभाष भावर और धर्मा भावर भी शामिल थे।