महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या मामले की जाँच CBI या NIA से कराए जाने की माँग वाली याचिकाओं पर आज (जून 11, 2020) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस संबंध में महाराष्ट्र सरकार, महाराष्ट्र डीजीपी, केंद्र सरकार, NIA और सीबीआई को नोटिस जारी किया गया है।
मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने याचिकाओं पर जवाब माँगा है।
Palghar lynching case hearing in Supreme Court: Supreme Court asks Maharashtra Govt and others to file reply on PILs raising concerns and seeking directions for probiñg the matter through proper investigating agency. SC fixed the petition for further hearing in 2nd week of July. pic.twitter.com/3WQSuFCIqh
— ANI (@ANI) June 11, 2020
सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले में एक याचिका साधुओं के परिजनों और जूना अखाड़ा द्वारा दायर की गई थी। इस याचिका में कहा गया था कि उन्हें महाराष्ट्र सरकार और पुलिस की जाँच पर उन्हें भरोसा नहीं है, इसलिए इस मामले की सीबीआई जाँच की जाए। इस दौरान गवाहों की आत्महत्या का मामला उठाते हुए जॉंच की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाए गए।
दूसरी याचिका राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से जाँच कराने के लिए घनश्याम उपाध्याय ने दायर कर रखी है। इससे पहले भीड़ द्वारा दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट-पीटकर हत्या के मामले में पालघर जिले के कासा थाने में 18 अप्रैल को प्राथिमकी दर्ज की गई थी। अभी तक इस मामले में 150 गिरफ्तारियॉं हुई है। इनमें 10 किशोर भी शामिल हैं।
यहाँ बता दें, इससे पहले कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए मुंबई पुलिस से भी जवाब माँगे थे। जस्टिस अशोक भूषण और संजीव खन्ना की पीठ ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि अदालत अपराधियों के खिलाफ पुलिस द्वारा अब तक की गई कार्रवाई की स्थिति के बारे में जानना चाहती है। अदालत ने यह भी पूछा था कि अधिकारियों ने लॉकडाउन के दौरान भीड़ को कैसे इकट्ठा होने दिया।
इस दौरान दलील में कहा गया,“जब पूरे देश में 25 मार्च से लॉकडाउन जारी था और किसी भी व्यक्ति को अपने घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। सभी लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए कहा गया था, इसके वावजूद इतनी बड़ी घटना घटित होना स्थानीय पुलिस को संदेह के घेरे में खड़ा करती है।”
गौरतलब है कि16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर के दहानु तालुका के एक आदिवासी बहुल गडचिंचले गाँव में सैकड़ों लोगों की भीड़ द्वारा जूना अखाड़ें के दो संतों और उनके ड्राइवर की पुलिस के सामने ही बड़ी बेरहमी से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।
इस घटना के प्रकाश में आने के बाद मामले में कई एंगल निकलकर सामने आए थे। घटना की वीडियो देखने के बाद इस मॉब लिंचिंग के स्टेट या पुलिस स्पॉन्सर्ड होने पर सवाल हुआ था। बाद में सीपीएम और एनसीपी नेता की मौजूदगी की बात सामने आई थी और कई मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा भी था कि इस मॉब लिंचिंग के पीछे एक बड़ी साजिश थी।