राम मंदिर मामले में सोमवार (सितम्बर 30, 2019) को 34वें दिन की सुनवाई हुई। इस दौरान के. पराशरण ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें रखीं। पराशरण ने उपनिषदों और महाभारत का हवाला देकर अपने तर्कों को रखा। रामलला विराजमान के 92 वर्षीय वकील ने मुस्लिम पक्षकारों द्वारा पिछले कुछ दिनों में कही गई बातों का एक-एक कर जवाब दिया। पराशरण ने इस मामले में न्यायिक व्यक्ति को हिन्दू क़ानून के अनुसार देखने की बात कही। उन्होंने कहा कि हिन्दू देवता को रोमन और अंग्रेजी क़ानूनों के अनुसार नहीं देखा जा सकता।
पराशरण ने अपनी इस दलील को दोहराया कि जन्मस्थान एक न्यायिक व्यक्ति है। इसे साबित करने के लिए उन्होंने कोर्ट के ही कुछ अन्य फ़ैसलों का जिक्र किया। समझाया कि हिन्दू धर्म में एक ही ईश्वर है, जो परम आत्मा है। उन्होंने आगे कहा कि इसी ईश्वर की विभिन्न मंदिरों में और विभिन्न स्वरूपों में पूजा की जाती रही है। पराशरण के दावों से बौखला कर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने कहा कि इन बातों का इस केस से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने उदाहरण दिया था, तब उन्हें कोर्ट ने टोका था। धवन ने कोर्ट को निष्पक्ष रहने की सलाह दी।
#RamMandir – #BabriMasjid: “Now I will have to reply to him. These were not part of evidence”, Dhavan.
— Bar & Bench (@barandbench) September 30, 2019
Parasaran responds to Dhavan; Says Dhavan gave an article to Bench which was not part of evidence.
“Give it back My Lord. Dont take it as part of record”, Dhavan retorts.
पराशरण ने धवन की दलीलों को काटते हुए कहा कि विवादित स्थल पर मूर्ति होने या न होने से इस मामले पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। उन्होंने समझाया कि पूजा-स्थल का मुख्य उद्देश्य ईश्वर की पूजा है और वहाँ मूर्ति हो भी सकती है और नहीं भी। पराशरण ने मुस्लिम पक्ष से कहा कि मूर्ति न होने की बात कह कर जन्मस्थान पर सवाल उठाना एक ग़लत तर्क है। धवन की आपत्ति पर पराशरण ने कहा कि उन्होंने ख़ुद हिन्दू पक्ष की दलीलों पर 4 दिन जवाब दिया लेकिन अब सवाल खड़े कर रहे हैं। पराशरण ने कहा कि वो अदालत में जो भी कह रहे हैं, उसका कुछ न कुछ मतलब है।
इससे पहले मुस्लिम पक्षकार निज़ाम पाशा ने कहा कि मस्जिद में स्तम्भ न होने की बात कहना सरासर ग़लत है क्योंकि हदीस में इसका जिक्र है कि नमाज 2 खम्भों पर बनी दीवार पर पढ़ा जाता है। उन्होंने कहा कि बहस धार्मिक पहलुओं पर नहीं बल्कि क़ानूनी पहलुओं पर होनी चाहिए। वहीं मुस्लिम पक्ष की दलीलों का जवाब देते हुए भारतीय न्यायिक व्यवस्था के भीष्म पितामह कहे जाने वाले पराशरण ने कहा:
“स्वयंभू दो प्रकार के होते हैं। एक वह जो ख़ुद प्रकट होते हैं और एक वो जिनकी स्थापना मूर्ति में की जाती है। हमारे यहाँ भूमि भी स्वयंभू ही होती है। यह ज़रूरी नहीं है कि भगवान का कोई निश्चित रूप हो लेकिन सामान्य लोगों को पूजा करने के लिए किसी आकार या आकृति की आवश्यकता पड़ती है। आकृति के होने से उस पर लोगों का ध्यान केंद्रित होता है। दूसरी तरफ जो लोग अध्यात्म में काफ़ी ऊपर उठ चुके होते हैं, उन्हें पूजा वगैरह के लिए किसी आकृति या स्वरूप की ज़रूरत नहीं पड़ती।”
#RamMandir – #BabriMasjid:Such an idol or image comes to be recognized as the juristic entity, capable of holding property endowed to deity. However, the object of worship is not the idol itself, but God/ deity/ divinity which is believed to manifest in such idol, K Parasaran
— Bar & Bench (@barandbench) September 30, 2019
जस्टिस बोबडे ने पराशरण से पूछा था कि उन्हें इस भूमि को एक न्यायिक व्यक्ति या ज्यूरिस्टिक पर्सन साबित करने के लिए इसे ‘दिव्य’ या ‘ईश्वरीय’ साबित करने की ज़रूरत क्यों आन पड़ी? पराशरण ने बताया कि मूर्ति अपने-आप में भगवान नहीं है, लेकिन स्थापना के बाद उसमें दिव्यता आ जाती है। उन्होंने बताया कि ऐसी मूर्ति में स्थापित ईश्वर लोगों की भावनाओं और आस्थाओं का प्रतीक होते हैं। उन्हें समर्पित की गई चल व अचल संपत्ति के भी वह स्वामी होते हैं।
#RamMandir – #BabriMasjid: For ordinary worshippers, in order to be able to conceive of the idea of ‘God’ and concentrate on the deity while offering worship, an idol or image is consecrated and installed in the temple, Parasaran.
— Bar & Bench (@barandbench) September 30, 2019
पराशरण ने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा कि विपत्ति के समय भगवान प्रकट होकर भक्तों की रक्षा करते हैं। उन्होंने जस्टिस बोबडे के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि महाभारत के युद्ध के दौरान भी भगवान श्रीकृष्ण के शास्त्र उठाए बिना पांडवों को जीत मिल गई थी। इस उदाहरण के पीछे का आधार समझाते हुए पराशरण ने कहा कि भक्तों की आस्था ही इतनी मजबूत होती है कि उसके लिए भगवान को आना पड़ता है।