बिहार की राजधानी पटना में एक स्कूल है- दिल्ली मॉडल पब्लिक स्कूल (DMPS)। इस स्कूल से झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। स्कूल में 8 साल के एक बच्चे को इसलिए सजा दी गई, क्योंकि उसने अपनी कलाई पर ‘कलावा’ (लाल रंग का रक्षा सूत्र) बाँध रखा था। बच्चा कक्षा 4 में पढ़ता है। स्कूल के दीप नारायण नाम के शिक्षक ने गुस्से में पिलास (एक प्रकार का औजार, जो तार को मोड़ने, काटने और ऐंठने आदि के लिए इस्तेमाल किया जाता है) से इस तरह कलावा काटा कि बच्चे की कलाई पर गहरी चोट आई। उसकी कलाई पर कटने के निशान साफ तौर पर देखी जा सकती है।
इस बात की जानकारी बच्चे की बड़ी बहन प्रज्ञा भूमिहार ने ट्विटर के माध्यम से दी। ऑपइंडिया ने इस मामले की अधिक और सही जानकारी के लिए प्रज्ञा से संपर्क किया। प्रज्ञा ने जो हमें बताया, वह और भी हैरान करने वाला था। उन्होंने बताया कि घटना मंगलवार (अगस्त 24, 2021) की है, जिसकी जानकारी उन्हें बुधवार (अगस्त 25, 2021) को तब हुई, जब वह अपने भाई को स्कूल के लिए तैयार करते हुए स्कूल ड्रेस पहना रही थीं। उन्होंने बताया कि उनका भाई इस घटना से इतना ज्यादा डरा हुआ था कि उसने किसी को भी कुछ नहीं बताया।
घटना के बारे में पूरी जानकारी देते हुए प्रज्ञा ने बताया कि दो दिन पहले स्कूल के पीटी टीचर ने सभी बच्चों को लाल धागा (रक्षा सूत्र) काट कर आने के लिए कहा था। टीचर ने कहा था कि धागा बाँध कर स्कूल नहीं आना है। वह बताती हैं कि उनके भाई के हाथ में पतला सा धागा था, जो कि वाराणसी का प्रसाद था। प्रज्ञा ने कहा,
“जब मेरे भाई ने इस बारे में बताया तो मैंने कहा कि जाओ टीचर को बोलना कि यह वाराणसी का प्रसाद है, मैं इसे नहीं काटूँगा। दूसरे दिन सारे छात्र धागा काट करके गए थे, लेकिन मेरा भाई नहीं गया था, क्योंकि हम लोग वो धागा नहीं काटते हैं, मेरे परिवार में हर कोई वह रक्षा सूत्र हमेशा बाँधता है। मेरे भाई के हाथ में रक्षा सूत्र देख कर उसे (टीचर) इतना गुस्सा आया कि उसने पिलास लेकर उसे ऐसे खींचा कि उसका हाथ भी कट गया और उसने धागा भी काट कर फेंक दिया। इसके बाद उसने बोला कि देखते हो न मैं सीनियर भैया लोग को कैसे पीटता हूँ, वैसे ही तुम लोग को भी सजा मिलेगी।”
इतना ही नहीं, स्कूल में उसी टीचर ने उनकी बहन को भी रक्षा सूत्र पहनने के लिए सजा दिया। प्रज्ञा बताती हैं,
“उसने रक्षा सूत्र पहनने के लिए मेरी बहन को 2-4 राउंड दौड़ाया। उसने सभी से रक्षा सूत्र काटने के लिए कहा। सभी लड़कियों ने काट लिया, लेकिन मेरी बहन ने नहीं काटा। उसने कहा कि सर, आप मुझे जो भी सजा देंगे, दे दीजिए, लेकिन मैं धागा नहीं काटूँगी। तो उसने उसे फील्ड में दौड़ाया। चूँकि वह बड़ी है तो उसने मना कर दिया, लेकिन भाई अभी छोटा है, तो गुस्से में उसका धागा इस तरह काटा कि उसका हाथ भी कट गया। इससे वह इतना डरा हुआ था कि उसने घर में किसी को कुछ नहीं बताया। दूसरे दिन जब मैं स्कूल ड्रेस पहना रही थी, तब मैंने देखा। जिसके बाद पूछने पर उसने सारी घटना बताई।”
प्रज्ञा का कहना है कि वह आज (अगस्त 26, 2021) इस मामले पर बात करने के लिए स्कूल जा रही हैं। उन्होंने बताया कि फोन पर स्कूल प्रशासन से बात हुई है, लेकिन वह लोग इसे हल्के में ले रहे हैं। उनका कहना है कि स्कूल में धागा काट दिया जाता है। प्रज्ञा ने कहा कि उनके पास उस पीटी टीचर का तो नंबर नहीं है, लेकिन उन्होंने स्कूल के एक अन्य सीनियर टीचर से इस बारे में बात की तो उनका कहना है कि स्कूल में धागा बाँध कर आने की अनुमति नहीं है, धागा ज्यादा था तो हमने काट दिया। लेकिन प्रज्ञा का कहना है,
“वह बहुत पतला सा धागा था। ज्यादा नहीं था और ज्यादा था भी तो उससे क्या दिक्कत थी, वह एक धागा था और उसे हाथ में बाँधने से किसी को क्या असहज महसूस हो सकता है? जब बच्चे को उससे असहज महसूस नहीं हो रहा है, तो उन्हें क्यों दिक्कत हो रहा है? वह कोई बड़ा सा तलवार, कटारी या एके 47 थोड़े है, जो किसी को असहज महसूस होगा।”
हमने भी मामले पर स्कूल का पक्ष जानने के लिए स्कूल प्रशासन से बात करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। संपर्क होते ही स्कूल प्रशासन का पक्ष भी लिखा जाएगा।
प्रज्ञा से बातचीत में एक और हैरानी की बात सामने आई कि इनके अलावा किसी भी बच्चे के माता-पिता ने इस पर आपत्ति नहीं जताई। सभी ने अपने-अपने बच्चों को धागा काट कर स्कूल भेजा था। आजकल लोगों में नास्तिकता न जानें क्यों घर कर रही है और आपको जानकर ताज्जुब होगा कि नास्तिकों में सबसे आगे हिंदू हैं, वो हिंदू जिनकी संस्कृति-संस्कारों का लोहा पूरा विश्व मानता है। यदि आप उन नास्तिकों से बात करें और उनको समझाने की कोशिश करें तो उनका जवाब आता है, “I don’t believe in bhagwan or God and all this, just don’t try to impose your believe to us or me.” ये उन नई पीढ़ी के अंग्रेज हिंदुओ की आवाज में है, जो आजकल ज़्यादा ही ‘मॉडर्न’ हो रहे हैं, जो चर्च जाने को शान समझते हैं, परंतु मंदिर जाना और पूजा पाठ करना उन्हें ढोंग से कम नहीं लगता।
इसी का फायदा उठाते हुए जान-बूझकर हिंदू समाज की भावनाओं से खिलवाड़ करने से कोई झिझकता नहीं है। भारत हिंदू बहुल देश है, लेकिन इसके बावजूद हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ होता है, ऐसा क्यों? इस पर हिंदू समाज को आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है। जाति व सम्प्रदाओं में बँटे हिंदू समाज की कमजोरी का लाभ हिंदू विरोधी लेते हैं। समाज जब किसी मामले पर विरोध करता है तो दोषी के माफी माँगने पर मामला समाप्त हो जाता है।
देश के संविधान अनुसार कोई भी दूसरे की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ नहीं कर सकता, लेकिन हिंदू भावनाओं से स्वतंत्रता मिलने से लेकर आज तक खिलवाड़ होता चला आ रहा है। इसका बड़ा कारण तुष्टिकरण की नीति भी है। मत प्राप्त करने हेतु सत्ता में बैठे लोग हिंदू भावनाओं से होते खिलवाड़ की अनदेखी करते आए, जबकि अगर जाने-अनजाने में अल्पमत समाज के धर्म को लेकर किसी ने टिप्पणी कर दी है तो सरकार कठोर कार्रवाई करती है और समाज तो मरने-मारने तक पहुँच जाता है।
जितनी आसानी से हिंदू धर्म को निशाना बनाकर उनके देवी-देवताओं, पूजास्थलों की गरिमा, आस्था को ठेस पहुँचाने के बाद भी ठेठी दिखाई जाती है, क्या उतनी ही आसानी से अन्य धर्मों पर भी ऐसा कुछ बना लेने का साहस होगा? यदि हिंदू इस पर प्रतिकार करने उठता है तो वह असहिष्णु हो जाता है। इस देश में गजब का तमाशा चल रहा है। एक तो हिंदू धर्म से घृणा कर उसके धर्म पर विमर्श या कला के नाम पर अनर्गल टीका, टिप्पणी, फिल्म, वेब सीरीज बनाकर अपमानित करना और दूजा कि वह चुपचाप सब कुछ बैठकर सहता रहा आए। क्यों भाई तथाकथित ठेकेदारों क्यों? इतनी नफरत और घृणा क्यों? क्या हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं, धर्म का कोई भी स्थान नहीं है? यदि धर्म की रक्षा करनी है तो इन सबकी जड़ों में प्रहार करना होगा, अन्यथा ये विधर्मी इसी तरह से अपमानित एवं आस्था से खिलवाड़ करते रहेंगे।
स्कूल प्रशासन से संपर्क हो गया है। इस पूरे मामले पर उनका पक्ष जानने के लिए पढ़ें।