उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धँसती जा रही है। प्रशासन असुरक्षित घरों को गिराने के साथ ही लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुँचा रहा है। हालाँकि, लोग अपने घरों को छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं हैं। जो लोग घर छोड़कर जा भी रहे हैं वह बेहद दुःखी हैं। वास्तव में, जोशीमठ की चिंता केवल उन लोगों को नहीं है, जो वहाँ रह रहे हैं। बल्कि पूरा देश पवित्र नगरी जोशीमठ के हालातों पर नजर जमाए हुए है। हालाँकि, जिनका घर उनसे छूट रहा है वह अपने घर की हालत देखकर भावुक हो रहे हैं।
“This is my maternal home. I got married at the age of 19. My mother is 80 years old and I have an elder brother. We built this home by working hard and making an earning. We lived here for 60 years but it is all ending now,” says a resident, Bindu. pic.twitter.com/aaTaQYU3mI
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 10, 2023
ऐसे ही, जोशीमठ में रहने वाली बिंदु ने मीडिया से बात करते हुए कहा है, “यह मेरा मायका है। 19 साल की उम्र में मेरी शादी हुई थी। मेरी माँ 80 साल की हैं और मेरा एक बड़ा भाई है। हमने मेहनत करके और कमाई करके यह घर बनाया है। हम यहाँ 60 साल रहे लेकिन यह सब अब खत्म हो रहा है।”
दरअसल, कुछ दिनों पहले तक जिन घरों में रौनक नजर आती थी। उन घरों में अब सिर्फ दरारें नजर आ रहीं हैं। प्रशासन ने सैकड़ों असुरक्षित घरों पर मार्किंग कर दी है। यानी अब, ऐसे घर रहने लायक नहीं हैं। इसी तरह, मनोहर बाग वार्ड में रहने वाली उत्तरा देवी के मकान को भी प्रशासन ने असुरक्षित घोषित कर लाल निशान लगा दिया है। जोशीमठ के सिंहधार वार्ड में रहने वाली मंदोदरी देवी, गोदांबरी देवी, हेमलता देवी अब प्रशासन द्वारा बनाए गए शिविर में रह रहीं हैं। लेकिन, अपने घरों को याद कर उनकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। लोगों का कहना है कि जिन घरों को उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से बनाया। वह घर अब वीरान पड़ा हुआ है।
‘आज तक’ से बात करते हुए एक महिला ने कहा है कि जून तक सब ठीक था। छोटी-मोटी दरारें आ रहीं थीं। लेकिन, पहाड़ में यह सब सामान्य है। अब अचानक से दरारें बढ़ गईं हैं। रात में वह प्रशासन द्वारा बनाए गए शिविर में रहती हैं और दिन में वापस अपने घर आ जातीं हैं।
महिला का कहना है कि वह अपने घर को छोड़ने की तैयारी कर रहीं हैं। इससे पहले उन्हें सामान भी शिफ्ट करना है। पत्रकार ने जब उनसे पूछा कि आप अब कहाँ जाएँगीं? तो उन्होंने कहा, भगवान है। उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार उन्हें शिफ्ट कर देगी। लेकिन, यहाँ उनके खेत हैं, बगीचा है और यहीं उनके बच्चों का जन्म हुआ है।
इसी तरह एक अन्य महिला गीता देवी अपने घर को देखते हुए भावुक हो जाती हैं। वो कहतीं हैं उनका घर टूटने वाला है। आसपास के कई घरों में दरारें आ गईं हैं। प्रशासन ने मदद का आश्वासन दिया है। पहले यहाँ सब अच्छा था। इस घर में वह 2003 से 2021 तक खुशी से रह रहीं थीं। लेकिन, 2021 में हुई बारिश के बाद सब बदल गया। वह दुःखी होकर कहतीं हैं कि बारिश में कई रात सो नहीं पाए। किसी से कुछ बोल नहीं पाए। लेकिन, सोचते थे घर टूटेगा तो क्या होगा।