देश भर में जिस तरीके से मस्जिदों के अंदर से एक-एक कर के हिन्दू मंदिरों और सनातन संस्कृतियों के सबूत मिल रहे हैं, उससे इस्लामिक कट्टरपंथियों में खलबली मच गई है। इसी क्रम में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने देशभर के मुस्लिमों को भड़काते हुए उनसे विवादित मस्जिदों के ढाँचों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध करने को कहा है।
कर्नाटक के पुत्थनथानी में 23 और 24 मई 2022 को पीएफआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। इस दौरान कट्टरपंथी संगठन ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें देशभर के मुस्लिमों से मस्जिदों के खिलाफ हो रही कार्रवाईयों का विरोध करने के लिए कहा गया। बैठक के दौरान मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और वाराणसी में ज्ञानवापी विवादित ढाँचे को लेकर हिन्दुओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं को वर्शिप एक्ट-1991 का उल्लंघन करार दिया गया।
पीएफआई के चेयरमैन ओएमए सलाम ने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा है कि जिस तरीके से मस्जिदों पर दावे किए जा रहे हैं, इससे कभी न खत्म होने वाली सांप्रदायिक दुश्मनी शुरू होगी। पीएफआई का आरोप है कि जितने भी बीजेपी शासित राज्य हैं, वहाँ मुस्लिमों पर अत्याचार किया जा रहा है। इसमें मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम का जिक्र किया गया है। इसके साथ ही कट्टरपंथी संगठन ने ज्ञानवापी मामले में कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए वजूखाने पर लगाई गई रोक का विरोध किया। इसको लेकर बकायदा एक पत्र भी जारी किया गया है।
पीएफआई पर आतंकियों से गठजोड़ के आरोप
गौरतलब है कि हाल ही में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को बैन करने की माँग करते हुए सूफी इस्लामिक बोर्ड ने इस पर आतंकियों से मिले होने का आरोप लगाया था। सूफी बोर्ड ने दावा किया था कि पीएफआई आतंकवादी संगठन अलकायदा से मिला हुआ है और उसी से मिले निर्देशों के आधार पर काम करता है। इसके अलावा कर्नाटक में हिजाब विवाद के पीछे भी पीएफआई की साजिश सामने आ चुकी है।
केंद्र सरकार ने भी इसी साल 28 अप्रैल 2022 सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि पीएफआई के तार प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन सिमी से जुड़े हुए हैं, इसलिए अब इस पर बैन की तैयारी का जा रही है।