उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के आरोप में गिरफ्तार लेफ्ट एक्टिविस्ट ग्रुप ‘पिंजरा तोड़’ की सदस्य और जेएनयू की छात्रा नताशा नरवाल के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया है।
फरवरी में हुई हिंसा के मामले में नताशा नरवाल ओर देवांगना कलिता को 23 मई को गिरफ्तार किया था। 24 मई को दोनों को कोर्ट में पेश किया गया था। लेकिन दोनों को जमानत मिल गई थी। इसके फौरन बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दोनों को हत्या, हत्या के प्रयास, दंगा और आपराधिक साजिश के आरोप में गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए दो दिन का रिमांड ले लिया था।
जाँच के बाद पुलिस ने नताशा के खिलाफ UAPA के तहत कार्रवाई का फैसला किया है। पुलिस ने बताया कि देवांगना भी दंगों में भूमिका के मद्देनजर अपराध शाखा की जाँच के दायरे में हैं और 11 जून तक न्यायिक हिरासत में है। फिलहाल दोनों मंडोली जेल में बंद हैं।
नताशा नरवाल और देवांगना कलीता जेएनयू की छात्राएँ हैं। कलीता सेंटर फॉर वीमेन स्टडीज में एमफिल, जबकि नरवाल सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज की पीएचडी की छात्रा है। दोनों पिंजरा तोड़ संगठन की संस्थापक सदस्य हैं, जिसे 2015 में स्थापित किया गया था। इन दोनों के खिलाफ दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल, जाफराबाद पुलिस और क्राइम ब्रांच द्वारा मामले की जाँच की जा रही है।
पिंजरा तोड़ के सदस्यों ने 22 फरवरी की शाम को नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के लिए स्थानीय निवासियों को भड़काया और उन्हें जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर इकट्ठा होने के लिए कहा। पूछताछ में खुलासा हुआ था कि नताशा और देवांगना ने मुस्लिमों को भड़काने के लिए पूरी रणनीति तैयार की थी।
नताशा और देवांगना ने साजिश रच के 66 फूटा सड़क को ठप्प करवाया था। दोनों का काम जाफराबाद तक ही सीमित नहीं था। इन्होंने कई अन्य इलाकों में घूम-घूम कर मुस्लिमों को भड़काया और दंगों में भाग लेने को उकसाया।
नताशा नरवाल ने वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘द वायर’ के लिए तीन लेख लिखे थे। उसने ‘न्यूजलॉन्ड्री’ के लिए भी लेख लिखा था। बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को हिंसा भड़क गई थी, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और 400 से अधिक घायल हुए थे।