कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी, शिवसेना-यूबीटी नेता उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राउत और यूट्यूबर ध्रुव राठी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की माँग को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में इन नेताओं के खिलाफ EVM को लेकर झूठी कहानियाँ फैलाने और जनता में भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि उक्त लोगों ने अपने ‘छिपे लक्ष्यों’ की प्राप्ति के लिए ईवीएम को लेकर अलग-अलग धारणाएँ बनाई और लोगों को गुमराह कर नागरिकों को गलत तरीके से प्रभावित किया।
दरअसल, मिडडे अखबार ने 16 जून 2024 को एक खबर छापी थी, जिसमें ईवीएम मशीन को ओटीपी के जरिए अनलॉक करने का दावा किया गया था। विपक्षी नेताओं ने उसका इस्तेमाल देश के लोकतंत्र पर सवाल खड़ा करने के लिए किया। 16 जून को मिड डे समाचार पत्र में प्रकाशित 5 कॉलम की रिपोर्ट में दावा किया गया था पुलिस ने अपनी जाँच में पाया है कि एनडीए के प्रत्याशी रवींद्र वायकर के रिश्तेदार ने मतदान के वक्त फोन इस्तेमाल कर रहे थे जो कि ईवीएम से कनेक्ट था।
इस रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से कहा गया था कि प्रत्याशी का रिश्तेदार ओटीपी के जरिए ईवीएम अनलॉक कर रहा था। पुलिस उसका फोन फॉरेंसिक जाँच को भेज चुकी है। हालाँकि बाद में मिड-डे ने अपनी खबर का खंडन छापा था और कहा था कि ये खबर गलत थी। ऐसा होना मुमकिन नहीं है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि ध्रुव राठी और अन्य लोग लगातार फेक न्यूज फैलाकर आम जनता को भ्रमित करते हैं, ये उनकी आदत में शुमार है। ऐसा करना नीलेश नवलखा बनाम भारत संघ (2021) में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। उक्त आदेश में मीडिया को ‘मीडिया ट्रायल’ का सहारा लेने से बचने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए थे। याचिका के अनुसार, राहुल गाँधी, ध्रुव राठी समेत सभी आरोपितों ने उस आदेश का उल्लंघन किया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि जिन मामलों की सुनवाई चल रही हो, उस पर कोई राय बनाकर जनता के बीच गलत बातें फैलाने पर आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आएगा। ऐसा करना कोर्ट की अवमानना अधिनियम की धारा 2(सी) के तहत दंडनीय अपराध है।
इस मामले की सुनवाई बॉम्बे हाई कोर्ट में जस्टिस श्याम चांडक और जस्टिस मोहिते-डेरे की बेंच में हुई। जिसमें याचिकाकर्ता ने कोर्ट की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 2(बी) और 12 के तहत राहुल गाँधी, उद्धव ठाकरे, ध्रुव राठी, आदित्य ठाकरे और संजय राउत के खिलाफ कार्यवाही की माँग की। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से पुलिस को आईपीसी की धारा 192, 193, 107, 409, 120(बी) और 34 के तहत लंबित जाँच के संबंध में सार्वजनिक मशीनरी का दुरुपयोग करने और झूठे सबूत बनाने के लिए उपरोक्च लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में CBI, IB और ED सहित विशेष जाँच दल (SIT) के गठन की भी माँग की है, ताकि राहुल गाँधी, ध्रुव राठी, उद्धव ठाकरे व अन्य लोगों की ‘छिपी मंशा’ की जाँच की जा सके।
इस दौरान याचिकाकर्ता ने जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे से इस मामले की सुनवाई से अलग होने की भी अपील की, क्योंकि जस्टिस डेरे की बहन शरद पवार की एनसीपी से जुड़ी हुई हैं। हालाँकि, पीठ ने इस मामले की सुनवाई करने से इनकार किया। साथ ही कहा कि इसे गलत तरीके से उसके समक्ष रखा गया। याचिकाकर्ताओं से कहा गया कि वे चीफ जस्टिस से संपर्क करें और अपनी याचिका को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का अनुरोध करें।