नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर भ्रम के कारण फैली हिंसा के बीच शिया धर्मगुरु और मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि CAA से मुस्लिमों को कोई खतरा नहीं है। इस कानून को लेकर किसी को यदि कोई भ्रम है तो जानकारों से इस सम्बन्ध में पूछना चाहिए।
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा, “CAA और NRC दो अलग-अलग चीजें हैं। NRC अब तक केवल असम में लागू किया गया है। यह पूरे भारत में लागू नहीं किया गया है। हम अभी तक यह नहीं जानते हैं कि NRC में क्या नियम होंगे। राजनीति पार्टियाँ इस पर गुमराह कर रही हैं। मुस्लिमों से अपील है कि वे संयम बनाए रखें।”
Shia Cleric Maulana Kalbe Jawad: CAA & NRC are two different things. NRC as of now is implemented only in Assam and has not been implemented across India, also we don’t yet know what rules are going to be in it. Parties are misleading on this, appeal to Muslims to show restraint. pic.twitter.com/VtLVwdhXk0
— ANI UP (@ANINewsUP) December 21, 2019
शिया धर्मगुरु ने शुक्रवार (दिसंबर 20, 2019) की नमाज से पहले बड़ा इमामबाड़ा के असफी मस्जिद में शिया मुस्लिमों को संबोधित करते हुए संयम बरतने और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का विरोध नहीं करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह सिर्फ असम में लागू है। यदि NRC देशव्यापी लागू किया जाता है तो शिया मुस्लिमों को नागरिकता का कोई भी प्रमाण देने से इनकार कर सविनय अवज्ञा का सहारा लेना चाहिए।
अपने 8 मिनट के संबोधन में जवाद ने कहा कि 20 करोड़ से अधिक मुस्लिम भारत में रहते हैं और अगर वे सभी सविनय अवज्ञा का सहारा लेते हैं, तो यह बहुत बड़ा प्रभाव डालेगा। उन्होंने कहा, “हम देखेंगे कि वे (सरकार) इतनी बड़ी आबादी के खिलाफ कैसे कार्रवाई करेंगे।” वहीं लखनऊ में प्रदर्शनकारियों पर तथाकथित पुलिस की कार्रवाई पर चुप रहने के लिए मुस्लिम राजनेताओं पर भड़कते हुए मौलवी ने कहा था, “एक व्यक्ति मारा गया, 50 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए और निर्दोष लोगों पर लाठीचार्ज किया गया, लेकिन आजम खान जैसे वरिष्ठ राजनेता चुप हैं।”
उल्लेखनीय है कि संसद से जैसे ही नागरिकता संशोधन बिल पास हुआ, वैसे ही देश के कई हिस्सों में इसका विरोध शुरू हो गया। नए नागरिकता कानून के खिलाफ सबसे पहले नॉर्थ ईस्ट से विरोध की आवाज उठी, जो धीरे-धीरे देश के अलग-अलग हिस्सों तक पहुँच गई।
असम, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे तमाम राज्यों में विरोध प्रदर्शन का हिंसक रूप दिखा। कुछ जगहों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के इतर मारपीट, आगजनी और पत्थरबाजी हुई। उत्तर प्रदेश में तो हिंसक विरोध-प्रदर्शन के कारण कई लोगों की जान भी चली गई। एहतियातन दिल्ली के कुछ इलाकों सहित गाजियाबाद और दूसरी कई जगहों पर प्रशासन ने इंटरनेट सेवा बंद कर दी है। प्रदर्शन अब भी जारी है।
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