सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दिल्ली पुलिस के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया है। प्रशांत भूषण ने प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘द वायर’ की एक ख़बर पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली पुलिस को ‘दल्ला पुलिस’ बताया है। ‘द वायर’ की उस ख़बर में कहा गया था कि दिल्ली पुलिस ने जेएनयू में पढ़ने वाली एमफिल की छात्रा देवांगना कलिता को पिछले 10 दिनों के भीतर तीसरी बार गिरफ़्तार किया है। अबकी क्राइम ब्रांच ने ये कार्रवाई की।
इसी ख़बर से प्रशांत भूषण भड़क गए। बता दें कि देवांगना कुख्यात संगठन ‘पिंजरा तोड़‘ की कार्यकर्ता है, जो दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों के दौरान लोगों को भड़काने और महिलाओं को उकसा कर सड़क जाम करवाने में लगी हुई थी। देवांगना को तीन दिनों के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है, जिससे प्रशांत भूषण को मिर्ची लग गई। दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने भी लोगों का ध्यान इस तरफ आकृष्ट कराया कि प्रशांत भूषण दिल्ली पुलिस के लिए कैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।
Dalla Police! Dil ki police? https://t.co/AxBmRDy9ti
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) June 1, 2020
देवांगना को इससे पहले उसकी साथी नताशा नरवाल के साथ 23 मई को गिरफ़्तार किया गया था। जमानत मिलने के बाद 28 मई को देवांगना को फिर गिरफ्तार किया गया। इस तरह से गिरफ़्तारी होने के बाद उसे 10 दिनों में तीसरी बार पुलिस ने शिकंजे में लिया है। देवांगना जाफराबाद में हिंसा फैलाने में लगी हुई थी। इससे पहले पुलिस ने 14 दिनों की कस्टडी माँगी थी, लेकिन 2 दिन की ही मिली। देवांगना के खिलाफ हत्या का प्रयास, आपराधिक साज़िश और दंगे फैलाने के आरोप हैं।
पिंजरा तोड़ के सदस्यों ने 22 फरवरी की शाम को नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के लिए स्थानीय निवासियों को भड़काया और उन्हें जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर इकट्ठा होने के लिए कहा। पूछताछ में खुलासा हुआ था कि नताशा और देवांगना ने दूसरे समुदाय को भड़काने के लिए पूरी रणनीति तैयार की थी। नताशा और देवांगना ने साजिश रच के 66 फूटा सड़क को ठप्प करवाया था। इन्होंने कई अन्य इलाकों में घूम-घूम कर लोगों को भड़काया और दंगों में भाग लेने को उकसाया।
बता दें कि ‘पिंजरा तोड़’ शुरू किया गया था हॉस्टल की समस्याओं को लेकर। लेकिन अब यह पूरी तरह से डीयू में वामपंथी प्रोपेगेंडा का महिला ब्रिगेड बन कर खड़ा हो चुका है जो हर उस विषय पर भीड़ की शक्ल लेकर पहुँच जाता है, जो वामपंथियों के वृहद एजेंडे का हिस्सा है। आप इनके फेसबुक पोस्ट्स को खँगालेंगे तो ‘पिंजरा तोड़’ की नेत्रियाँ दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों की पूरी आधारशिला रखती प्रतीत होती हैं।