अंतरधार्मिक विवाह के रजिस्ट्रेशन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने बुधवार (जनवरी 13, 2021) को अपने फैसले में कहा है कि अंतरधार्मिक जोड़ों की शादी के लिए नोटिस का अनिवार्य प्रदर्शन अब से वैकल्पिक होगा।
हाईकोर्ट ने इस नोटिस को प्राइवेसी का हनन बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी से 30 दिन पहले जरूरी तौर पर नोटिस देने के नियम अनिवार्य नहीं है और अगर शादी कर रहे लोग नहीं चाहते, तो उनका ब्यौरा सार्वजनिक न किया जाए। हिन्दू धर्म अपनाकर मुस्लिम से शादी करने वाली एक महिला की याचिका पर अदालत ने ये फैसला दिया है।
कोर्ट ने 47 पेज के अपने फैसले में कहा, “1954 के अधिनियम की धारा 5 के तहत नोटिस देते समय यह विवाह के पक्षकारों के लिए वैकल्पिक होगा, जो लोग शादी करना चाहते हैं, वे ऑफिसर से लिखित अपील कर सकते हैं कि 30 दिन पहले नोटिस को पब्लिश किया जाए या नहीं। और 1954 के अधिनियम के तहत निर्धारित आपत्तियों की प्रक्रिया का पालन करें। यदि वे अधिनियम की धारा 5 के तहत नोटिस देते समय लिखित रूप में नोटिस के प्रकाशन के लिए ऐसा अनुरोध नहीं करते हैं, तो विवाह अधिकारी इस तरह का कोई नोटिस प्रकाशित नहीं करेगा।”
अदालत ने कहा है कि नोटिस का लगाया जाना किसी की स्वतंत्रता और गोपनीयता के मौलिक अधिकार पर आक्रमण है। किसी के दखल के बिना पसंद का जीवन साथी चुनना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। ऐसे लोगों के लिए सूचना प्रकाशित कर उस पर लोगों की आपत्तियाँ न ली जाएँ। हालाँकि विवाह अधिकारी के सामने यह विकल्प रहेगा कि वह दोनों पक्षों की पहचान -उम्र व अन्य तथ्यों को सत्यापित कर ले। हाईकोर्ट ने कहा, इस तरह की चीजों को सार्वजनिक करना प्राइवेसी और आजादी जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसके साथ ही यह मर्जी से जीवनसाथी चुनने की आजादी के आड़े भी आता है।
कोर्ट ने हिन्दू धर्म अपनाकर शादी करने वाली एक महिला साफ़िया सुल्तान की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह फैसला दिया है। दरअसल, साफिया सुल्तान ने अपनी मर्जी से हिन्दू लड़के अभिषेक कुमार पांडेय से शादी की और साफिया सुल्तान से अपना नाम बदलकर सिमरन कर लिया है। हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद 14 दिसंबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था।
बता दें इस फैसले से पहले अंतरधार्मिक विवाह में जोड़े को डिस्ट्रिक्ट मैरिज ऑफिसर को शादी के लिए पहले से लिखित सूचना देनी होती थी। शादी से 30 दिन पहले ये सूचना दी जाती थी। जिसके बाद अधिकारी अपने कार्यालय में ये नोटिस लगाता है, जिस पर 30 दिनों के भीतर शादी को लेकर कोई आपत्ति करना चाहता है तो कर सकता है।