वाराणसी के जिला न्यायालय द्वारा हिन्दू श्रद्धालुओं को पूजा की अनुमति दिए जाने के बाद ज्ञानवापी परिसर घंटे-घड़ियाल की ध्वनि से गुंजायमान हो गया। ज्ञानवापी के विवादित ढाँचे में कल (31 जनवरी, 2024) से हिन्दू श्रद्धालुओं ने पूजा चालू कर दी। कल रात 10 बजे के बाद चालू हुई पूजा 1 फरवरी की सुबह 2 बजे तक चली।
वाराणसी के जिला न्यायालय ने कल हिन्दू पक्ष की माँग पर व्यास तहखाने में पूजा की इजाजत दी थी। हिन्दू पक्ष ने तर्क दिया था कि यहाँ वर्ष 1993 तक नियमित रूप से पूजा होती थी और इस पर तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने बिना किसी वैधानिक आधार के रोक लगा दी थी। जिला न्यायालय ने यहाँ पश्चिमी दीवाल का इलाका हिन्दुओं को पूजा के लिए सौंपने का आदेश जिला प्रशासन को दिया था। साथ ही इसके लिए सभी इंतजाम करवाने का आदेश दिया था।
कोर्ट के कल के आदेश के बाद रात 10 बजे यहाँ वाराणसी के डीआईजी और डीएम पहुँचे तथा यहाँ लगे हुए बैरिकेड हटाए गए। इसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के पुजारी ने यहाँ मूर्तियाँ स्थापित की और भगवान की शयन आरती की। यहाँ भगवान के सामने अखंड ज्योति भी जलाई गई। इस दौरान यहाँ व्यास परिवार भी मौजूद रहा और पूजा में शामिल हुआ जो कि 1993 तक इस तहखाने में पूजा किया करता था। हालाँकि, यह तहखाना अभी सामान्य श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया है।
वाराणसी के जिला प्रशासन ने बताया है कि यहाँ न्यायालय के आदेशानुसार सभी प्रबंध कर दिए गए हैं। यहाँ बैरिकेड हटाने, रास्ते तैयार करने और सुरक्षा सम्बन्धी कामों को पूरा कर लिया गया है। वाराणसी के जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा है कि आदेश का पालन किया गया है।
#WATCH | Varanasi, Uttar Pradesh: District Magistrate (DM) S Rajalingam says, "We have complied with the court's order." https://t.co/XQYyCO84oj pic.twitter.com/2oJFSduQ3H
— ANI (@ANI) January 31, 2024
ज्ञानवापी में पूजा शुरू किए जाने को लेकर हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया, “राज्य सरकार ने न्यायालय के निर्देश का पालन किया है। काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के एक पुजारी द्वारा मूर्तियाँ स्थापित करने के बाद शयन आरती की गई है। अखंड ज्योति भी उनके सामने जला दी गई है। अब इन देवी-देवताओं के लिए रोज सभी आरतियाँ और भोग प्रसाद होगा।”
The SG has complied with the orders of the court. Shayan arti done by a pujari of KVM Trust after putting up idols. An Akhand Jyoti started in front of them. Daily Arti of all above deities- Morning Mangla Arti, Bhog Arti, evening arti, late sunset evening arti, Shayan arti.
— Vishnu Shankar Jain (@Vishnu_Jain1) February 1, 2024
इस सम्बन्ध में कल न्यायालय ने हिन्दू पक्ष के शैलेन्द्र पाठक की याचिका पर यह निर्णय सुनाया था। याचिका में कहा गया था कि उक्त तहखाने में मूर्तिपूजा की जाती थी। न्यायालय ने माना कि दिसंबर 1993 में पुजारी सोमनाथ व्यास को तहखाने में घुसने से रोक दिया गया था और इसकी बैरिकेडिंग कर दी गई थी। ब्रिटिश काल से ही वो वहाँ पूजा करते आ रहे थे। उन्हें रोके जाने के बाद राग-भोग आदि संस्कार भी रुक गए। बाद में तहखाने का दरवाजा रोक दिया गया।
न्यायालय ने ये भी माना कि हिन्दू धर्म से संबंधित कई सामग्रियाँ एवं प्रतिमाएँ आज भी उक्त तहखाने में मौजूद हैं। मूर्तियों की नियमित रूप से पूजा की जानी आवश्यक है। न्यायालय ने बड़ी बात कही कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने बिना किसी विधिक अधिकार के दिसंबर 1993 में पूजा बंद करवा दी थी। उसी महीने में मुलायम सिंह यादव ने बसपा सुप्रीमो कांशीराम के समर्थन से सरकार बनाई थी और मुख्यमंत्री बने थे। ‘मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम’ का नारा लगाया गया था।
मुस्लिम पक्ष का दावा है कि व्यास द्वारा उक्त तहखाने में कभी पूजा की ही नहीं गई। साथ ही वहाँ कोई मूर्ति होने की बात भी नकार दी गई। न्यायालय ने आदेश दिया कि 7 दिनों के भीतर वहाँ लोहे के बाड़ में पूजा-पाठ की व्यवस्था की जाए। कोर्ट को ये भी बताया गया था कि परिक्रमा वाले मार्ग पर मस्जिद कमिटी वालों ने लोहे की बैरिकेडिंग कर रखी है। साथ ही कोर्ट ने व्यास परिवार की वंशावली और वसीयत का भी जिक्र किया। इस फैसले के बाद काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में महादेव का दर्शन करने जाने वाले भक्त ज्ञानवापी में भी पूजा-पाठ कर सकेंगे।