Tuesday, November 19, 2024
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राहुल गाँधी डॉक्टर नहीं, जो उन्हें वेंटिलेटर जाँचना आता हो: AgVa के प्रोफ़ेसर ने कहा- मैं उन्हें डेमो दिखाना चाहूँगा

प्रोफेसर दिवाकर वैश ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय निर्माता नहीं चाहते हैं कि भारतीय वेंटिलेटर को बढ़ावा दिया जाए और इसलिए वे स्वदेशी प्रयासों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए अगर राहुल गाँधी चाहें तो मैं उन्हें वेंटिलेटर कैसे काम करता है, इसका डेमो दिखा सकता हूँ।

मंगलवार (जुलाई 7, 2020) को अग्वा (AgVa) वेंटिलेटर के सह-संस्थापक प्रोफेसर दिवाकर वैश ने कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष  राहुल गाँधी के आरोपों पर स्पष्टीकरण दिया। वैश ने कहा कि राहुल गाँधी ने वेंटिलेटर की जाँच किए बिना ही उससे जुड़ी खबर को रीट्वीट कर दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी डॉक्टर तो हैं नहीं, जो उन्हें वेंटिलेटर की जाँच करना आता हो। उन्होंने बिना वेरीफाई किए रीट्वीट कर दिया।

बता दें कि राहुल गाँधी ने रविवार (जुलाई 5, 2020) को सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि वह पीएस केयर्स फंड का इस्तेमाल कर कोविड-19 रोगियों के लिए घटिया वेंटिलेटर खरीद रही है। उन्होंने कहा था कि पीएम केयर्स में अपारदर्शिता से भारतीयों का जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है और सार्वजनिक धन का इस्तेमाल घटिया सामग्री खरीदने में हो रहा है।

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय निर्माता नहीं चाहते हैं कि भारतीय वेंटिलेटर को बढ़ावा दिया जाए और इसलिए वे स्वदेशी प्रयासों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए अगर राहुल गाँधी चाहें तो मैं उन्हें वेंटिलेटर कैसे काम करता है, इसका डेमो दिखा सकता हूँ।

वैश ने बताया कि वेंटिलेटर में एक प्रक्रिया होती है, जिसे FiO2 कहा जाता है। इसके माध्यम से पता चलता है कि ऑक्सीजन कितना डिलीवर हो रहा है और इससे पता चलता है कि कितनी फीसदी ऑक्सीजन का इस्तेमाल हो रहा है। 

उन्होंने कहा, “हवा में 21 फीसदी ऑक्सीजन होता है, लेकिन कोरोना मरीजों को जरूरत पड़ने पर 100 फीसदी ऑक्सीजन देना पड़ता है। इसलिए हमने अपने ऑक्सीजन को इस तरह तैयार किया है कि यह 21 फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक ऑक्सीजन को मरीज को दे सकता है।”

राहुल गाँधी के आरोपों पर बोलते हुए वैश ने कहा, “कुछ लोग एफआईओ2 यानी ऑक्सीजन की मात्रा को लेकर हम पर आरोप लगा रहे हैं कि हम उसमें गड़बड़ी कर रहे हैं। हम लोगों को बताना चाहते हैं कि हर वेंटिलेटर के अंदर ऑक्सीजन सेंसर लगा होता है, जिसकी धीरे-धीरे दक्षता कम होती जाती है, इसलिए इसको संशोधित करना होता है। हर वेंटिलेटर के अंदर इसकी जाँच करने का विकल्प होता है।”

उन्होंने आगे कहा, “कई बार आप 100 फीसदी ऑक्सीजन का प्रयोग करते हैं, लेकिन आपको यह 90 फीसदी दिखाई देगा। इस दौरान आपको इसे संशोधित करना होता है और इसे सामान्य स्तर पर लाना होता है। उन्होंने बताया कि यह बात दुनिया के हर एक एनेस्थेटिस्ट को पता है और यही हम भी करते हैं।”

उन्होंने कहा कि अब कुछ वर्तमान कर्मियों और कुछ पूर्व कर्मियों को ये बात नहीं पता थी। उन्होंने मशीन में थोड़ा सा परिवर्तन किया और वह संशोधित होकर 100 फीसदी पर पहुँच गई। राहुल गाँधी को यह बात पता नहीं होगी क्योंकि वह डॉक्टर तो हैं नहीं।

वैश ने कहा कि इसलिए उन्होंने उस खबर को रीट्वीट कर दिया, जिसमें वेंटिलेटर के घटिया होने की बात कही गई थी। राहुल गाँधी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि वेंटिलेटर में संशोधन प्रक्रिया क्या है और इसे कैसे किया जाता है। इसलिए हम कहना चाहते हैं कि वेंटिलेटर में कोई खामी नहीं है। 

प्रोफेसर दिवाकर वैश ने अपनी कंपनी के वेंटिलटर का मंगलवार को डेमो भी दिया। साथ ही उन्होंने कहा, “हमने रातभर में वेंटिलेटर का निर्माण नहीं किया है। हम तीन साल से मार्केट में हैं। चरणबद्ध तरीके से हमने इसे विकसित किया है। नॉर्मल वेंटिलेटर की तरह ही इसमें सभी पैरामीटर हैं। सामान्य वेंटिलेटर की तुलना में हमारे वेंटिलेटर की कीमत पाँच से दस गुना कम है। सामान्य वेंटिलेटर की कीमत 10 से 20 लाख रुपए है। हमारे वेंटिलेटर की कीमत मात्र 1.5 लाख रुपए रखी गई है।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें माँग को देखते हुए निर्माण को बड़ी संख्या में करने का दबाव दिया गया, तो उन्होंने कहा कि हम पर कोई दबाव नहीं था। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जांच किए जाने के बाद हमें ऑर्डर दिया गया। वेंटिलेटरों की कई मरीजों पर जांच की गई। मंत्रालय द्वारा इसको लेकर पूरा विश्लेषण किया गया है। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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