बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के ‘धर्म विज्ञान संकाय’ में फ़िरोज़ ख़ान की नियुक्ति के ख़िलाफ़ चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन को दबाने की कोशिश हो रही है। छात्रों का कहना है कि हिन्दू कर्मकांड के विषय को एक मुस्लिम कैसे पढ़ा सकता है, जो यज्ञोपवीत और शिखा धारण नहीं करता। कई तबकों में अफवाह फैलाई जा रहा है कि संस्कृत पढ़ाने के लिए फ़िरोज़ ख़ान का विरोध हो रहा है जबकि छात्र साफ़-साफ़ कहते हैं कि अगर फ़िरोज़ ख़ान संस्कृत पढ़ाते हैं तो उनका स्वागत है। इस सम्बन्ध में ऑपइंडिया ने बीएचयू के ‘संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान’ संकाय के छात्र आनंद मोहन झा से बात की। झा इस विरोध प्रदर्शन के नेतृत्वकर्ताओं में शामिल हैं।
इस पूरे प्रकरण के दौरान ‘इंडिया टुडे’ का एक इंटरव्यू चर्चित हुआ, जिसमें पत्रकार राहुल कँवल ने विरोध-प्रदर्शन में शामिल छात्रों का नेतृत्व कर रहे चक्रपाणि ओझा से बातचीत की। इसमें राहुल कँवल ने छात्रों की बात सुनने से इनकार कर दिया और उनका ऑडियो म्यूट कर दिया। इस दौरान उन्होंने महोपनिषद के श्लोक का एक भाग ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का ग़लत उच्चारण करते हुए छात्रों को नीचा दिखाया। आनंद मोहन ने बताया कि जहाँ छात्रों ने अपनी बात रखी, वहाँ ‘इंडिया टुडे’ ने उनकी आवाज़ म्यूट कर दी।
आनंद मोहन झा ने बताया कि ‘इंडिया टुडे’ के शो में राहुल कँवल व अन्य अतिथियों का लहजा काफ़ी ग़लत था, जिसका बीएचयू के छात्र सख्त विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि राहुल कँवल ने बीएचयू के छात्रों के साथ काफ़ी गन्दा व्यवहार किया। प्रदर्शनकारी छात्रों पर दबाव पैदा किया जा रहा है ताकि वो आंदोलन से पीछे हट जाएँ। झा ने बताया कि छात्र कहीं न कहीं ख़ासा दबाव का सामना कर रहे हैं। ऑपइंडिया से बात करते हुए बीएचयू के ‘संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान’ संकाय के छात्र आनंद मोहन झा ने बताया कि व्याकरण विभाग के प्रोफेसर बृजभूषण ओझा ने छात्रों के साथ गुंडागर्दी की।
The tone & manner in which @rahulkanwal spoke to the BHU student is the reason why Lutyens/the Delhi lot are despised by the rest of India. I may disagree with the student,but this is no way for an anchor to talk to anyone. Boorish elitism on display https://t.co/Yslln6DH1y
— Smita Barooah (@smitabarooah) November 21, 2019
विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों में से एक का प्रोफेसर ओझा ने हाथ पकड़ लिया और उसे खींचने लगे। इस स्थिति को देख अन्य छात्रों ने अपने साथ को वापस खींचना शुरू किया। उक्त छात्र का हाथ पकड़ कर जबरदस्ती खींचते हुए प्रोफेसर ओझा ने कहा- “चलो, तुम मेरे साध उधर अंदर चलो।” ओझा ने सभी छात्रों के सामने खुलेआम ऐसा किया। इसके अलावा एक अन्य प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी का भी नाम सामने आया है। आनंद मोहन झा ने बताया कि प्रोफेसर द्विवेदी विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर दबाव बनाने में लगे हुए हैं। उन्होंने धमकी दी कि छात्रों का करियर चौपट कर दिया जाएगा।
प्रोफेसरों ने छात्रों से कहा कि जो हो रहा है उसे होने दो और जैसा विश्वविद्यालय प्रशासन चाहता है, वैसा करो।प्रोफेसरों ने धमकी देते हुए कहा- “हम लोग तो बाहर बैठे रहेंगे फिर भी हमें रुपए मिलते रहेंगे, तुमलोग अपना सोचो।” आनंद मोहन झा के अनुसार, प्रोफेसरों ने कहा कि इधर धरना जितना लम्बा चलेगा, वो लोग बैठ कर आराम से पैसा खाते रहेंगे। उन्होंने बताया कि बाद में प्रोफेसर अपने ही बयान से पलट गए। बीएचयू के कई पुराने छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मुलाक़ात की है। छात्रों की वीसी के साथ भी बैठक हुई। झा ने बताया कि इस बैठक के दौरान भी वीसी का रवैया काफ़ी दबावपूर्ण था।
रिसर्च कर रहे छात्रों के गाइड होते हैं, जिसके लिए किसी प्रोफेसर को असाइन किया जाता है। उन्हें सुपरवाइजर भी कहा जाता है। संकाय के छात्र आनंद मोहन झा ने बताया कि जितने भी जिन प्रोफेसरों (गाइड) ने कभी छात्रों को डाँटा तक नहीं, उनका रवैया भी अब काफ़ी दबावपूर्ण हो गया है। उन्होंने आशंका जताई कि सुपरवाईजरों पर भी ऊपर से काफ़ी दबाव बनाया गया है। उन्होंने बताया कि ये प्रोफेसर लगातार छात्रों के आत्मविश्वास को कम करने में लगे हुए हैं।
फिलहाल जेएनयू के छात्रों का आंदोलन जारी है क्योंकि आनंद मोहन झा और चक्रपाणि ओझा सहित सभी छात्रों ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है। इन्हें शंकराचार्य का भी समर्थन प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी प्रशासन से इन पूरे कांड की रिपोर्ट तलब की है। छात्रों ने 15 दिनों के आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय के निवेदन पर धरना ख़त्म कर दिया लेकिन कहा कि लड़ाई जारी रहेगी। अब छात्र प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने के लिए कार्यालय जाएँगे। हालाँकि, तब तक परीक्षाओं का बहिष्कार किया जाएगा।