राजस्थान का में करोड़ों रुपए का जल जीवन मिशन घोटाला हुआ है। फर्जी निविदा के जरिए करोड़ों रुपए का गबन किया गया है। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केंद्र समर्थित इस योजना के कार्यान्वयन में अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राजस्थान में कई जगहों पर पर तलाशी अभियान चलाया था।
ईडी की ये जाँच राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की दर्ज एक एफआईआर के आधार पर शुरू हुई थी। ईडी के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, “छापे के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों में घोटाले का आकार 1,000 करोड़ रुपए आँका गया है, लेकिन आँकड़ा इससे अधिक भी हो सकता है।”
इस मिशन के लिए फर्जी पृष्ठभूमि वाली दो कंपनियों को 900 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रेक्ट दिया गया था। बाद में दोनों कंपनियों ने महज 500 करोड़ रुपए के बिल का दावा किया है। न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों मालिकों में से एक को पकड़ लिया गया है, जबकि दूसरा अभी फरार है।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज 18 को बताया कि दो कंपनियों- गणपति ट्यूबवेल कंपनी और श्रीश्याम ट्यूबवेल कंपनी का मालिकाना हक दो कारोबारियों के पास है। ये दोनों आपस में एक-दूसरे से संबंधित हैं। इन कारोबारियों ने नकली और मनगढ़ंत अनुभव प्रमाण पत्र पेश करके ‘जल जीवन मिशन’ का कॉन्ट्रेक्ट हासिल किया था।
दरअसल, इस केस में ईडी ने पिछले हफ्ते एक रिटायर और एक सेवारत सरकारी अधिकारी के घरों में छापेमारी की थी। इस दौरान 2.5 करोड़ रुपए नकद और 1 किलोग्राम की सोने की ईंट जब्त की गई थी। इसके साथ ही बोली प्रक्रिया में धांधली का संकेत देने वाले कई डिजिटल और कागजी सबूत भी बरामद किए गए थे।
‘जल जीवन मिशन’ का मकसद घरेलू नल कनेक्शन के जरिए सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल मुहैया कराना है। इस मिशन को राजस्थान में सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग (PHED) संचालित कर रहा है। इसके जरिए वहाँ पेयजल की पाइपलाइन बिछाई जा रही है।
मंत्री महेश जोशी ED की रडार पर
इस मामले में राजस्थान के PHED मंत्री महेश जोशी भी ईडी के रडार पर हैं। उन्होंने कहा कि मामला अगस्त में राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने शुरू किया था और ईडी ने इसे अपने हाथ में ले लिया है। उन्होंने आगे कहा कि जैसे-जैसे जाँच आगे बढ़ेगी सब कुछ सामने आ जाएगा।
ईडी के अधिकारी ने बताया कि ये कारोबारी महेश जोशी और कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों सहित राजस्थान कुछ मंत्रियों के करीबी हैं। वहीं, मंत्री जोशी ने कहा, “मुझे अभी तक नहीं बुलाया गया है, लेकिन अगर वे ऐसा करते हैं तो मेरे पास दस्तावेज़ तैयार हैं। मैं जाँचकर्ताओं के सामने अपना पक्ष रखूँगा। मैं आरोपों से परेशान नहीं हूँ।”
केंद्रीय एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि इस मामले में कई आपत्तियाँ उठाए जाने और विभाग में कई शिकायतें दर्ज होने के बावजूद राज्य सरकार ने कंपनियों के साथ काम जारी रखा। विभाग ने एक प्रारंभिक जाँच का आदेश दिया गया था, लेकिन इन आपत्तियों को दूर करने के लिए मनगढ़ंत दस्तावेजों का एक और सेट पेश करके इसे खत्म कर दिया गया था। सूत्र ने आगे कहा कि ये दोनों कंपनियाँ बोली लगाने के काबिल नहीं थीं, फिर भी उन्हें 900 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया।
जल जीवन मिशन घोटाला मामले में 8 अगस्त को राजस्थान सरकार की एसीबी ने प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई थी। आरोप टेंडरिंग और कार्य प्रक्रिया में अनियमितता, कच्चे माल की खरीद और पुरानी पाइपलाइन बिछाने से संबंधित हैं। इसमें पाइप बिछाने के काम की गहराई पर भी सवाल उठाए गए हैं।
क्या है जल जीवन मिशन योजना?
जल जीवन मिशन योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था की जानी थी। इसमें 50 फीसदी खर्च राजस्थान को और 50 फीसदी खर्च केंद्र सरकार को वहन करना था। इसके तहत डीआई डक्टर आयरन पाइपलाइन डाली जानी थी, लेकिन जलदाय विभाग के अफसरों और ठेकेदारों की मिली भगत से एचडीपीई पाइपलाइन डाली गई।
इस काम में करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया है। हरियाणा से चोरी करके लाए गए पाइपों को नया बताकर उन्हें बिछा दिया गया। पाइपलाइन को नई बताकर पैसा उठा लिया गया। इसके अलावा, कई किलोमीटर तक पाइपलाइन नहीं डाली गई। इसकी एवज में करोड़ों रुपए का भुगतान उठा लिया गया।
भाजपा सांसद ने लगाया था आरोप
भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने जून 2023 में राजस्थान में ‘जल जीवन मिशन’ में 20 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि योजना की 48 परियोजनाओं में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर दो फर्मों को 900 करोड़ रुपए के टेंडर जारी किए गए थे। उनका दावा था कि ये घोटाला पीएचईडी मंत्री महेश जोशी और विभाग के सचिव ने मिलकर किया है।