अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसको लिए पूरे देश में उत्साह है और दीपावली मनाने की तैयारी की जा रही है। पूरी दुनिया का हिन्दू समाज इस समय उन तमाम कारसेवकों को भी याद कर रहा है, जिन्होंने राम के लिए पर अपने प्राणों की आहुति दी। राम मंदिर के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले लोगों में एक नाम राम अचल गुप्ता का भी है।
अयोध्या जिले के रुदौली थाना क्षेत्र के निवासी राम अचल गुप्ता को 2 नवंबर 1990 को रामजन्मभूमि के पास गोली मार दी गई थी। उस दौरान यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव के आदेश पर पुलिस ने कारसेवकों पर गोली चलाई थी। ऑपइंडिया ने राम अचल गुप्ता के घर जाकर वर्तमान हालात की जानकारी ली।
किराने की दुकान से होता है गुजारा
राम अचल गुप्ता का परिवार लखनऊ-अयोध्या रोड के पास शुजागंज बाजार में रहता है। गुजारा करने के लिए उनके परिजन किराने की दुकान चलाते हैं। दुकान का नाम संजय किराना स्टोर है। राम अचल को मात्र 26 वर्ष की उम्र में वीरगति प्राप्त हुई थी। वो 2 बेटों और 1 बेटी के पिता थे। फ़िलहाल उनके सभी बेटों-बेटी का विवाह हो चुका है।
राम अचल गुप्ता की पत्नी का नाम राजकुमारी गुप्ता है। वो अभी जीवित हैं और उनकी उम्र लगभग 55 वर्ष है। पति की मौत के बाद राजकुमारी गुप्ता ने ही बच्चों को पालन-पोषण किया। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई अधिकतर उनके ननिहाल में हुई थी। राम अचल गुप्ता के बेटे संजय गुप्ता के मुताबिक, उनका बचपन बेहद अभाव में बीता है।
बचपन से ही थे RSS के सदस्य
राम अचल गुप्ता के बेटे संजय गुप्ता ने ऑपइंडिया को बताया कि उनके पिता बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हुए थे। संघ की शाखा में कोसों दूर से लोग आते थे। परिजनों का कहना है कि जब भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा शुरू की थी, उस दौरान भी राम अचल काफी सक्रिय थे।
उस समय राम अचल गुप्ता अपने घर से लगभग 5 किलोमीटर दूर रुदौली बाजार में पान की दुकान लगाते थे। बेहद कम उम्र में ही राम अचल का विवाह अयोध्या के खंडासा क्षेत्र की रहने वाली राजकुमारी गुप्ता से हो गया। उनके बेटे संजय का कहना है कि उनके पिता ने कभी भी धर्म से ऊपर अपने परिवार को नहीं रखा।
दर्शन कराने के नाम पर जमा किया, फिर मार डाला
राम अचल के भाई रामतेज ने बताया कि 28 नवंबर 1990 को कारसेवा में वे भी अपने भाई के साथ गए थे। कारसेवकों के इस समूह में आसपास के गाँवों के दर्जनों लोग शामिल थे। इन सभी ने पहले बाहर से आए रामभक्तों को खाना खिलाया और उनके आराम करने की व्यवस्था की। इसके बाद राम अचल मुख्य सड़क पर तैनात पुलिस वालों से बचते-बचाते खेतों के रास्ते साथियों सहित अयोध्या निकल गए।
30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में चली गोलियों में कई कारसेवक वीरगति को प्राप्त हुए थे। इसके बावजूद राम अचल गुप्ता अपने घर लौटने को तैयार नहीं हुए। रामतेज गुप्ता ने हमें आगे बताया कि 2 नवंबर 1990 को अयोध्या की मणिराम दास छावनी में वो अपने भाई राम अचल के साथ इकट्ठा हुए थे। वहाँ देश भर के हजारों कारसेवक पहले से मौजूद थे।
उनका कहना है कि प्रशासन के कुछ अधिकारी वहाँ आए और इस बात पर सहमति बन गई थी कि सभी कारसेवकों को जन्मभूमि का दर्शन करवा के उनके घर भेज दिया जाएगा। प्रशासन की इस सहमति पर अलग-अलग दिशाओं से कारसेवकों के जत्थे निकले और कड़ी सुरक्षा के बीच जन्मभूमि की तरफ बढ़े। तब रामजन्मभूमि की तरफ बढ़ रहे जत्थों को पुलिस ने अलग-अलग जगहों पर रोक दिया।
घटना को याद करते हुए रामतेज ने बताया कि जिस जत्थे में वे अपने भाई राम अचल के साथ जा रहे थे, उसे बड़ा डाकखाना के पास रोका दिया गया। यह जगह हनुमान गढ़ी से महज आधा किलोमीटर ही दूर है। जत्थे को रोके जाने से कारसेवक नाराज हो गए और सड़क पर बैठकर राम भजन गाने लगे। इसी बीच पुलिस की 2 टीमें वहाँ पहुँची। एक टीम के हाथों में लाठियाँ थीं और दूसरे के पास बंदूकें।
रामतेज ने बताया कि बिना किसी चेतावनी के भजन गाते हुए धरना दे रहे कारसेवकों पर पुलिस ने हमला कर दिया। शुरुआत में लाठीचार्ज हुआ और बाद में गोलियाँ बरसा दी गईं। इसके चलते भगदड़ मच गई और रामतेज अपने भाई राम अचल से अलग हो गए। हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था और पुलिस बर्बरता पर उतर आई थी।
रामतेज गुप्ता का दावा है कि उन्होंने इस भगदड़ में देश के विभिन्न कोने से आए कारसेवकों को देखा कि वे अपने साथियों की लाशों को कंधों पर लाद कर इधर-उधर भाग रहे हैं। उन्होंने कहा कि आँसू गैस के गोले छोड़े जाने की वजह से हर तरफ धुँआ फ़ैल गया था और बीच-बीच में गोलियाँ आ रहीं थी और कारसेवक जमीन में गिर रहे थे।
कोठारी बंधुओं के साथ रखा हुआ था शव
रामतेज गुप्ता ने ऑपइंडिया से बात करते हुए उस बीते मंजर को याद कर आक्रोशित हो गए। हालाँकि, खुद को सँभालते हुए उन्होंने कहा कि भगदड़ खत्म होने के बाद वो अपने भाई को खोजने लगे, लेकिन वो कहीं नहीं मिले। आखिरकार, मणिरामदास छावनी से घोषणा हुई कि उनके भाई राम अचल बलिदान हो गए हैं।
रामतेज गुप्ता ने आगे बताया कि जब वे शव को खोजते हुए मणिराम दास छावनी पहुँचे तो वहाँ उनके भाई राम अचल गुप्ता की लाश रखी हुई थी। वहाँ पर लगभग आधे दर्जन अन्य कारसेवकों की भी लाश रखी गई थी। इन आधे दर्जन बलिदानियों में कोठारी बंधु भी शामिल थे। गोली राम अचल के सीने पर लगी थी।
शव देखकर रो पड़े SDM और छुए पैर
शुजागंज बाजार से राम अचल का शव लेने गए उनके कुछ परिचित लोगों से ऑपइंडिया ने बात की। उन्होंने बताया कि अयोध्या में मुलायम सिंह यादव द्वारा किए गए ‘परिंदा पर न मारने पाए’ के एलान के बाद प्रशासन सख्त हो गया था। हालाँकि, रुदौली में तैनात विशाल राय नाम के उप जिला मजिस्ट्रेट (SDM) ने इन लोगों की काफी मदद की थी। उन्होंने शव लेने गए लोगों के आने-जाने के लिए पास बनवाई थी।
राम अचल का शव लाने वालों ने हमें बताया कि जब बलिदानी की लाश शुजागंज आई, तब खुद SDM अंतिम संस्कार के समय मौजूद थे। लोगों ने दावा किया कि इस दौरान SDM विशाल राय फूट-फूट कर रोए थे और दाह संस्कार से पहले राम अचल के पैर छुए थे। विशाल राय पहले सेना में थे, जो रिटायरमेंट के बाद प्रशासनिक सेवा में आ गए थे। फ़िलहाल विशाल राय रिटायर हो चुके हैं।
जहाँ हुआ अंतिम संस्कार, वहीं बनी समाधि
राम अचल गुप्ता के परिजनों ने घर के सामने ही एक पौराणिक स्थल पर बड़ा मंदिर बनवा रखा है। इस मंदिर को भूमाफियाओं से बचाने के लिए उनके परिजनों ने लम्बी लड़ाई लड़ी है। इसी मंदिर के एक हिस्से में राम अचल का अंतिम संस्कार हुआ था। तब पुलिस और प्रशासन के तमाम अधिकारियों के अलावा हिन्दू संगठन के सदस्य और कई साधु-संत भी मौजूद थे। जिस जगह राम अचल गुप्ता का अंतिम संस्कार हुआ था, वहाँ एक समाधि और स्मारक बनाया गया है। परिजनों के मुताबिक, यह स्मारक आसपास के हिन्दुओं को धर्म के लिए लड़ने की प्रेरणा देता है।
समाधि को बम से उड़ाने की धमकी
राम अचल के घर वालों ने हमें बताया कि लगभग 10 साल पहले सिमी (SIMI) नाम के आतंकी संगठन की उन्हें धमकी मिली थी। यह धमकी समाधि के पास बने मंदिर में पर्चे फेंक कर दी गई थी। इस पर्चे में ‘हम इस जगह को बम से उड़ा देंगे’ लिखा हुआ था। बकौल संजय गुप्ता, तब उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस में की थी और स्थानीय हिन्दुओं ने इस धमकी पर नाराजगी जताई थी। हालाँकि, इस मामले में तब पुलिस किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर पाई थी।
पिता के बलिदान को मिले सम्मान और पूरे हों अधूरे वादे
दिवंगत राम अचल के बेटे संजय गुप्ता ने हमें बताया कि जब उनके पिता को वीरगति मिली थी, तब भाजपा की तरफ से उनकी माता को MLA के टिकट का ऑफर हुआ था। हालाँकि, तब पिता के दुःख में इसे मृतक के परिजनों ने अस्वीकार कर दिया था। संजय का यह भी दावा है कि उनके पिता के अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद नेताओं ने शुजागंज का नाम बदल कर राम अचल नगर करने का एलान किया था।
संजय गुप्ता ने हमें आगे बताया कि इस एलान पर भी अभी तक कोई अमल नहीं हुआ है। शुजागंज का नाम अवध के पूर्व नवाब शुजाउद्दौला के नाम पर रखा गया है। बताया जाता है कि शुजागंज के ही रास्ते शुजाउद्दौला लखनऊ से तब के फैज़ाबाद (वर्तमान में अयोध्या) आया-जाया करता था। बाद में इसका नाम ही शुजागंज कर दिया गया।
राम अचल गुप्ता के परिवार की यह भी इच्छा है कि कारसेवा में बलिदान हुए लोगों की अयोध्या में एक स्मारक बनाई जाए। राम मंदिर निर्माण से खुद को बेहद खुश बताते हुए संजय गुप्ता ने कहा कि इस कार्य में उनके पिता का योगदान उनके लिए गर्व की बात है। यह परिवार आज भी नियमित रूप से अयोध्या दर्शन करने जाता है।