रामलला की प्रतिमा के लिए पत्थर भेजने वाले ठेकेदार श्रीनिवास नटराज पर कर्नाटक सरकार ने जुर्माना लगा दिया था। उनको यह जुर्माना भरने के लिए पत्नी के गहने भी गिरवी रखने पड़े थे। अब श्रीनिवास की कई लोगों ने मदद की है। उन्हें इस जुर्माने का 4-5 गुना ज्यादा पैसा मिल गया है। मैसुरु के सांसद प्रताप सिम्हा ने बताया है कि वह भी एक-दो दिन के भीतर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से ₹80,000 की सहायता ठेकेदार श्रीनिवास को देंगे।
ऑपइंडिया से बात करते हुए मैसुरु सांसद प्रताप सिम्हा ने बताया, “ठेकेदार श्रीनिवास ने पत्थर अयोध्या में रामलला की मूर्ति बनाने के लिए भेजा था। इसके लिए उनके पास मैसुरु के खनन और भूगर्भ विभाग की अनुमति नहीं थी। उन्होंने पत्थर दलित किसान रामदास के खेत से निकलवा कर सीधा अयोध्या भेज दिया था। मैसुरु के खनन और भूगर्भ विभाग ने इस कारण से उन पर ₹80,000 का जुर्माना लगाया था जो कि उन्होंने भर दिया था।”
आगे सांसद प्रताप सिम्हा ने बताया, “उन पर लगे जुर्माने की खबर सामने आने के बाद कई लोगों ने ठेकदार श्रीनिवास की सहायता की है। श्रीनिवास को अब तक लगभग ₹4-5 लाख स्वेच्छा से लोगों ने दिए हैं। उन्हें कन्नड़ भाषा के लिए काम करने वाले एक संस्थान ने सम्मानित भी किया और उन्हें धनराशि भी दी। इसके अलावा लोगों ने आपस में पैसा मिलाकर भी श्रीनिवास को हुए नुकसान की पूर्ति कर दी है।” सांसद प्रताप सिम्हा ने भाजपा द्वारा भी ठेकेदार श्रीनिवास की सहायता किए जाने को लेकर जानकारी दी है।
ऑपइंडिया ने उनसे पूछा कि क्या वह निजी स्तर पर भी श्रीनिवास की सहायता कर रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा, “हाँ, उन्हें पार्टी (भाजपा) की तरफ से भी जुर्माने की राशि को लेकर सहायता दी जा रही है। हम उन्हें एक-दो दिन के भीतर ₹80,000 की सहायता पार्टी की तरफ से देंगे।”
गौरतलब है कि अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित की गई रामलला की श्यामल प्रतिमा के लिए कर्नाटक के मैसुरु के हरोहल्ली-गुज्जेगौदानपुरा गाँव के एक दलित किसान रामदास के खेत से पत्थर भेजा गया था। यह पत्थर स्थानीय ठेकेदार श्रीनिवास ने यहाँ से खनन करके मूर्तिकारों को भेजा था। यह पत्थर मूर्तिकार अरुण योगिराज को पसंद आया था।
हाल ही में यह खबर आई थी कि श्रीनिवास पर मैसुरु के खनन और भूगर्भ विभाग ने पत्थर के खनन करने के सम्बन्ध में अनुमति ना लेने के कारण ₹80,000 का जुर्माना लगा दिया था। श्रीनिवास को यह जुर्माना भरने के लिए अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखने पड़े थे। यह खबर जब बाहर आई तो लोगों ने कर्नाटक सरकार की आलोचना की और श्रीनिवास की सहायता करने का निर्णय लिया। मैसुरु के सांसद प्रताप सिम्हा ने भी ऐलान किया कि वह श्रीनिवास की सहायता करेंगे। इसके बाद से लगातार श्रीनिवास को सहायता पहुँचाई जा रही है।
जिन किसान रामदास के खेत से यह पत्थर निकला था, वह किसान रामदास अब अपने ही खेत में रामलला का एक मंदिर बनवा रहे हैं। उन्होंने इसके लिए अपने खेत का एक हिस्सा दान कर दिया था। इस मंदिर का शिलान्यास 22 जनवरी, 2024 (राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा) के दिन ही किया गया था।