Monday, December 23, 2024
Homeदेश-समाजजिनकी खोजी शिला से अरुण योगीराज ने बनाई रामलला की मूर्ति, उन पर कर्नाटक...

जिनकी खोजी शिला से अरुण योगीराज ने बनाई रामलला की मूर्ति, उन पर कर्नाटक में लगा ₹80 हजार जुर्माना: पत्नी के गहने रखने पड़े गिरवी

रामदास के अनुसार वे अपनी 2.14 एकड़ जमीन को कृषि योग्य बनाने के लिए चट्टानों को साफ करना चाहते थे। जब जमीन को समतल करने में वे नाकाम रहे तो उन्होंने नटराज को इसका ठेका दे दिया। इसके बाद मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इन्हीं में से एक शिला मूर्ति बनाने के लिए चुनी।

अयोध्या के भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की जिस मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है, वह अरुण योगीराज की बनाई है। लेकिन इस मूर्ति को बनाने के लिए शिला खोजने वाले श्रीनिवास नटराज पर काॅन्ग्रेस शासित कर्नाटक में जुर्माना लगा दिया गया है। उन पर 80 हजार रुपए का जुर्माना कर्नाटक के खान एवं भूविज्ञान ने लगाया है। जुर्माने का भुगतान करने के लिए नटराज को अपनी पत्नी के गहने तक गिरवी रखने पड़े हैं।

रिपोर्ट के अनुसार रामलला की मूर्ति तराशने के लिए इस्तेमाल की गई कृष्ण शिला को खोजने वाले ठेकेदार श्रीनिवास नटराज पर अवैध खनन का आरोप लगा 80 हजार का जुर्माना लगाया गया है। हरोहल्ली-गुज्जेगौदानपुरा गाँव निवासी श्रीनिवास नटराज एक स्थानीय खदान ठेकेदार हैं। उन्हें रामदास नाम के किसान ने अपनी कृषि भूमि से चट्टानों को साफ करने का ठेका दिया गया था। उन्होंने इस भूमि की एक विशाल चट्टान को तीन शिलाखंडों में बाँटा था।

रामलला की बनाने के लिए मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इन शिलाखंडों में से ही एक को चुना था। नटराज का कहना है कि इस शिलाखंड को सौंपने से पहले कुछ मुखबिरों ने विभाग को इसकी खबर दे दी और उन पर जुर्माना लगा दिया गया। विजयपथ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नटराज को जुर्माने का भुगतान करने के लिए अपनी पत्नी के सोने के आभूषण गिरवी रखने पड़े।

नटराज का कहना है कि उन्होंने केवल चट्टानों को साफ किया और अगले खेत में चले गए। लेकिन खान और भूविज्ञान विभाग ने उन पर अवैध खनन का आरोप लगाकर जुर्माना लगा दिया। नटराज को इस बात का भी अफसोस है कि कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। उन्होंने कहा, “मैं इंतजार कर रहा हूँ कि कोई मेरी भी मदद करेगा।”

70 साल के दलित किसान रामदास के स्वामित्व वाली जमीन से निकले काला ग्रेनाइट पत्थर को रामलला की मूर्ति बनाने के लिए खरीदा गया था। बता दें कि इसी किसान ने हाल ही में भगवान राम के मंदिर के निर्माण के लिए अपनी जमीन का एक हिस्सा दान करने का प्रतिज्ञा की थी।

रामदास के अनुसार वे अपनी 2.14 एकड़ जमीन को कृषि योग्य बनाने के लिए चट्टानों को साफ करना चाहते थे। जब जमीन को समतल करने में वे नाकाम रहे तो उन्होंने नटराज को इसका ठेका दे दिया। इसके बाद मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इन्हीं में से एक शिला मूर्ति बनाने के लिए चुनी। नटराज के मुताबिक बाद में इसी जमीन से मिली चट्टानों के शिलाखंडों को भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मूर्ति को तराशने के लिए ले जाया गया।

अपनी जमीन पर राम मंदिर बनाने की प्रतिज्ञा के बारे में रामदास ने कहा, “हमारे पास दक्षिण की तरफ एक अंजनेय मंदिर है, जिससे ऐसा लगता है कि अंजनेय की मूर्ति उस जगह को देख रही है, जहाँ से रामलला की मूर्ति के लिए पत्थर का खोदा गया था। इसलिए, मैंने वहाँ भगवान राम को समर्पित एक मंदिर बनाने के लिए चार गुंटा (Guntas) जमीन दान करने का फैसला किया है। हम मंदिर के लिए भगवान राम की मूर्ति तराशने के लिए अरुण योगीराज से मिलेंगे।”

गौरतलब है कि राम मंदिर ट्रस्ट ने पत्थर से रामलला की मूर्ति बनाने के लिए तीन मूर्तिकारों को नियुक्त किया था। तीनों में से अरुण योगीराज की मूर्ति को ट्रस्ट ने राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करने के लिए चुना था। 22 जनवरी 2024 पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर में इस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बांग्लादेश को सौंप दे शेख हसीना, मुकदमा चलाना है: यूनुस सरकार ने भारत को भेजा राजनयिक नोट, तख्तापलट के बाद पूर्व PM पर हत्या-अपहरण...

बांग्लादेश ने शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। उसने भारत से शेख हसीना को उसे सौंपने की भी माँग की है।

रिपोर्ट, इंटरव्यू, लेख… ‘द वायर’ ने बांग्लादेश में हिंदुओं की प्रताड़ना पर पर्दा डालने के लिए किए सारे जतन, इस्लामी कट्टरपंथियों को बचाने के...

द वायर का ध्यान बांग्लादेश में हो रहे हिन्दुओं की पीड़ा दिखाने बजाय इस बात पर ज्यादा है कि आखिर यूनुस सरकार क्या कह रही है।
- विज्ञापन -