वित्तीय धोखाधड़ी की आरोपित और वॉशिंगटन पोस्ट (Washinton Post) की स्तंभकार राना अय्यूब (Rana Ayyub) पिछले कुछ दिनों से अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ग्लोबल मुस्लिम मीडिया पर्सन ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित होने का दिखावा कर रही हैं।
सोशल मीडिया पर लोगों से बधाई मिलने के बाद उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक और पोस्ट डाला।
उन्होंने इस अवॉर्ड को ट्विटर पर भी शेयर किया है और तब से बधाइयों का तांता लगा हुआ है।
हम भी इस पुरस्कार को लेकर बहुत उत्सुक हैं। आखिरकार, नाइजीरिया की ‘मुस्लिम न्यूज’ नाम की एक वेबसाइट की टीम ने उन्हें चुना है। यह वेबसाइट नाइजीरिया और दुनिया भर में मुस्लिम अचीवर्स और इवेंट्स का एक मुखपत्र है, जिसे मुख्यधारा की मीडिया में कभी जगह नहीं मिलती। वेबसाइट के अनुसार, राना ‘आवाज़हीनों की आवाज़’ हैं और ‘मुस्लिमों, विशेष रूप से उन लड़कियों के अधिकारों की वकालत करने में सबसे आगे रहे हैं, जिन्हें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले भारत के विभिन्न भागों में निर्मम हिजाब प्रतिबंध के कारण शिक्षा से वंचित’ कर दिया गया है।
वेबसाइट ने डिस्क्लेमर दिया है कि ‘हालाँकि अय्यूब हिजाब नहीं पहनती हैं, लेकिन अवॉर्ड के आयोजकों ने पत्रकार की उस दृढ़ता की प्रशंसा की है, जिसके तहत वह मानती हैं कि भारत में हर मुस्लिम लड़की को हिजाब पहनने का मौलिक अधिकार है और उस अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए।”
वेबसाइट के प्रकाशक ने कहा कि अय्यूब आज हिजाब नहीं पहनती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह एक दिन इसका इस्तेमाल नहीं करेंगी। उन्होंने कहा, “इस तथ्य के कारण सम्मानित किया कि वह एक मुस्लिम हैं और भारत में लाखों लड़कियों को मोदी के उत्पीड़न का सामना करने के लिए हिजाब पहनने के लिए बोलती हैं। यह एक महान बलिदान है जिसे स्वीकार किया जाना चाहिए”। प्रकाशक अल्हाजी अबूबकर ने आगे कहा, “शरिया के अनुसार हिजाब अनिवार्य है, लेकिन शिक्षा लागू होने से पहले आती है, खासकर मुस्लिम या शरीयत राज्य में।”
हिजाब की बात करें तो इसी वेबसाइट ने इस साल सितंबर में यह पता लगाने के लिए एक पोल चलाया था कि कौन सा ग्लोबल मीडिया हाउस सबसे ‘हिजाब फ्रेंडली’ मीडिया हाउस है। इसमें ब्रिटेन के गार्डियन को सबसे ‘हिजाब फ्रेंडली’ मीडिया हाउस बताया गया था।
पोल में लोगों से यह चुनने के लिए कहा गया कि कौन-सा मीडिया हाउस उन्हें इस्लाम और उसके मूल्यों को बढ़ावा देने की अनुमति देता है। वेबसाइट ने मीडिया हाउस के हिजाबी पत्रकारों के बारे में कहा, “अपने संगठनों की संपादकीय नीतियों में हस्तक्षेप नहीं होने के बावजूद, जब हिजाब जैसे मुद्दे की बता आती है तो वे हमेशा अपनी कहानियों में, प्रिंट और ऑनलाइन दोनों में, नैरेटिव पर जोर देते हैं।”
हालाँकि, यह अनजान सा वेबसाइट नियमित रूप से अपडेट नहीं किया जाता है, क्योंकि उसके होम पेज के संपादकीय भाग को आखिरी बार जून 2020 में और उससे पहले नवंबर 2019 में अपडेट किया गया था। यह सामान्य नैरेटिव है कि मोदी फासीवादी हैं, आरएसएस अति-दक्षिणपंथी आतंकवादी समूह है और मुस्लिमों को भारत में कैसे सताया जाता है। यह वेबसाइट हिजाब पहनने वाली लड़कियों के प्रति बेहद जुनूनी है, क्योंकि इसके होम पेज पर कम से कम दो लेख हिजाब के बारे में हैं।
इस पर ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं के बारे में एक भी रिपोर्ट नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि अय्यूब के अलावा ‘हिजाब के रखवाला’ नामक किसी को इस बार नाइजीरियाई मुस्लिम पर्सनालिटी ऑफ द ईयर से सम्मानित किया गया। ये ‘हिजाब के रखवाले’ नाइजीरिया के 12 मुस्लिम थे, जिन्होंने नाइजीरिया के सुप्रीम कोर्ट में हिजाब के लिए लड़ाई लड़ी थी। 17 जून 2022 को नाइजीरिया के सुप्रीम कोर्ट ने लागोस पब्लिक स्कूलों में हिजाब के इस्तेमाल को बरकरार रखा। यह फैसला 9 साल की कानूनी लड़ाई के बाद आया है। अय्यूब को सम्मानित करने वाली इस वेबसाइट के प्रकाशक के अनुसार, यह निर्णय ‘हाल के दिनों में नाइजीरियाई मुस्लिम समुदाय द्वारा दर्ज की गई सबसे बड़ी उपलब्धि’ थी।