महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार के नेता जिस पुलिस को दुनिया में सबसे सक्षम और सबसे तेज़-तर्रार बताते नहीं अघाते थे, अब एक-एक कर के उन्हीं पुलिस अधिकारियों के कारण उनकी पोल खुलती जा रही है। पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पत्र को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। उससे पहले DG संजय पांडे के पत्र से बवाल मचा। और अब स्टेट इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला के एक पत्र को लेकर ‘महा विकास अघाड़ी (MVA)’ सरकार कटघरे में है।
सवाल उठता है कि आखिर उस पत्र में क्या था? दरअसल, अगस्त 2020 में तत्कालीन DGP सुबोध जायसवाल को भेजे गए पत्र में रश्मि शुक्ला ने बताया था कि उनकी टीम ने कुछ ऐसे फोन कॉल्स को इंटरसेप्ट करने में कामयाबी पाई है, जिससे पता चला है कि कई लोग पुलिस अधिकारियों की मनमाने ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने के बदले रुपए लेने के धंधे में शामिल हैं। 7 पन्ने के इस पत्र में कई बड़े नेताओं के नाम थे।
पत्र के अनुसार, इंटेरसेप्टेड कॉल्स में पता चला कि रुपयों के बदले मनमानी ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने वालों ने आपसी बातचीत में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, NCP के संस्थापक-अध्यक्ष शरद पवार और उन्हीं ही पार्टी के नेता व राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख के नाम भी लिए हैं। इसमें कई पुलिस अधिकारियों के नाम भी हैं, जो शुक्ला के हिसाब से इन दलालों के संपर्क में थे। ट्रांसफर-पोस्टिंग डील में इससे बड़ी गड़बड़ी के सबूत मिलते हैं।
तभी राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने केंद्रीय गृह सचिव से दिल्ली में मुलाकात कर 6.3 GB डेटा के कंटेंट सबूत के रूप में सौंपे। फड़नवीस ने सीलबंद लिफाफे में सबूत सौंपते हुए मामले की CBI जाँच की माँग की और कहा कि राज्य सरकार किसी को बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इस प्रकरण में अदालत जाने की भी बात कही। NCP ने परमबीर सिंह की तरह रश्मि शुक्ला को भी भाजपा का एजेंट करार दिया।
NCP की मुंबई यूनिट के अध्यक्ष, पार्टी के प्रवक्ता और राज्य सरकार में अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि रश्मि शुक्ला ने बिना अनुमति कई नेताओं के फोन टैप किए हैं और उन्होंने सरकार गठन के समय ये सब किया था। उन्होंने कहा कि रश्मि ने अवैध रूप से कॉल रिकार्ड्स तैयार किए और इसीलिए ‘सज़ा’ के रूप में उनका तबादला कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि पत्र में जिन अधिकारियों के नाम हैं, उनमें से अधिकतर का तबादला हुआ ही नहीं।
परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में हालिया तबादलों के खिलाफ डाली गई याचिका में भी इस पत्र का जिक्र किया है। अगस्त 25, 2020 के इस पत्र में ऐसे लोगों के नाम हैं, जिनके काफी मजबूत राजनीतिक कनेक्शंस हैं। लिखा गया था कि आरोपों की पुष्टि के लिए संदिग्ध गतिविधियों वाले इन लोगों के फोन्स को क़ानूनी प्रक्रिया के तहत सर्विलांस पर रखा गया, जिसके बाद पता चला कि आरोपों में दम है।
इंस्पेक्टर से लेकर कई बड़े IPS अधिकारियों के इन दलालों से संपर्क में होने की बात कही गई थी। जिन 7 लोगों के फोन टैप किए गए, वो हैं – महादेव इंग्ले, संतोष जगताप, नवाज़ मनेर अज़्मुद्दीन, देवानंद भोजे, उमेश राठौड़, विशाल कदम और उमेश पाटिल। भोजे को महाराष्ट्र पुलिस विभाग का कर्मचारी बताया गया था। पत्र में 11 IPS और 32 वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम थे। कहा गया कि ये सभी दलालों के साथ संपर्क में थे।
साथ ही इन लोगों के बीच फोन पर हुई बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट की समरी भी उपलब्ध कराई गई थी, जिसमें वो लोग ‘दादा’, ‘पवार साहेब’, आदित्य ठाकरे और अनिल देशमुख के नाम लेते दिख रहे हैं। पत्र में लिखा था कि महादेव इंग्ले सामाजिक और राजनीतिक हलकों में बड़ी धमक रखता है। इतना ही नहीं, पुलिस अधिकारियों के अलावा कलक्टर्स, डिप्टी कलक्टर्स, MHADA व एक्साइज विभाग के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के बदले रुपए लेने की बात भी कही गई थी।
रश्मि शुक्ला ने एक उच्च-स्तरीय जाँच के साथ-साथ इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की ज़रूरत जताई थी। उन्होंने लिखा था कि इससे सरकार की विश्वसनीयता और कार्यप्रणाली पर गंभीर आक्षेप लगते हैं, इसीलिए मुख्यमंत्री ठाकरे को इससे तुरंत अवगत कराया जाए। इसके बाद अगस्त 26 को DGP जायसवाल ने राज्य के गृह सचिव सीताराम कुंटे को पत्र लिख कर सीएम ठाकरे को अवगत कराने और CID क्राइम पुणे से इसकी जाँच कराने की सिफारिश की।
BREAKING :
— Adv. Chandni Preeti Vijaykumar Shah (@adv_chandnishah) March 23, 2021
Dated : 25/08/2020.
The letter by Commissioner of Intelligence, SID, Rashmi Shukla to DGP regarding the Postings and rankings that were being “Bought and Sold”… https://t.co/3U98Ba6DB6 pic.twitter.com/I7OUDeIn1Y
इस पत्र के आने के कुछ ही दिनों बाद रश्मि शुक्ला का तबादला कर के उन्हें सिविल डिफेंस का हेड बना दिया गया। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय सेवा को चुना और उन्हें CRPF में पोस्ट दी गई। इंगले का कहना है कि वो एक ड्राइवर है, जो कार रेंट देने के एजेंट के रूप में काम करता है। उसने कहा कि वो ग्राहकों को अपना फोन यूज करने देता है, किसी ने इसका गलत प्रयोग किया होगा। उसने दावा किया कि वो ओस्मानाबाद में रहता है और मुंबई कभी गया ही नहीं।
शुक्ला के पत्र में लिखा गया है कि इंगले का फोन 29 पुलिस अधिकारियों के साथ संपर्क में था, जिनमें से एक DIG रेंज का अधिकारी भी था। पत्र में उसका चार्ज 10 ग्राम के सोने का गहना या फिर 5000 रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक बताया गया है। इस आरोप को लेकर जगताप ने कहा कि वो कोरोना पॉजिटिव हो गया है और अस्वस्थ है। जगताप ने यह भी बताया कि कि वो वर्ग-2 का अधिकारी है और जुलाई 2020 में उसका फोन खो गया था।