Saturday, April 20, 2024
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‘… शायद ही लौटूँ’: सबसे सीनियर IPS ने परमबीर सिंह से पहले ही CM उद्धव को लिख दी थी चिट्ठी, अब हाई कोर्ट पहुँचे

संजय पांडे के बारे में बताते चलें कि उन्होंने IIT कानपुर से पढ़ाई की है, जिसके बाद वो 1986 बैच के IPS अधिकारी बने। 1993 मुंबई दंगों में उन्होंने भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे को गिरफ्तार किया था।

परमबीर सिंह ने मुंबई पुलिस के कमिश्नर पद से हटाए जाने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा। इसमें आरोप लगाया कि राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वाजे को 100 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट दे रखा है। इस पत्र ने राज्य में सियासी भूचाल खड़ा कर दिया है। लेकिन, परमबीर सिंह से पहले एक और आईपीएस अधिकारी ने उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था। ये अधिकारी हैं महाराष्ट्र महाराष्ट्र पुलिस के सबसे सीनियर अधिकारी IPS संजय पांडे।

1986 बैच के IPS संजय पांडे ने यह पत्र DG होमगार्ड से तबादला होने के बाद लिखी थी। पत्र में हमेशा साइड पोस्टिंग देने की बात कहते वे छुट्टी पर चले गए। यह भी संकेत दिया कि वे शायद ही अब पुलिस की सेवा में लौटें। अब संजय पांडे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि महाराष्ट्र में कार्यकारी DGP की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ अधिकारियों को प्रमोट करने के लिए मनमाने ढंग से ये सब किया जा रहा है।

दिसंबर 2020 में DGP सुबोध जायसवाल ने महाराष्ट्र सरकार के साथ मतभेदों के कारण केंद्रीय सेवा का विकल्प चुना था, जिसके बाद उन्हें CISF का मुखिया बनाया गया था। फिर पांडे के बाद राज्य के दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी हेमंत नगराले को DGP का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। लेकिन, सचिन वाजे मामला सामने आने के बाद मुंबई पुलिस के आयुक्त परमबीर सिंह को DG (होमगार्ड) बना दिया गया और हेमंत नगराले को मुंबई पुलिस का कमिश्नर। फिर रजनीश सेठ को राज्य का कार्यकारी DGP नियुक्त कर दिया गया। पांडे का आरोप है कि उन्हें लगातार दरकिनार किया गया, जबकि वो वरिष्ठ हैं।

संजय पांडे फ़िलहाल महाराष्ट्र के DG (महाराष्ट्र स्टेट सिक्योरिटी कॉर्पोरेशन, MSSC) के रूप में सेवा दे रहे हैं। उन्होंने पुलिस विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग में अपनी वरिष्ठता को नज़रअंदाज़ किए जाने के कारण छुट्टी ली और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र भी लिखा था।

संजय पांडे का कहना है कि जो भी हुआ वो कानून के अनुरूप नहीं हुआ और इसीलिए उन्होंने सरकार को पत्र लिख कर गलतियों को सुधारने के लिए कहा। राजनीतिक विद्वेष के मसले पर उन्होंने कहा कि 1993 मुंबई दंगों के दौरान वो जोन 8 के DCP थे और उन्होंने खेरवाड़ी क्षेत्र में शिवसेना कार्यकर्ताओं के खिलाफ न्यायसंगत कार्रवाई की थी। उन्होंने बताया कि तब शिवसेना कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम करने से लेकर कई हरकतें की थीं।

संजय पांडे ने कहा कि सरकार एक बहुत बड़ी संस्था है और अगर वो उनसे बदला लेना चाह रही है तो इसका मतलब है कि शासन सुरक्षित हाथों में नहीं है। उन्होंने बताया कि उन्हें कुछ IPS अधिकारियों के खिलाफ जाँच की जिम्मेदारी मिली थी, जिन्हें पूरा करने के बाद उन्होंने रिपोर्ट भी सौंपी। लेकिन, पांडे का कहना है कि जब उन्हें बड़े दफ्तर में मौका देने की बारी आई तो उन्हें ऐसे नज़रअंदाज़ किया गया, जैसे कि वो इसके योग्य ही नहीं हों।

संजय पांडे ने कहा कि वे अभी तक सोच रहे हैं कि उनके साथ ऐसा क्यों किया गया? उन्होंने कहा कि उनका पत्र उनके साथ हुए अन्याय के बारे में बताता है और न सिर्फ इस सरकार, बल्कि पूर्ववर्ती सरकारों के समय भी अन्याय हुआ है। हालाँकि, इस पत्र में उन्होंने इस सरकार द्वारा किए गए कृत्यों के बारे में ही बताया है। उन्होंने कहा कि अब वो कोई नया पद नहीं लेंगे, क्योंकि उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई थी, उन्होंने उसे छोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

उनको इस बात का गिला है कि मुंबई के पुलिस आयुक्त के रूप में उनकी वरिष्ठता पर ध्यान न देते हुए उनकी उपेक्षा की गई। उन्होंने कहा कि उनके मन में साथी पुलिस अधिकारियों के लिए कोई गलत भावना नहीं है, दिक्कत है तो सिर्फ सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से।

सीएम ठाकरे को भेजे गए पत्र में संजय पांडे ने परमबीर सिंह पर आरोप लगाते हुए लिखा है कि ADG देवेन भारती के खिलाफ जाँच के मामले में परमबीर सिंह ने गवाहों को धमकाया था और जाँच को प्रभावित किया था। उन्होंने लिखा है कि इसके बाद अतिरिक्त सचिव ने ADG के खिलाफ जाँच रोकने का आदेश दिया था। उन्होंने लिखा कि सचिव मुंबई पुलिस को प्रभावित कर रहे हैं और दबाव बनाते हैं।

संजय पांडे के बारे में बताते चलें कि उन्होंने IIT कानपुर से पढ़ाई की है, जिसके बाद वो 1986 बैच के IPS अधिकारी बने। 1993 मुंबई दंगों में उन्होंने भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे को गिरफ्तार किया था। 1999 में एक ऐसा समय भी आया था जब मुंडे राज्य के गृह मंत्री थे और चमड़ा घोटाला की जाँच कर रहे DCP पांडे ने ट्रांसफर के बाद इस्तीफा दे दिया था। उनका कहना है कि हाल ही में कई गोपनीय जाँच की रिपोर्ट बनाने के बाद शरद पवार ने भी उनकी तारीफ की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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