केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारतीय न्यायपालिका को सलाह दी है कि वो पीड़ित महिलाओं की आवाज़ सुने और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरे। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस देश की महिलाएँ काफ़ी गहरे दर्द में हैं और वो न्याय के लिए तड़प रही हैं। प्रसाद ने कई गणमान्य जजों व बड़े वकीलों की उपस्थिति में बोलते हुए कहा कि न्यायपालिका को इन पीड़ित महिलाओं की पुकार सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था से वो इसके लिए निवेदन कर रहे हैं।
रविशंकर प्रसाद ने आँकड़े गिनाते हुए कहा कि देश में घृणित अपराधों के लिए 704 फ़ास्ट ट्रैक अदालतें हैं और ऐसी कई अदालतें स्थापित की जाने की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने बताया कि पॉस्को (बाल यौन अपराध संरक्षण क़ानून) के अंतर्गत आने वाले मामलों के लिए अलग से 1123 फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की प्रक्रिया चल रही है। साथ ही न्यायपालिका में अमूल-चूल बदलाव की ओर इशारा करते हुए केंद्रीय न्याय एवं विधि मंत्री ने कहा कि अब ‘ऑल इंडिया जुडिशल सर्विसेज’ का समय आ गया है क्योंकि भारत के कई लॉ स्कूलों से काफ़ी सारे प्रतिभावान छात्र-छात्राएँ निकल कर सामने आ रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने जुडिशरी को सलाह देते हुए कहा कि हमें प्रतिभा को आकर्षित करने की ज़रूरत है। उन्होंने जानकारी दी कि पिछले साढ़े पाँच वर्षों में 469 हाईकोर्ट जजों को बहाल किया गया है। उन्होंने बताया कि नियुक्तियों को और तेज़ किया जाएगा। कॉलेजियम सिस्टम की चर्चा करते हुए प्रसाद ने कहा कि किस जज की नियुक्ति होनी चाहिए, ये कॉलेजियम को ही तय करना है। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि जजों की नियुक्ति के समय ऐसे लोगों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, जिनके परिवार का कोई भी सदस्य लीगल या जुडिशल सिस्टम का हिस्सा नहीं रहा हो।
Law Minister Ravi Shankar Prasad: We have 704 fast track heinous offences and others and in the process of setting up 1,123 dedicated fast track courts for POSCO. #UnnaoCase #UnnaoTruth #Unnao
— Bar & Bench (@barandbench) December 7, 2019
केंद्रीय मंत्री ने ये बातें राजस्थान हाईकोर्ट के नए भवन के उद्घाटन के मौके पर कही। इस अवसर पर देश के नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविन्द बोबडे भी मौजूद थे। सीजेआई बोड़बे ने इस दौरान कहा कि न्याय अपना चरित्र खो देता है, जब यह बदले का रूप ले लेता है। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि न्याय त्वरित रूप से किया जा सकता है या फिर ऐसा होना चाहिए। 2018 में सरकार के ख़िलाफ़ हुए जजों के प्रेस कॉन्फ्रेंस पर बोलते हुए जस्टिस बोबडे ने कहा कि न्यायिक सुधार की प्रक्रिया जुडिशरी ख़ुद करेगी और इसे सार्वजनिक रूप से करना है या नहीं, इसपर बहस हो सकती है।
CJI SA Bobde:
— Bar & Bench (@barandbench) December 7, 2019
“I dont think justice can ever be and ought to be instant”
नई तकनीक पर बात करते हुए सीजेआई बोबडे ने कहा कि न्यायपालिका में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) के प्रयोग को बढ़ावा मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले महीने शुरू हुई ‘ट्रांसलेशन सर्विस’ में एआई का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सलाह के बाद किया गया।