केरल की सीमावर्ती कन्याकुमारी ज़िले में एक वरिष्ठ सब-इंस्पेक्टर की रहस्यमय तरीक़े से हत्या करने के दो दिन बाद, जाँचकर्ताओं ने दोनों आरोपितों की पहचान कर ली है – अब्दुल शमीम (25 वर्ष) और तौफिक (27 साल)। जाँचकर्ताओं ने शमीम को “स्व-घोषित जिहादी” करार दिया है। उन्होंने शक़ जताया है कि इस सप्ताह बेंगलुरु में तीन कथित आतंकवादी संदिग्धों की गिरफ़्तारी का बदला लेने के लिए सब-इंस्पेक्टर की हत्या की गई।
ख़बर के अनुसार, सब-इंस्पेक्टर विल्सन (57 वर्ष) की बुधवार (8 जनवरी) को सुबह साढ़े नौ बजे के क़रीब तमिलनाडु के कालियाक्कविलाई के पास एक चेकपोस्ट पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा, उनके शरीर पर चोट के भी निशान थे। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज से आरोपित की पहचान कन्याकुमारी के शमीम और तौफ़िक (27) के रूप में की है।
पुलिस ने बताया कि शमीम 2014 में एक हिन्दू मुन्नानी नेता की हत्या के मामले में पिछले महीने ज़मानत मिलने के बाद से फ़रार था। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “उसके आत्मसमर्पण करने की संभावना नहीं है। वह एक ऐसा व्यक्ति है, जिसे अगर मौक़ा मिला तो वो गिरफ़्तारी से पहले आत्महत्या कर लेगा।
पुलिस को शुरुआती जाँच में लगा था कि दोनों आरोपित एक SUV कार से चेकपोस्ट पर पहुँचे थे। और कहीं सब-इंस्पेक्टर शमीम को पहचान न ले, इस डर से उसने विल्सन पर गोली चला दी होगी। लेकिन, अब पुलिस का मानना कि अपने संदिग्ध सहयोगियों मोहम्मद हनीफ़ खान (29), इमरान खान (32) और मोहम्मद जैद (24) को बेंगलुरु में गिरफ़्तार किए जाने का बदला लेने के लिए शमीम ने योजनाबद्ध होकर हत्या की वारदात को अंजाम देने की साज़िश रची थी।
पुलिस उप-महानिरीक्षक (तिरुनेल्वेली क्षेत्र) प्रवीण कुमार अबिनपु ने बताया,
“हमने दोनों आरोपितों (विल्सन की हत्या में शामिल) की पहचान कर ली है, हम जल्द ही उन्हें गिरफ़्तार कर लेंगे। हमारे पास जानकारी है कि बुधवार की देर रात हत्या के बाद वो दोनों केरल भाग गए हैं। वाहन जाँच के दौरान हत्या नहीं की गई थी।”
यह पूछे जाने पर कि क्या शमीम के सहयोगियों को गिरफ़्तार किया जाना इस हत्या का मक़सद था और इस हत्या के ज़रिए तमिलनाडु पुलिस को एक संदेश देना भी शामिल था? इसके जवाब में अबिनापु ने कहा, “हमें लगता है कि इस हमले के पीछे वही (सहयोगियों की गिरफ़्तारी) कारण है।”
इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में शमीम और तौफ़िक को चेकपोस्ट के पास एक जमात कार्यालय की ओर भागते देखा गया। पुलिस ने बताया कि दोनों दूसरे दरवाज़े से भाग गए, जो केरल को जोड़ने वाली सड़क पर खुलता है।
पुलिस के अनुसार, आरोपित शमीम और दो अन्य- एस सैयद अली नवास (25) और सी खाजा मोइदीन (52) को बेंगलुरु में गिरफ़्तार किया गया था। ये तीनों पाँच साल पहले हिन्दू मुन्नानी नेता केपी सुरेश कुमार की हत्या के आरोप में जेल गए थे। पुलिस अधिकारी ने बताया, “वे तीनों ज़मानत पर बाहर आने के बाद एक महीने से अधिक समय से फ़रार थे। शमीम और नवास दोनों कन्याकुमारी से हैं, और मोइद्दीन कुड्डालोर से है।”
हिन्दू नेता सुरेश कुमार की हत्या के अलावा, मोईदीन का हाजा फकरुदीन (42) के साथ भी गहरा रिश्ता था। उसके सम्पर्क में आने के बाद वो आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में कथित तौर पर युवाओं को भर्ती करने का काम करता था।
2017 में, NIA ने मोईदीन, फकरुदीन और अन्य के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था और 13 मार्च, 2018 को एक आरोप पत्र भी दायर किया था। इसमें आरोप लगाया गया कि था कि मोईदीन ने “जनवरी, 2014 के दौरान सीरिया में ISIS/ ISIL/ Daish में शामिल होने के लिए हाजा फकरुदीन की असलियत जानते हुए उसकी सहायता की।” 12 दिसंबर, 2019 को ज़मानत पर छूटने के बाद, मोईदीन पर आरोप है कि उसने संभावित भर्तियों को जारी रखने के लिए दक्षिण बेंगलुरु क्षेत्र में कई बैठकें कीं।
बेंगलुरु में आयोजित बैठकों का हिस्सा आरोपित शमीम और तौफ़िक भी होते थे, इसमें मोइदीन हिस्सा लेता था। कन्याकुमारी में हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद से पुलिस आरोपितों की तलाश में जुट गई है। जानकारी के अनुसार, हत्या की घटना के करीब तीन दिन पहले शमीम और तौफिक बेंगलुरु में थे।
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